Delhi High court : दिल्ली हाईकोर्ट ने होम बायर्स की याचिका पर एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश (Interim Directions) में बिल्डर कंपनी के बैंक खातों को जब्त करने की बात कही है। ये भी कहा है कि बायर्स से लिए हुए पैसों का डायवर्जन आखिर कहां कहां किया गया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने ये भी कहा है कि इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को उन कंपनियों का पता लगाना चाहिए जिनमें या जिनमें धन आगे ट्रांसफर किए गए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बिल्डर के बैंक खातों की जांच के दिए बड़े आदेश, निवेशकों से मिले पैसों को डायवर्ट करने का अंदेशा
Delhi High Court News : दिल्ली हाईकोर्ट ने बिल्डर कंपनी के बैंक खातों को जब्त करने की बात कही। बायर्स से लिए हुए पैसों का डायवर्जन करने की शिकायत।
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Court News (सांकेतिक फोटो)
14 Feb 2024 (अपडेटेड: Feb 16 2024 2:30 PM)
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असल में गुरुग्राम सेक्टर-89 में ग्रीनोपोलिस परियोजना के एक घर खरीदार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने आदेश जारी किए हैं। ये आदेश डेवलपर कंपनी थ्री-सी के प्रमोटर्स (Three C Shelters Private Limited) को दिए गए हैं। हालांकि, इस पूरे मामले पर डेवलपर कंपनी की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। अगर उनका बयान आता है तो उसे पब्लिश किया जाएगा। अभी हाईकोर्ट ने कंपनी रजिस्ट्रार और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) को संयुक्त रूप से कार्रवाई शुरू करने और कंपनी अधिनियम, 2013 का अनुपालन सुनिश्चित करने और डेवलपर कंपनी के मामलों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट के ये आदेश 2 फरवरी को ही जारी हुआ था।
याचिका में क्या आरोप लगाया गया था
याचिका में गुरुग्राम सेक्टर 89 में ग्रीनोपोलिस प्रोजेक्ट में एक प्लॉट खरीदने वाली सुरेश कुमारी ने रिकॉर्ड में हेरफेर करने और कोलकाता और अन्य जगहों पर स्थित कुछ शेल कंपनियों को फंड निकालने के कथित रूप से किए कार्यों के लिए डेवलपर थ्री सी शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ जांच की मांग की थी। इस याचिका में कहा गया था कि कंपनी की संपत्तियों को फ्रीज करें और निवेशकों और घर खरीदारों के कानूनी अधिकारों को सुरक्षित रख जाए।
निवेश कराया, लेकिन फंड कहीं और भेजकर धोखा देने का आरोप
इस याचिका में आरोप लगाया गया कि डेवलपर ने उनके सहित कई घर खरीदारों से सैकड़ों करोड़ रुपये जुटाए थे। लेकिन एकत्र किए गए धन को विभिन्न शेल और दूसरी सिस्टर्स कंपनियों को भेज दिया गया। उन्होंने आगे कहा कि घर खरीदने वालों को धोखा दिया गया है और उनकी मेहनत की कमाई से उन्हें दूर किया गया है। इस बारे में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ये प्रोजेक्ट 2011 में शुरू हुआ था और 2015 में पूरी होनी थी। लेकिन नहीं हो पाया।
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