Allahabad High Court Live-in-Relationship: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस्लाम का पालन करने वाला कोई भी शादीशुदा शख्स (Married Man) लिव इन रिलेशनशिप (Live-in-relationship) में नहीं रह सकता है। वो भी ऐसी स्थिति में जब उनका जीवनसाथी जीवित हो। एक याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की।
इस्लाम मानने वाले लिव-इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकते - इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
Allahabad High Court Live-in-Relationship: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा कि इस्लाम में शादी के दौरान लिव इन रिलेशनशिप में रहने की इजाजत नहीं है।
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09 May 2024 (अपडेटेड: May 9 2024 2:29 PM)
जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस एके श्रीवास्तव की पीठ ने ये टिप्पणी की। दरअसल, उनकी कोर्ट में एक मामला विचाराधीन है। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के रहने वाले स्नेहा देवी और मोहम्मद शादाब खान ने एक याचिका दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, 'अगर पुरुष और महिला अविवाहित और बालिग हैं तो बेशक स्थिति अलग हो सकती है और वे अपने हिसाब से जिंदगी जी सकते हैं।
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क्या कहा था याचिकाकर्ता ने?
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि वे दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। इस दौरान महिला के परिजनों ने शादाब खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। ये आरोप लगाया गया था कि उनकी बेटी को अगवा कर उससे शादी कर ली है। इस पर याचिकाकर्ताओं ने पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। उसने कोर्ट में याचिका दायर की। शादाब का कहना था कि वे दोनों व्यस्क हैं और लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं।
इस पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि शादाब खान पहले से शादीशुदा है। उसकी 2020 में फरीदा खातून नाम की महिला से शादी हुई थी और दोनों का एक बच्चा भी है। कोर्ट ने उनकी पुलिस सुरक्षा की मांग ठुकरा दी। कोर्ट ने कहा कि इस्लाम में इस तरह के संबंधों की इजाजत नहीं दी गई है।
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