खाना-पीना छूड़ा, नींद में ‘फायर-फायर’ बड़बड़ाता, 14-15 घंटे PUBG खेलकर नाबालिग का बिगड़ा मानसिक संतुलन
PUBG Case: राजस्थान के अलवर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां 7वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र को मोबाइल पर पब्जी और ऑनलाइन गेम खेलने की लत ऐसी लगी कि उसकी तबीयत बिगड़ गई
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PUBG Case: राजस्थान के अलवर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां 7वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र को मोबाइल पर पब्जी और ऑनलाइन गेम खेलने की लत ऐसी लगी कि उसकी तबीयत बिगड़ गई और वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठा. बच्चे को इलाज के लिए दिव्यांग संस्थान के हॉस्टल में भर्ती कराया गया है. बताया जा रहा है कि मनोरोग चिकित्सक व साइकोलॉजिस्ट की एक टीम बच्चे के इलाज में लगी है.
दरअसल यह पूरा मामला अलवर के मुंगास्का कॉलोनी का है, जहां एक 14 साल का बच्चा मोबाइल पर ऑनलाइन गेम और फायर फ्री खेलने और गेम की लत के कारण 7 महीने में अपना मानसिक संतुलन खो चुका है.बच्चे की मां आसपास के घरों में सफाई का काम करती है जबकि उसके पिता रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं.
बच्चे के पिता ने 7 महीने पहले एक एंड्रॉइड मोबाइल फोन लिया था और जनवरी 2023 से फोन घर पर रहने लगा। बच्चे की मां सुबह घरों में झाड़ू-पोंछा करने के लिए बाहर जाती थी। जबकि उनके पिता ई-रिक्शा चलाने के लिए घर से निकल जाते थे. इसके बाद 14 साल का बच्चा घर में अकेला रहता था और लगातार 14 से 15 घंटे तक मोबाइल पर गेम और फ्री फायर खेलता था। रात में भी रजाई या चादर ओढ़कर देर रात तक मोबाइल पर गेम खेलता रहता था।
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मोबाइल फोन लेने के बाद परिवार वालों ने सोचा कि बच्चा इस मोबाइल फोन से ऑनलाइन क्लास पढ़ेगा और अपना भविष्य बनाएगा. लेकिन बच्चे ने 14 से 15 घंटे तक मोबाइल पर ऑनलाइन गेम और फ्री फायर खेलकर अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी है, वह अपना मानसिक संतुलन खो चुका है. फिलहाल परिजन बच्चे का इलाज कराने में लगे हुए हैं.
खाना-पीना छूटा, नींद में ‘फायर-फायर’ बड़बड़ाता
बच्चा अपना खाना पीना बंद कर देता है और बड़बड़ाता रहता है और उसके हाथ भी उसी तरह चलते रहते हैं जैसे मोबाइल स्क्रीन पर चलते हैं. जब बच्चे की बड़ी बहन ने उसके लगातार गेम खेलने की आदत के बारे में परिवार को बताया तो पहले तो परिवार ने उसे डांटा, फिर वह गुस्सा हो जाता था, फिर परिवार उसे मनाने के लिए मोबाइल देते थे. उसकी जिद के आगे परिवार झुक गया और अब नतीजा ये हुआ कि बच्चे का इलाज अब घर से बाहर हो रहा है. घर में फ्री वाईफाई होने से नेटवर्क और इंटरनेट की कोई दिक्कत नहीं हुई. इसलिए बच्चा 24 घंटों में से 14 से 15 घंटे मोबाइल पर बिताने लगा. जिससे उसका मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा. जब परिवार के लोग उसे रोकते थे तो वह परिवार के सदस्यों पर चिल्लाने लगता था. दो बार तो वह गुस्से में अलवर से रेवाडी भी जा चुका है.
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परिजन उसे रेवाडी से ले आए. इसके बाद अप्रैल से मई तक 2 महीने तक उसे घर में बांधकर रखा गया. फिर उसकी हालत खराब होने लगी तो उसे जयपुर अस्पताल में दिखाने के बाद लाया गया. अब फिलहाल उसे अलवर के स्कीम नंबर 8 स्थित एक हॉस्टल में रखा गया है. जहां वह विशेष काउंसलर पर नजर रख रहे हैं और उनकी निगरानी कर रहे हैं. परिजनों का कहना है कि उन्हें कई डॉक्टरों को दिखाया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, अब आखिरकार उन्हें विकलांग गृह भेज दिया गया है जहां उनका मानसिक इलाज चल रहा है और विशेष परामर्शदाता द्वारा उनका इलाज किया जा रहा है, फिलहाल उनकी हालत में सुधार हो रहा है.
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दिव्यांग कल्याण संस्था के प्रशिक्षक भवानी शर्मा ने बताया कि यह बच्चा फ्री फायर गेम और ऑनलाइन गेम खेलने के कारण डरा हुआ है, जब हमने इसकी काउंसलिंग की तो उसने यह बात बताई, तब से लगातार काउंसलिंग करके इसे समझाया जा रहा है और नजर रखी जा रही है उसका। घटित। रात को सोते समय भी बच्चे की उंगलियां हिलती रहती हैं और कभी-कभी नींद में गेम खेलते समय भी बच्चे के हाथ की उंगलियां हिलती रहती हैं। उसका शरीर कांपने लगता है, वह एक ही बात कहता है कि उसे गोली चलानी है और गोली चलाते समय वह अपनी उंगलियां भींच लेता है और ऐसा व्यवहार करता है मानो वह पागल हो गया हो। शुरुआत में बच्चा पढ़ाई में होशियार था लेकिन मोबाइल की लत ने उसे पढ़ाई से दूर कर दिया और फिलहाल उसका परिवार इलाज करा रहा है.
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