थ्रिलर स्टोरी है अहमदाबाद 'सीरियल ब्लास्ट' की जांच, इन सात राज्यों में छुपे थे गुजरात के गुनहगार

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थ्रिलर स्टोरी है अहमदाबाद 'सीरियल ब्लास्ट' की जांच, इन सात राज्यों में छुपे थे गुजरात के गुनहगार
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इनवेस्टिगेशन का मुश्किल टास्क

TERROR STORY: अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट की आतंकी वारदात के 13 साल 6 महीनें और 23 दिन के बाद आरोपियों को बेशक सज़ा मिल गई। मगर ये पूरी वारदात और उसके बाद उसकी परत दर परत जांच का क़िस्सा आज भी किसी थ्रिलर कहानी से कम नहीं है। जिसमें एक्शन भी है, ग़ुस्सा है, ड्रामा भी है और ट्रॉमा भी।

26 जुलाई की शाम 6 बजकर 45 मिनट पर हुए धमाके के बाद अहमदाबाद पुलिस के हाथ पाव फूल चुके थे। अहमदाबाद शहर के 21 अलग अलग जगहों पर बिखरे तबाही और बर्बादी के निशान ने पुलिस और जांच एजेंसियों के लिए एक अलग तरह की चुनौती खड़ी कर दी थी।

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बिखरे हुए सबूतों को इकट्ठा करने की चुनौती

GUJRAT BLAST INVESTIGATION STORY: पुलिस के सामने सबसे पहली और सबसे बड़ी चुनौती तो यही थी कि शहर भर में बिखरे तबाही के उस मलबे से उन आतंकियों का अक्स तलाशना जिन्होंने एक तरह से पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को चैलेंज देते हुए इस धमाके को अंजाम दिया और धमाके के उठे हुए गुबार की आड़ लेकर भीड़ में खो गए थे।

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धमाके के अगले रोज़ यानी 27 जुलाई को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को एक मुश्किल टास्क मिला। टास्क था ये पता लगाना कि इस बम धमाके के पीछे कौन है? आतंकवादी कहां से आए? ब्लास्ट में जो सामान इस्तेमाल किया गया वो कहां से आया और आतंकियों ने ये इम्प्रोवाइज्ड बम आखिर कहां तैयार किया?

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बर्बादी के उस ढेर से अपने मतलब के सुराग और सबूतों को इकट्ठा करना और बिखरी हुई कड़ियों को जोड़कर आतंकियों के चेहरे तैयार करने का ये टास्क किसी भी सूरत में किसी भी पुलिस के लिए मामूली नहीं था। ये अंधेरे में एक सुई ढूंढ़ने जैसा टास्क था।

अंधेरे में हाथ पाव मारने से हुई जांच की शुरुआत

TERROR INVESTIGATION: अहमदाबाद पुलिस की टीम ने धमाके वाले दिन के अगले ही रोज से मौका-ए-वारदात से सुराग़ तलाशने शुरू कर दिए। बारूद से फैली तबाही के उस बिखरे हुए मलबे में से पुलिस को सबसे पहले ये पता चला कि धमाके में अमोनियम नाइट्रेट के साथ साथ वुडेन फ्रेम यानी लड़की का फ्रेम, बैटरी, और घड़ी इस्तेमाल की गई थी।

इससे पहले किसी भी धमाकों में ऐसा सामान इस्तेमाल कभी नहीं किया गया था लिहाजा इन सुरागों ने जांचकर्ताओं को और भी गहरे अंधेरे की ओर धकेल दिया। अंधेरे में हाथ पाव मारते हुए जांच करने वाली 350 पुलिसवालों की टीम सिर्फ अंदाज़ा लगाकर एक एक कदम आगे बढ़ा रही थी।

