इलाके में था महिला दरोगा का भौकाल, वर्दी देखते ही सलाम ठोंकते थे लोग, 8 साल बाद खुला ऐसा राज!

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इलाके में था महिला दरोगा का भौकाल, वर्दी देखते ही सलाम ठोंकते थे लोग, 8 साल बाद खुला ऐसा राज!
Deoria News
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UP News: आपने सुना होगा कि यूपी पुलिस का जलवा तो सब जगह चलता है. लेकिन इस बार जलवा दिखाया एक ऐसी महिला ने, जो असली पुलिस वाली नहीं, बल्कि फर्जी दरोगा निकली. अब आपको ले चलते हैं देवरिया के खामपार, जहां पुलिस ने धर लिया इस फर्जी दरोगा को.

यूपी के देवरिया में पुलिस की नजरों से भला कौन बच सकता है? यहां खामपार के एसओ महेंद्र चतुर्वेदी की बारीक नज़र पड़ी एक महिला पर... जो पुलिस की वर्दी पहने बाइक पर सवार होकर गांव की तरफ जा रही थी. एसओ साहब का शक हुआ और ऐसा हुआ कि जैसे आंखों के सामने कोई फिल्म चल रही हो. वर्दी तो पुलिस की थी मगर अंदाज़ कहीं से भी पुलिस वाला नहीं. बस फिर क्या था? फौरन महिला से पूछताछ शुरू.

अब ये पुलिस वाले भी न... पूछने लगे... मैडमजी, कहां से आ रही हैं? महिला थोड़ी घबराई और बोली. लखनऊ से पुलिस ने फिर पूछा, अरे, वर्दी कहां से लाईं? अब जनाब, यहां पर जो जवाब आया, वो तो मस्त ही था. मैडम बोलीं, दुकान से खरीदी है. हां भई, जैसे वर्दी भी अब आलू-प्याज की तरह बाजार में बिकने लगी हो.

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औरत को फर्जी वर्दी पहनने का शौक था या फ्री में ट्रेन की सवारी करनी थी. ये तो वही जाने लेकिन गांव पहुंचने से पहले ही इनकी स्क्रिप्ट का इंटरवल हो गया. पुलिस ने इन्हें पकड़ लिया और थाने ले आई

यह मैडम रजनी दुबे निकलीं खामपार के निसनिया पकौली की रहने वालीं, लेकिन फिलहाल लखनऊ में रहती थीं. अपने बच्चों को पढ़ाती थीं. और छठ महापर्व पर अपने गांव आई थीं लखनऊ से ट्रेन पकड़ी, लेकिन सफर में पुलिस वाली बनने का मन कर गया. हां, ये बात अलहदा है कि यूपी पुलिस को ये ड्रेसअप बिल्कुल नहीं भाया.

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हमने जब कड़ी पूछताछ की, तो महिला डर गई. उसने कबूल किया कि वह फर्जी दरोगा है. वर्दी बाजार से खरीदी है. मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. अब आप सोच रहे होंगे. क्या धूम-4 का कोई सीन था या स्पेशल 26 की सीक्वल.... लेकिन नहीं, ये था असली छठ स्पेशल ड्रामा. अब पुलिस ने मैडमजी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है, और जांच जारी है. और आखिर में रजनी दुबे को मुचलके पर छोड़ दिया गया. मतलब, फर्जी दरोगा का किरदार अब खत्म.... घर गईं, लेकिन छठ का पर्व इस बार थाने के दर्शन के साथ मनाया.

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