छावला गैंग रेप : 'इस फैसले के बाद अब जीने का कोई मकसद नहीं बचा'
Supreme Court Verdict on Gangrape Case: एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने छावला रेप केस के आरोपियों को बरी किया, दूसरी ओर पीड़िता की मां ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपनी हार बता दिया।
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संजय शर्मा के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट
Supreme Court Verdict on Gangrape Case : एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने छावला रेप केस के आरोपियों को बरी किया, दूसरी ओर पीड़िता की मां ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपनी हार बता दिया। उन्होंने कहा, 'मैं हार गई। इस फैसले के इंतजार में हम जिंदा थे, लेकिन अब हार गए। हमें उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से उनकी बेटी को इंसाफ मिलेगा, लेकिन इस फैसले के बाद अब जीने का कोई मकसद नहीं बचा।'
Chawla Case: ये बातें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहीं। उन्होंने कहा कि अब दोबारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। उधर, पीड़िता की वकील चारू वली का कहना है कि इस फैसले के खिलाफ वो फिर अदालत का रुख अख्तियार करेंगी। गौरतलब है कि अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए 10 साल तक कई अदालतों के चक्कर काटे। निचली अदालत और हाईकोर्ट ने गैंगरेप और हत्या से जुड़े इस केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर' मानते हुए तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल पुराने इस मामले में फैसले को पलट दिया और आरोपियों को बरी कर दिया।
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दरअसल घटना 14 फरवरी 2012 को दिल्ली के छावला इलाके में हुई थी। उत्तराखंड की 'निर्भया' अपने काम पर जाने के लिए घर से निकली थी। उस दिन वो देर शाम तक घर नहीं लौटी तो परिजन चिंतित हुए। घबराए परिजनों ने उसकी काफी तलाश की। लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। बहुत खोजने के बाद इतनी सूचना जरूर मिली कि कुछ लोग एक लड़की को गाड़ी में डालकर दिल्ली से बाहर ले जाते हुए दिखाई दिए हैं। बाद मेंअभियुक्तों ने उसके साथ रेप के बाद आंखों में तेजाब तक डाल दिया था। उसका शव रेवाड़ी में मिला था।
पुलिस ने आरोपियों के 16 फरवरी को डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लिए, लेकिन 11 दिनों तक सैंपल पुलिस थाने के मालखाने में पड़े रहे। यानी 27 फरवरी को वो सैंपल सीएफएसएल भेजे गए। पुलिस की इसी लापरवाही का कोर्ट में दोषियों को फायदा मिला।
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