Drug Addiction ने पहुँचाया दोनों शूटरों को मौत के जाल में, इस गैंगस्टर ने की थी मुखबिरी
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Sidhu Moose wala Murder: 29 मई को सिंगर सिद्धू मूसेवाला मर्डर (Moose Wala Murder) मामले में पंजाब पुलिस (Punjab Police) की हालत सांप छछूंदर जैसी हो गई थी। क्योंकि दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की स्पेशल सेल (Special Cell) इस केस से जुड़े किरदारों को एक के बाद एक करके दबोचती जा रही थी।
उसी ने सबसे पहले इस शूटआउट के मास्टरमाइंड लॉरेंस बिश्नोई को अपने सवालों के घेरे में लिया। और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ही सबसे पहले उन शूटरों का पता लगा जिन्होंने सिद्धू मूसेवाला पर गोली चलाई थी। यहां तक कि सबसे पहली गिरफ्तारी प्रियव्रत फौजी के रुप में उसने कर भी डाली थी। उसके बाद बची खुची कसर अंकित सिरसा और उसके साथी को दबोचने के साथ पूरी कर दी।
उधर पंजाब मॉड्यूल के मन्नू और रूपा का कोई पता नहीं चल रहा था। पंजाब पुलिस हर ज़र्रा खंगालने में जुटी हुई थी। मगर वो कामयाबी से दूर ही थी। मगर इस बीच इन दोनों शूटरों के बारे में छानबीन करते करते पुलिस ये तो जान चुकी थी कि मन्नू और रूपा दोनों ही जग्गू भगवानपुरिया गैंग के गुर्गे हैं, और दोनों ने भगवानपुरिया के इशारे पर ही इस शूटआउट में शामिल हुए।
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Sidhu Moose wala Murder: तब पंजाब पुलिस ने तिहाड़ जेल में बंद जग्गू भगवानपुरिया को हिरासत में लिया और उससे इन दोनों शूटरों का पता पूछना शुरू किया। जग्गू पुलिस को दोनों शूटरों का पता तो नहीं बता पाया, अलबत्ता एक ऐसी बात पुलिस को बता दी जिसने पुलिस की आंखों में चमक और चाल में चपलता भर दी। पुलिस को ये पता चल गया कि वो दोनों हरियाणा मॉड्यूल के शूटरों की तरह ही मन्नू और रूपा भी मूसेवाला की हत्या के बाद कुछ दिनों के लिए पंजाब से बाहर चले गए थे, लेकिन अब दोनों पंजाब लौट आए हैं और कहीं पंजाब में ही छुपे हैं।
लेकिन इससे भी ज़्यादा अहम बात पुलिस को ये पता चली कि
मनप्रीत मन्नू और जगरूप रूपा दोनों ही नशे के आदी हैं। कई सालों से हेरोइन समेत दूसरे कई तरह के नशा करते रहे हैं। और बिना नशे के वो दोनों रह नहीं सकते। पंजाब के बाहर दोनों के लिए नशे का इंतज़ाम कर पाना आसान भी नहीं है। ऐसे में दोनों के पास पंजाब लौटने के सिवाय कोई चारा नहीं है।
पुलिस के लिए इतनी जानकारी बहुत थी। उसने पंजाब आने वाले हर रास्ते पर पहरा सख्त कर दिया। और ऐसे नाक के तेज़ लोगों को अलग अलग मोर्चों पर तैनात किया जो सूंघते ही दोनों की खबर पंजाब के किसी भी थाने तक पहुँचा सकें।
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इसके बाद पुलिस ने पंजाब में नशे के धंधेबाज़ों पर नकेल कसनी शुरू की। और पिंड दर पिंड और शहर दर शहर अपने मुखबिरों को अलर्ट मोड पर तैनात कर दिया। बस पुलिस को इतनी खबर लगने की देर थी कि मन्नू और रूपा को नशा खरीदते कहीं देखा गया। मगर इस मामले में पुलिस को थोड़ा बैकफुट पर ही रहना पड़ा क्योंकि पुलिस की ही तरह गोल्डी बराड़ और लॉरेंस के खबरी भी पुलिस की एक एक हरकत पर नज़र रखे हुए थे।
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Shooter & Encounter: लिहाजा मन्नू और रूपा को भी ये खबर लग रही थी कि पुलिस कैसे कैसे उन्हें पकड़ने की चालें चल रही है। मगर नशे की लत दोनों शूटरों पर भारी पड़ गई और अपने सरगनाओं की बातों को नज़रअंदाज करने के लिए मजबूर हो गए।
उधर मामूली से मामूली जानकारी भी पुलिस को लगातार शूटर मन्नू और रूपा के नज़दीक पहुंचाती जा रही थी। अब बस पुलिस को इंतजार था, उस पिन प्वाइंट इनफॉर्मेशन का, जिसकी बदौलत पुलिस दोनों तक पहुंच पाती। इसी बीच पुलिस को अपने मुखबिरों के ज़रिए ये खबर मिलती है कि मन्नू और रूपा दोनों ही पंजाब के सरहदी जिले अमृतसर के अटारी इलाके के एक गांव में छुपे हो सकते हैं।
सवाल ये उठ सकता है कि आखिर अमृतसर का अटारी ही क्यों। असल में इसकी दो वजह थीं। पहली कि रुपा उसी इलाके का रहने वाला था और इस इलाके में उसको नशे की खेप आसानी से मिल सकती थी। इसके अलावा यहां से पाकिस्तान जाने का रास्ता उसे आसानी से ढूंढ़े मिल सकता था। इस इत्तेला के मिलते ही पुलिस ने इस लीड को डेवलप करना शुरू किया
इस कोशिश में पुलिस को दोनों की पहली लोकेशन तरनतारन जिले के एक गांव गुलालीपुर में मिली। पंजाब पुलिस ने गुलालीपुर में दोनों की घेरेबंदी की कोशिश की। मगर सूत्रों की मानें तो पुलिस के इस हलचल की खबर मन्नू और रूपा को हो गई और दोनों ही घेरेबंदी से पहले गुलालीपुर से निकल अटारी के चिचा भकाना गांव पहुंच गए। जहां उन्होंने गांव में ही एक वीरान पड़ी हवेली को अपना ठिकाना बना लिया।
Shooter & Encounter: लेकिन अब पुलिस लगातार दोनों की लोकेशन टैक कर रही थी और पुलिस ने उनका पीछा करना भी शुरू कर दिया था। और तब 20 जुलाई की सुबह 11 बजते-बजते पुलिस को दोनों की फाइनल पिन प्वाइंट लोकेशन पता चली, और वो लोकेशन थी चिचा भकाना गांव की वही पुरानी हवेली, जो दोनों के छुपने का आखिरी ठिकाना साबित हुई और जिस हवेली में हुए एनकाउंटर के बाद आखिरकार दोनों ढेर कर दिए।
दोनों के पुरानी हवेली में छुपने के कुछ ही देर बाद पुलिस इस गांव में पहुंच चुकी थी। लेकिन पुलिस ने पहले सादे लिबास में 2 किलोमीटर की हद में पूरे गांव की घेरेबंदी की और फिर हवेली की। इसके बाद पुलिस ने आस-पास के घरों को खाली करवाने की कोशिश शुरू की। गांववालों ने पुलिस का पूरा साथ दिया। और तब आखिरकार माइक के सहारे मन्नू और रूपा को हथियार डाल देने की आखिरी चेतावनी दी गई।
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