’12 हजार कमाता है, 10 हजार बेटे को देता है, ये जिएगा कैसे?’ पत्नी मांग रही थी पैसे तो जज ने पूछा सवाल
Court News: कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक घरेलू विवाद के मामले में पति से गुजारा भत्ता मांगने पर हैरानी जताते हुए एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की. सुनवाई के दौरान जज को यह पता चला कि एक व्यक्ति, जो हर महीने केवल ₹12,000 कमाता है, अपने बच्चे के लिए ₹10,000 महीने का भुगतान कर रहा है.
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Court News: कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक घरेलू विवाद के मामले में पति से गुजारा भत्ता मांगने पर हैरानी जताते हुए एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की. सुनवाई के दौरान जज को यह पता चला कि एक व्यक्ति, जो हर महीने केवल ₹12,000 कमाता है, अपने बच्चे के लिए ₹10,000 महीने का भुगतान कर रहा है. इस मामले की सुनवाई का वीडियो कर्नाटक उच्च न्यायालय के यूट्यूब चैनल पर पोस्ट हुआ था, और यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. कर्नाटक हाई कोर्ट का यूट्यूब चैनल राज्य की न्यायपालिका में होने वाली कोर्ट हॉल की कार्यवाही और अन्य घटनाओं की लाइव स्ट्रीमिंग करता है.
पत्नी मांग रही थी पैसे तो जज ने पूछा सवाल
एक व्यक्ति की मामूली कमाई और बच्चे की देखभाल के लिए बड़े खर्चे के बीच संतुलन की कोशिश पर जज की टिप्पणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है. वीडियो में जज को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "सबसे पहले यह समझना चाहिए कि एक व्यक्ति जो केवल ₹12,000 कमाता है, उसे ₹10,000 भरण-पोषण के लिए देने का आदेश कैसे दिया जा सकता है. उस व्यक्ति की भी अपनी ज़िंदगी है. उसे ज़िंदा रहने के लिए ₹2,000 बहुत कम हैं. ऐसे में यह आदेश समझ से परे है. किस आधार पर कोर्ट यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि ₹10,000 भरण-पोषण के लिए उचित है? खर्च की कोई सीमा नहीं होती, लेकिन कोर्ट को यह समझने की जरूरत है कि उस व्यक्ति का क्या होगा जो इतने कम पैसे में अपनी ज़िंदगी बिताने की कोशिश कर रहा है."
वायरल वीडियो में और क्या है?
मुकदमे की कार्यवाही की शुरुआत में, पत्नी के वकील ने जज को बताया कि गुजारा भत्ता की मांग के तहत यह याचिका दायर की गई है. इसके बाद न्यायाधीश ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई रकम के बारे में पूछा. वकील ने बताया कि पत्नी को कुछ भी नहीं दिया गया है, लेकिन बेटे के लिए प्रति माह ₹10,000 की अनुमति मिली है.
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इसके बाद जज ने पति की इनकम के बारे में पूछा. पत्नी के वकील ने जवाब दिया कि पति की सैलरी ₹62,000 है. हालांकि, पति के वकील ने स्पष्ट किया कि उनके मुवक्किल की सीटीसी ₹18,000 प्रति माह है और टेक-अवे सैलरी केवल ₹12,000 है. इस पर जज ने कहा, "वह कैसे जिएगा?" उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अगर पति की सैलरी बढ़ गई है, तो पत्नी बच्चों की देखभाल के खर्च में वृद्धि के लिए अलग से आवेदन दायर कर सकती है.
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