वैष्णव संप्रदाय के संत स्वामी रामानुजाचार्य (Ramanujacharya) की 216 फीट ऊंची मूर्ति हैदराबाद में स्थापित हुई है. इसी प्रतिमा को 'स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी' नाम दिया गया है.
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11वीं सदी के भक्ति शाखा के संत श्री रामानुजाचार्य आस्था, जाति और पंथ और समानता के विचार को बढ़ावा दिया था.
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ये मूर्ति दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बैठी हुई मूर्ति है. मूर्ति के साथ 108 मंदिर बनाए गए हैं. जिनकी नक्काशी देख पलके झपकेंगी नहीं.
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120 किलो सोने से आचार्य की एक छोटी मूर्ति भी बनाई गई है. इस पर करीब 1400 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. ये अयोध्या में 1100 करोड़ की लागत से बन रहे राम मंदिर से कहीं ज्यादा है.
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ये प्रतिमा 'पंचधातु' यानी सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ते को मिलाकर बनाई गई है.
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प्रतिमा को 54-फीट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित किया गया है जिसका नाम 'भद्र वेदी' है.
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एक चीनी कंपनी के सहयोग से साल 2016 से ही स्टैच्यू बनाने का काम शुरू हुआ. चेहरे और आंख को आकर्षक बनाना सबसे बड़ा टास्क था.
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18 महीने में तैयार की गई ये मूर्ति. इसे तैयार करने में एक खास तरह का ब्लैक मार्बल चीन से लाया गया था.
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