तभी क्राइम ब्रांच के एक सूत्र ने उन्हें रोशनी की एक झलक दिखाई, जब जांच अधिकारियों को ये पता लगा कि आतंकियों ने अहमदाबाद के ही दाणीलीमड़ा इलाक़े में ही एक घर में बम और बव बनाने का सामान रखा था।

जांच टीम चार महीनों तक घर नहीं गई

GUJRAT TERROR UPDATE: इस इकलौते सबूत ने पुलिसवालों की बांछें खिला दीं। क्योंकि ये उनके लिए अंधेरे में एक ऐसी रोशनी थी जिसमें बहुत कुछ नज़र आने की गुंजाइश बन गई थी। उस पहले सुराग के मिलने के बाद जांच करने वालों ने दिन रात एक कर दिए, यहां तक कि चार महीनों तक उन लोगों ने घर का मुंह तक नहीं देखा।

अहमदाबाद के धमाके के बाद से मिले सुरागों को इकट्ठा करने के बाद पुलिस की टीम ने देश के अलग अलग हिस्सों में उससे पहले हुए धमाकों के बारे में एक एक बारीक से बारीक बातों पर गौर करना शुरू किया। साथ ही उन तमाम लोगों के बारे में भी तमाम जानकारियां इकट्ठी कर ली जिन्हें अब तक पकड़ा जा चुका था। इस कवायद से जांच टीम को एक ही साथ कई लीड मिलीं।

2000 किलोमीटर तक फैले थे आतंकी

TERROR INVESTIGATION IN HINDI:जो भी लीड मिलती जांच करने वाली टीम न सिर्फ उनकी तह तक जाती बल्कि अपनी टेक्निकल टीम और ह्यूमन इंटेलिजेंस के सहारे उसे कड़ियों में पिरोकर रख लेती। एक एक सुराग के सहारे ज़र्रा ज़र्रा जोड़ते जोड़ते आखिरकार जांचकर्ता तफ्तीश के उस सिरे तक जा पहुँचे जहां पर खड़े आतंकी उन्हें नज़र आने लगे थे। मगर वो आतंकी अहमदाबाद से क़रीब 1150 किलोमीटर दूर कर्नाटक और क़रीब 2000 किलोमीटर दूर केरल में छुपे बैठे थे।

अब ये चैलेंज और भी ज़्यादा बड़ा हो गया कि आखिर इतनी दूर दूसरे राज्य के अनजान इलाक़े में छुपे आतंकियों को पकड़कर अहमदाबाद कैसे लाया जाए। क्योंकि रास्ते में उन पर आतंकी हमला होने का भी ख़तरा था। लेकिन अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की एक टीम ने इस टास्क को भी पूरा करने का बीड़ा उठाया और 1163 किलोमीटर दूर इंडियन मुजाहिदीन के एक आतंकी को कर्नाटक के एक गांव से पकड़कर उसे अहमदाबाद ले ही आए।

सात राज्यों में बिखरी तफ़्तीश, 1100 गवाहों के बयान

TERROR PLAN IN SEVEN STATE: अहमदाबाद की पुलिस ने गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और केरल में छुपे आतंकियों को बड़ी ही प्लानिंग से पकड़ने में कामयाबी हासिल की। हालांकि इस पूरी कवायद में पुलिस को काफी वक़्त भी लगा लेकिन दो साल के भीतर गुजरात पुलिस ने कमाल कर दिखाया।

और देश के अलग अलग हिस्सों से आतंकियों के साथ साथ उनके सारे प्लान के बिखरे हुए निशानों को भी इकट्ठा कर लिया। पुलिस ने इस दौरान क़रीब 1100 गवाहों के बयान दर्ज किए।नतीजा ये हुआ कि दो साल बाद जब पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की तो उसके पास सबूत भी थे, गवाह भी और वो तमाम आरोपी भी जिन्होंने 70 मिनट तक अहमदाबाद को दहलाकर सारे हिन्दुस्तान को दहशत के दरवाजे पर ला खड़ा किया था।

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