Gurmeet Ram Rahim: राम रहीम उर्फ 'पैरोल बाबा' को फिर 50 दिनों की Parole मिली
Gurmeet Ram Rahim: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को फिर 50 दिनों की Parole मिल गई है। इससे पहले भी कई बार आरोपी को पैरोल मिली है।
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Gurmeet Ram Rahim: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को फिर 50 दिनों की Parole मिल गई है। इससे पहले भी कई बार आरोपी को पैरोल मिली है।
इससे पहले पैरोल के दौरान उसने अपना म्यूजिक वीडियो भी लॉन्च किया था। दो साध्वियों के साथ रेप और दो हत्याओं के मामलों में सुनारिया की रोहतक जेल में राम रहीम सजा काट रहा है। असल में हरियाणा सरकार गुरमीत राम रहीम को हार्ड कोर क्रिमिनल नहीं मानती, लेकिन भविष्य में राम रहीम को किसी तरह कोर्ट हार्डकोर क्रिमिनल घोषित भी कर देती है तो उसे कुछ शर्तों के साथ पैरोल मिल जाएगी।
बता दें कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बलात्कार के एक मामले में कोर्ट ने 2017 में सजा सुनाई थी। साल 2021 में भी गुरमीत राम रहीम को हत्या के एक मामले में अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तभी से गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है।
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अगर हार्ड कोर क्रिमिनल की श्रेणी में राम रहीम होता तो उसे पुराने कानून के हिसाब से किसी भी कीमत पर पैरोल नहीं मिलती। 1988 से लेकर 2022 तक के 34 साल के इतिहास में हरियाणा में हार्ड कोर क्रिमिनल को पैरोल देने के लिए कोई नियम और शर्त नहीं थी, लेकिन कानून में बदलाव में बाद स्थिति अलग हो गई है। 2022 वाले नए कानून में कुछ शर्तो के साथ पैरोल मिल सकती है। गुरमीत राम रहीम को अब तक कई बार पैरोल मिल चुकी है।
क्या फर्क है फरलो और पेरोल में ?
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हाल में सुप्रीम कोर्ट ने फरलो (furlough) और पेरोल (parole) के अंतर के बारे में बताया था। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, फरलो और पेरोल वैसे तो दोनों में कुछ समय के लिए किसी सजायफ्ता कैदी को अस्थायी तौर पर रिहाई मिलती है। पेरोल तब दी जाती है जब कैदी को एक खास और जरूरी आवश्यकता होती है, लेकिन जब बिना किसी कारण के निर्धारित वर्षों की जेल के बाद फरलो दी जा सकती है। फरलो देना इसलिए होता है क्योंकि जेल में नीरस जीवन बीता रहे कैदी को कुछ समय के लिए अपनों के बीच जाने का मौका मिलता है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फरलो जेल की नीरसता को तोड़ने और अपराधी को पारिवारिक जीवन और समाज के साथ फिर से कुछ समय के लिए घुलमिलकर सक्षम बनाने के लिए दी जाती है। बिना किसी कारण के भी फरलो की मांग की जा सकती है। हालांकि कैदी के पास फरलो का दावा करने के लिए पूर्ण कानूनी अधिकार नहीं है। फरलो की मांग को मना भी किया जा सकता है।
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