पुलिसवालों का दोस्त निकला 19 साल के आर्यन का हत्यारा, गौरक्षा के नाम पर ऐसे करता था गुंडई..

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पुलिसवालों का दोस्त निकला 19 साल के आर्यन का हत्यारा, गौरक्षा के नाम पर ऐसे करता था गुंडई..
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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गौरक्षा के नाम पर गुंडई का पुराना रिकॉर्ड

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पुलिसवालों से नजदीकी थी हत्या के आरोपी की

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प्रॉपर्टी डीलर का काम करता है आरोपी गौरक्षक

शुभम तिवारी और आकाश शर्मा की रिपोर्ट

Faridabad: फरीदाबाद में 24 अगस्त को गौ तस्करी के शक में बारहवीं के छात्र आर्यन मिश्रा को गोली मारने वाले अनिल कौशिक के लिये आधी रात को सड़कों पर गाड़ियों का पीछा करना कोई नई बात नहीं थी। कौशिक और उसके गुट के गौरक्षक ये काम अक्सर किया करते थे। स्थानीय पुलिस की सरपरस्ती में इलाके में अपना प्रभाव बनाने के लिये वो न सिर्फ गौ तस्करी के शक में गाड़ियों का पीछा करते थे बल्कि कई मौकों पर मवेशी लाने ले जाने वाले लोगों के साथ बदसलूकी और मारपीट भी किया करते थे।

गौरक्षा के नाम पर चल रहा खतरनाक खेल

अपनी गाड़ी से आर्यन मिश्रा का पीछा कर उसे गोली मारने वाले पांच लोगों के गुट का सरगना 38 साल का अनिल कौशिक ही था। उसी के इशारे पर उसके साथियों ने 20 से 25 किलोमीटर तक आर्यन और उसके दोस्तों को गौ तस्कर समझ उनक डस्टर कार का पीछा किया और फिर गोली चला कर आर्यन की हत्या कर दी। हालांकि घटना के कई दिनों बाद आज भी इस घटना की कई कड़ियां अनसुलझी मालूम देती हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि महज शक के आधार पर उसने इतनी दूर तक आर्यन की कार का पीछा क्यों कियालेकिन इन अनसुलझे सवालों का जवाब मिला इंडिया टुडे की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम की तहकीकात में। दरअसल नेशनल और स्टेट हाइवे हों या फिर गांव और कस्बों की सड़कें, खतरनाक ढंग से गाड़ी चला कर गौ तस्करों का पीछा करना और उन्हें घेर कर अपने मन मुताबिक सजा देना अनिल कौशिक जैसे स्वयंभू गौ रक्षकों के लिये रोज की बात है। ये सभी गौ रक्षक इस इलाके में उनके संगठन 'लिव फॉर नेशन' (Live For Nation) के बैनर तले काम करते हैं जिसे उन्होंने लगभग 8 साल पहले रेजिस्टर करवाया था। इस संगठन से जुड़े सोशल मीडिया हैंडल्स पर मौजूद फुटेज को देख कर पता चलता है कि इस गुट से जुड़े गौरक्षक अक्सर रात में गौ तस्करों को पकड़ने के लिए ट्रकों, मिनी ट्रकों, जीपों और कारों का पीछा करते हैं

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120 किमी की स्पीड में टकराई गाड़ी

गौ रक्षक दल 'लिव फॉर नेशन' के यूट्यूब चैनल पर तीन साल पहले पोस्ट किए गए एक वीडियो में दावा किया गया है कि रात की गश्त के दौरान उनकी टीम 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दो लेन वाली सड़क पर एक दूसरी गाड़ी से टकरा गई थी। फेसबुक और यूट्यूब पर उनके और उनकी टीम की ओर से की गई पोस्ट के मुताबिक, ऐस ही एक खतरनाक कार चेज आगरा-मथुरा हाइवे पर  60 किलोमीटर तक चलअंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि ये तथाकथित गौरक्षक गौरक्षा के नाम पर कैसे सड़क पर चलने वाले आम लोगों की जान खतरे में डालते हैं। इस गौरक्षा दल से जुड़े सदस्यों, खासतौर से अनिल कौशिक की कुख्यात गौरक्षक मोनू मानेसर के साथ तमाम तस्वीरें सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। वही मोनू मानेसर जिस पर साल 2023 में मुस्लिम समुदाय के दो लोगों की हत्या कर उनके शवों को गाड़ी समेत जला देने का आरोप है। इसी संगठन से जुड़े एक सदस्य ने तो खुलेआम कहा कि उनका गुट लगातार मोनू मानेसर के संपर्क में रह कर ही गौरक्षा का काम करता है।

