बाप की लाश नौ बेटियों का कंधा, पिता को मुखाग्नि देने श्मशान पहुंची नौ बेटियां, चिता के सामने देर तक रोते रहे लोग

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MP Crime: बटालियन के रिटायर्ड एएसआई का ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया, शव श्मशान में लाया गया और नौ बेटियों ने मुखाग्नि दी।

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सागर से हिमांशु पुरोहित की रिपोर्ट

MP News: एमपी के सागर जिले में श्मशान में जो मंजर देखने को मिला उसने लोगों को रुला दिया। एक पिता की मौत नौ बेटियों ने शव को मुखाग्नि दी। बेटे का फर्ज निभाते हुए बेटियों ने अंतिम संस्कार किया। जिसे देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। इन बेटियों ने न सिर्फ मुखाग्नि दी बल्कि बेटों की तरह ही पिता की अर्थी को कंधा भी दिया। नौ बेटियां पिता की अर्थी के साथ चलीं और शमशान घाट पहुंचकर हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया। कुछ लोग इस दृश्य को देखकर फफक फफक कर रो पड़े। 

पिता को मुखाग्नि देने श्मशान गईं 9 बेटियां

ये अर्थी एएसआई हरिश्चंद्र अहिरवार की थी। हरिश्चंद्र का ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया था। हरिश्चंद्र की 9 बेटियां थी उन्होंने बेटों की तरह ही अपनी बच्चियों की परवरिश की। अब उन्हीं बेटियों ने बेटों का फर्ज निभाया। हरिश्चंद्र वार्ड17 के 10वीं बटालियन क्षेत्र निवासी थे। इस दौरान समाज के लोगों ने गर्व से कहा कि पुत्र ही सब कुछ नहीं होते। हरिश्चंद्र की सात बेटियों की शादी हो चुकी है। हरिश्चंद्र की बेटी रोशनी व गुड़िया अविवाहित हैं।

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अर्थी को कंधा दिया तो रो पड़ा हर कोई

बेटी वंदना ने बताया कि उनके पिता को अपनी बेटियों से काफी लगाव था। हमारा कोई भाई नहीं है, इस कारण उनके साथ सभी छोटी बड़ी बहनों अनिता, तारा, जयश्री, कल्पनना, रिंकी, गुड़िया, रोशनी, दुर्गा ने एक साथ बेटी होने का फर्ज निभाने का फैसला किया था। उनके पिता ही उनका संसार थे। बता दे कि बुंदेलखंड में बेटियों महिलाओं का शमशान घाट जाना वर्जित रहता है, लेकिन अब लोग समाज के बंदों को तोड़कर आगे आ रहे हैं इस तरह से बेटियों के द्वारा पिता को मुखाग्नि देना दूसरे लोगों के लिए भी प्रेरणा है।

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