Exclusive: 'मेरी मर्जी चलती तो उसका गला घोंट देता'- आतंकी मसूद अजहर को छोड़ने वाले पुलिस अफसर का बड़ा खुलासा

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Exclusive: 'मेरी मर्जी चलती तो उसका गला घोंट देता'- आतंकी मसूद अजहर को छोड़ने वाले पुलिस अफसर का खुलासा
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IC-814 हाईजैकिंग केस को लेकर बोले तत्कालीन DIG

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'मेरी मर्जी चलती तो उसका गला घोंट देता'

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यात्रियों के बदले छोड़ा गया था आतंकी मसूद अजहर

IC 814 Hijacking: 'मुझे बहुत बुरा लगा था कि हम लोगों ने एक आतंकी को छोड़ा था। उस वक्त देश की सुरक्षा के साथ समझौता हुआ था। जब उसे छोड़ा गया, वो सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पल थे। हम सबको पता है कि आतंकी मसूद अजहर को छोड़ने के बाद उसने आतंकी संगठन को दोबारा खड़ा कर दिया और जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) नाम का आतंकी संगठन बनाया था, जिसने भारत में कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। इनमें संसद भवन में हुए हमले से लेकर कई फिदायीन हमले शामिल हैं।' ये कहना है जम्मू कश्मीर के तत्कालीन डीआईजी (DIG SP Vaid) एसपी वैद्य का। एसपी वैद्य ने Crime Tak से Exclusive बातचीत की। 

आतंकी मसूद अजहर को जेल से एयरपोर्ट लेकर गए थे अधिकारी

उन्होंने IC 814 हाईजैकिंग केस के बारे में बात करते हुए बताया कि जब हाइजैक हुई फ्लाइट के यात्रियों की जान के बदले आतंकी मसूद अजहर को छोड़ने का सौदा हुआ तो उन्हें मसूद अजहर को जेल से एयरपोर्ट ले जाने की जिम्मेदारी दी गई थी। आपको बता दें कि मसूद अजहर जम्मू में कोट भलवाल जेल में था। सरकार के आदेशों पर उसे जेल से निकाल कर जम्मू एयरपोर्ट ले जाया गया। जिसके बाद उसे कांधार ले जाकर छोड़ दिया गया था।तत्कालीन डीआईजी एसपी वैद्य ने कहा- मेरी मर्जी चलती तो उसका गला घोंट देता और उसकी जान ले लेता। उस वक्त मेरा खून खौल रहा था। 

आतंकी का चेहरा मंकी कैप से ढका

वाकया 24 दिसंबर 1999 का है। आतंकी मसूद अजहर को विमान हाईजैक (IC 814 Hijacking Case) के सात दिन बाद यानी 31 दिसंबर 1999 को रिहा किया गया था। तत्कालीन डीआईजी एसपी वैद्य को ये जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वो आतंकी मौलाना मसूद अजहर को कोट भलवाल जेल से निकाल कर उसे जम्मू टेक्निकल एयरपोर्ट पर छोड़ दे। 

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डॉ. एसपी वैद्य ने कहा- मुझे पुलिस मुख्यालय में बुलाया गया और मौलाना मसूद अजहर को रिहा करने के लिए कोट भलवाल जेल जाने का आदेश दिया गया। ये सरकारी फैसला था। मैं जेल पहुंचा और उसके बाद संबंधित जेल अधिकारी ने आतंकी को रिहा कर दिया। मैंने सिपाहियों को उसके चेहरे को मंकी कैप से ढकने का आदेश दिया। मसूद अजहर ने मना कर दिया, लेकिन जब मैंने उसे डांटा तो मान गया। आतंकी मसूद अजहर का चेहरा ढक कर हम उसे टेक्निकल एयरपोर्ट जम्मू ले गए। वहां हमने उसे विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया। ये मेरी ड्यूटी थी। मैं उससे बंधा हुआ था। 

मसूद अजहर को जेल से भगाने के लिए रची गई थी कई बार साजिशें

आपको बता दें कि IC-814 हाइजैकिंग से पहले मसूद अजहर को कोट भलवाल जेल से निकालने के लिए कई बार साजिशें रची गई थीं। एक बार 7 आतंकवादियों के एक दस्ते ने कोट भलवाल जेल पर हमला करने की साजिश रची थी, हालांकि सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों को मार गिराया था। इतना ही नहीं, मसूद अजहर को भगाने के लिए जेल में एक सुरंग खोदी गई थी। मगर इस साजिश को भी नाकाम कर दिया गया था। 

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वेब सीरीज को लेकर मचा है बवाल, सरकार ने पूछा- अपहर्ताओं के नाम क्यों बदले? 

IC-814 वेब सीरीज को लेकर केंद्र सरकार ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। केंद्र सरकार ने Netflix से कहा है कि तथ्यों को गलत तरीके से पेश नहीं किया जा सकता। सरकार ने पूछा कि अपहर्ताओं के असली नाम बताने के लिए बार-बार कैप्शन क्यों नहीं लगाया? अपहर्ता मजबूत और अफसर कमजोर क्यों दिखाए? नेटफ्लिक्स ने कहा कि आगे से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का खास ख्याल रखेंगे। आरोप है कि इस वेब सीरीज में आतंकवादियों के हिंदू नाम रखे गए हैं। सोशल मीडिया पर इसका जबरदस्त विरोध हो रहा है। 

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