पुलिस ने बढ़ाए गौरक्षकों के हौसले

कौशिक ने पुलिस के साथ मिल कर भी गौ तस्करी को रोकने के लिये कई बार अभियान चलाया। इस तरह के अभियान से जुड़े वीडियो संगठन के सोशल मीडिया अकाउंट पर अब भी देखे जा सकते हैं। इन वीडियो में गौ रक्षक और पुलिस एक टीम की तरह काम करते देखे जा सकते हैं। जाहिर है इन्हें देखने के बाद शक की कोई गुंजाइश नहीं कि मोनू मानेसर की तरह ही अनिल कौशिक और उसके गुट के गौरक्षक पूरी तरह से पुलिस की सरपरस्ती में अपना काम कर रहे थे। बल्कि 2021 की एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये पता चलता है कि गौरक्षकों का ये संगठन इतना ताकतवर हो चुका था कि एक स्टेशन हाउस अफसर (एसएचओ) का ट्रांस्फर तक रुकवा दिया। कम से कम अपनी पोस्ट के जरिये तो अनिल कौशिक ने यही दावा किया है। इस पोस्ट में गौरक्षक समूह के सदस्य इंस्पेक्टर राधे श्याम के दफ्तर में मिठाई के साथ उनकी पैरवी में मिली कामयाबी का जश्न मनाते दिख रहे हैं।

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दिन में प्रॉपर्टी डीलर रात में गौ रक्षक

2022 में भी कौशिक ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक तस्वीर साझा की, जिसके बारे में उसने दावा किया कि ये फ़रीदाबाद में पुलिस अपराध शाखा के तीन अधिकारियों के साथ उनकी 'लिव फ़ॉर नेशन' टीम की बैठक के दौरान क्लिक की गई थी। इसके अलावा कौशिक और उसकी टीम के सदस्यों की पिस्तौल और अत्याधुनिक बंदूकों के साथ  पोस्ट किए तमाम तस्वीरें और वीडियो फेसबुक और यूट्यूब पर अब भी मौजूद हैं। अनिल कौशिक की वीडियो और लिंक्डइन प्रोफाइल देखें तो वो गायों को बचाने के अलावाफरीदाबाद के न्यू इंडस्ट्रियल टाउनशिप में प्रॉपर्टी डीलिंग का धंधा भी चलाता है और 'एलएफएन ग्रुप' ब्रांड नाम के तहत गाय के गोबर और धूप से बनी पूजा सामग्री भी ऑनलाइन बेचता है।

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एनजीओ बना कर चला रहा गोरखधंधा

अनिल कौशिक ने 'लिव फॉर नेशन' को 'सोसाइटी' के तौर पर 05 मई, 2016 को रेजिस्टर कराया था। आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक इस एनजीओ को अभी तक किसी भी जरिये,किसी भी तरह का फंड नहीं मिला है। अपने प्रोफाइल पर एलएफएन ने गौरक्षा के अलावा वृक्षारोपण को अपनी बड़ी कामयाबी के तौर पर पेश किया है। फेसबुक पर, कौशिक के 10,000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं, जबकि उनके संगठन के 90,000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। यूट्यूब पर इके 25,000 से अधिक सबस्क्राइबर हैं और ये अपनी पोस्ट्स के जरिये गौरक्षा से जुड़ी अपीलें,सड़क पर गौ तस्करों का पीछा करते वीडियोज,पुलिस अफसरों से मिलने मिलाने की तस्वीरें,रने और प्रदर्शन के वीडियो और कई बार तो गौरक्षा को लेकर धमकियां भी पोस्ट करता है। 

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