सांसद इंजीनियर राशिद आए तिहाड़ जेल से बाहर, अब कर सकेंगे चुनाव प्रचार! देखें वीडियो

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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इंजीनियर राशिद तिहाड़ जेल से बाहर आए

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तिहाड़ जेल में बंद था राशिद

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2 अक्टूबर तक मिली है बेल

Engineer Rashid Latest News: जम्मू-कश्मीर की बारामूला सीट से सांसद इंजीनियर राशिद अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आ गए हैं। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आतंकी फंडिंग मामले में राशिद को 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी है। ये जमानत उन्हें आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने के लिए दी गई है। हालांकि उन्होंने 3 महीने के लिए अंतरिम जमानत मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें 2 अक्टूबर तक जमानत दी। 

हालांकि आरोपी राशिद की नियमित जमानत अर्जी पर आदेश अभी लंबित है।

तिहाड़ जेल में बंद था राशिद

राशिद उत्तरी कश्मीर से दो बार एमएलए रह चुके हैं। हालांकि पिछले पांच सालों से वे यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) के एक मुकदमे में सजा काट कर रहे हैं। वो तिहाड़ जेल में बंद है। राशिद पहले अवामी इत्तेहाद पार्टी से जुड़े थे। इस चुनाव में वे निर्दलीय उम्मीदवार थे। 2019 में भी राशिद ने चुनाव लड़ा था। वो नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुहम्मद अकबर लोन से हार गए थे।

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2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने टैरर फंडिंग के आरोप में राशिद को गिरफ्तार कर लिया, तभी से वो तिहाड़ जेल में बंद है। उनका चुनाव प्रचार उनके दो बेटों ने मैनेज किया। उनके बेटों के नाम अबरार राशिद और असरार राशिद है। 

जेल से बाहर आने पर शेख अब्दुल राशिद ने कहा, "मैं अपने लोगों को निराश नहीं करूंगा। मैं शपथ लेता हूं कि मैं पीएम मोदी के 'नया कश्मीर' नैरेटिव से लड़ूंगा, जो जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह नाकाम हो गया है।'

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क्या मामला था राशिद के खिलाफ?

उनकी पार्टी आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है। राशिद की पार्टी का नाम अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) है। इसी साल 5 जुलाई को अदालत ने राशिद को लोकसभा चुनाव में जीत के बाद शपथ ग्रहण करने के लिए कस्टडी पैरोल दी थी। राशिद को 2017 के Terror-Funding मामले में एनआईए ने अरेस्ट किया था। राशिद का नाम कश्मीरी व्यवसायी जहूर वटाली की जांच के दौरान सामने आया था, जिसे एनआईए ने घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों को कथित तौर पर Funding करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 

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इस केस में कौन-कौन पहले हो चुके हैं गिरफ्तार

जांच एजेंसी ने इस मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन समेत कई लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। मलिक को आरोपों में दोषी ठहराए जाने के बाद 2022 में एक ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 
 

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