PUBG Gaming Disorder: बच्चों को खूनी बना रहे ऑनलाइन वीडियो गेम, WHO ने बीमारी कहा

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PUBG Gaming Disorder: बच्चों को खूनी बना रहे ऑनलाइन वीडियो गेम, WHO ने बीमारी कहा
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PUBG MURDER: लखनऊ में एक नाबालिग लड़के ने अपनी मां को अपने ही पिता के पिस्तौल से एक दो नहीं पूरी छह गोलियां मारी। और फिर मां की मौत के बाद तीन दिन तक शव के साथ वो उसी घर में रहा। इस खबर के लखनऊ के उस मकान से बाहर आते ही पूरे देश में कोहराम मच गया।

सवाल उठा कि एक नाबालिग लड़के ने आखिर क्यों अपनी मां को गोली मारी, जवाब था मां ने PUBG खेलने से पर टोका था और रोका था।

PUBG की वजह से क़त्ल की ये इकलौती खूनी वारदात नहीं है...बल्कि पूरे देश में ऐसी कई खबरें वक़्त वक़्त पर सामने आती रही, एक बानगी देखिये...

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इसी साल 22 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में एक नौजवान दुर्गा प्रसाद ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली...वजह सामने आई..मां बाप ने उस लड़के को PUB G खेलने से रोका था।

मध्यप्रदेश के देवास में पिछले साल PUBG की वजह से एक लड़के की जान चली गई। देवास के शांति नगर इलाक़े में ये घटना हुई..जिसके बारे में सुनकर सभी बुरी तरह चौंक गए थे...क्योंकि जिस लड़के की जान गई वो मरने से पहले ज़ोर से चीखा था और फिर हमेशा के लिए खामोश हो गया।

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साल 2020 में उत्तर प्रदेश के मथुरा में पीयूष शर्मा ने PUBG खेलने की वजह से खुदकुशी कर ली...जबकि साल 2019 में हैदराबाद के एक स्टूडेंट ने इसी PUBG खेल की वजह से अपनी जान दे दी।

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ONLINE Gaming Addiction: ये सिलसिला पिछले कुछ सालों से यूं ही चला आ रहा है। दिन तारीख और जगह बेशक बदलते दिख रहे हों...लेकिन इन तमाम जगहों पर मौत की वजह एक ही सामने आई PUB G

आजकल बच्चों खासतौर पर किशोरावस्था के बच्चों में ऑनलाइन गेम का चस्का सिर चढ़कर बोल रहा है। और ये चस्का किसी नशे की तरह सयाने होते बच्चों को अपनी चपेट में लेता जा रहा है। और यही ऑनलाइन गेम की लत इन कच्ची मिट्टी वाले बच्चों को ख़ौफ़नाक खूनी साज़िश रचने में भी माहिर बनाती जा रही है।

ऑनलाइन गेमिंग और उसके चस्के को लेकर दुनिया भर की कई यूनिवर्सिटीज़ में मनोवैज्ञानिक लगातार रिसर्च भी कर रहे हैं। और इस रिसर्च के जो नतीजे अभी तक सामने आए हैं वो बेहद चौंकाने वाले भी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जैसे निकोटीन और मॉर्फीन जैसा नशा इंसान के दिमाग पर असर डालता है और उसकी लत पड़ जाती है...

OnLine Gaming Addiction: ठीक उसी तर्ज पर ऑनलाइन गेमिंग का चस्का भी है जिससे इंसान उसका आदी हो जाता है। दूसरी लत की ही तरह इसे भी एक नाम दिया जा रहा है गेमिंग डिसऑर्डर। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बीमारी से ग्रसित लोग इसी बात पर दांव लगाते रहते हैं कि वो किस तरह किसी साज़िश या चाल को स्कीम कर सकते हैं। और इस चक्कर में वो लोग अपनी ज़िंदगी तक दांव पर लगाने से नहीं चूकते।

एक मनोवैज्ञानिक का मानना है कि ऑनलाइन गेम की लत असल में बढते हुए बच्चों के विकास के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट भी है। लेकिन अगर उसे गेम के आदी बच्चों के नज़रिये से देखें तो ऑनलाइन गेम के अलग अलग लेवल पार करना ही उनके लिए सबसे बड़ी कामयाबी हो जाती है।

PUBG MURDER STORY: JAMA नेटवर्क ओपन की एक रिसर्च तो और भी ज़्यादा चौंकाती है। JAMA की रिसर्च के मुताबिक जिन लड़कों को लड़ाई झगड़े या हिंसा वाले वीडियो गेम देखते हैं या फिर उसे खेलते हैं तो उनमें बंदूक को हाथ में लेने या उसका इस्तेमाल करने की प्रबल इच्छा जाग्रत होती है।

JAMA के शोधकर्ताओं ने इस सिलसिले में 200 बच्चों पर एक रिसर्च की। आधे बच्चों को गैर हिंसा वाले वीडियो गेम खेलने को दिए गए जबकि आधे बच्चों को ऐसे वीडियो गेम खिलाए गए जिनमें ज़बरदस्त हिंसा और बंदूकों का इस्तेमाल था।

रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन बच्चों ने गैर हिंसा वाले वीडियो गेम खेले उनमें से सिर्फ 44 फीसदी बच्चों ने ही गन पकड़ने की इच्छा ज़ाहिर की। जबकि जिन बच्चों ने हिंसा और बंदूकों के इस्तेमाल वाले वीडियो गेम खेले तो उनमें से 66 फीसदी से ज़्यादा बच्चों ने बंदूक पकड़कर उसे चलाने की भी इच्छा ज़ाहिर की।

इस रिसर्च ने सामने आकर ऑनलाइन वीडियो गेम पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी WHO ने इस शोध के हवाले से इसे इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज़ के सबसे नए संस्करण के तहत वीडियो गेम की लत को बीमारी यानी गेमिंग डिसऑर्डर के तौर पर बाक़ायदा क्लासिफाई कर दिया है।

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