कहां है हाथरस का 'हत्यारा'? मिलता क्यों नहीं 'बाबा भोले'? किसने छुपा रखा है नारायण साकार हरि को? क्या कर रही है पुलिस? यही सवाल घूम रहे हैं चारों तरफ

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कहां है हाथरस का 'हत्यारा'? मिलता क्यों नहीं 'बाबा भोले'? किसने छुपा रखा है नारायण साकार हरि को? क्या कर रही है पुलिस? यही सवाल घूम रहे हैं चारों तरफ
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Baba Bhole Alias Suraj Pal Singh: कभी आंखों पर ब्रॉडेंड चश्मा पहने तो कभी सूट-बूट और टाई में नजर आते हैं बाबा। कभी चक्रधारी बन जाते हैं तो कभी साक्षात विष्णु के अवतार में दिखाई देने लगते हैं बाबा। कभी सिंघासन पर पत्नी के साथ प्रवचन देते है यही बाबा। हाथ में काला माइक और काली 'इलेक्ट्रॉनिक वॉच'। जी हां बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा उर्फ अंतरयामी उर्फ सूरज पाल सिंह जाटव उर्फ एसपी सिंह और भी कई उर्फ हैं । लेकिन सच तो यही है कि बाबा नारायण साकार हरि को लेकर जितने मुंह उतनी कहानियां लोगों की जुबां पर हैं।

अंधविश्वास का बड़ा खेल जारी

दावा है कि बाबा अपनी चमत्कारी आवाज से भक्तों की इलाज कर देते हैं। लाइलाज बीमारियां तो चुटकी बजाते ही ठीक हो जाती हैं। बाबा का नाम और उन यकीन इतना कि बाबा के चरणों की धूल उनके जीवन को कष्टों को धूल में मिला देगी। बाबा के हैंडपंप का पानी इतना चमत्कारी है कि दरबार में आए फरयादी की हर मुराद मिनटों में पूरी हो जाती है। लेकिन बाबा के अनदेखे और अनसुने संसार का पूरा सच क्या है? क्या नारायण साकार हरि के पास कोई चमत्कारी शक्तियां है या फिर अंधविश्वास का बड़ा खेल जारी है? 

बाबा को जमीन खा गई या आसमान

अब इन बातों का पता तब ही चल सकता है जब बाबा हाथ आए। लेकिन बाबा भोले तो अंतरध्यान हो चुके हैं। हाथरस ज़िले में सिकंद्राराऊ के मुगलगढ़ी गांव से बाबा की कार निकली लेकिन उसके बाद बाबा कहां फरार हो गया, कोई अता-पता नहीं है। बाबा को ज़मीन खा गई या आसमान निगल गया कुछ पता नहीं। बाबा ऐसा अंडरग्राउंड हुआ है कि किसी को नहीं मिला। सवाल उठ रहा है कि 121 लोगों के सिरों पर नाचती हुई मौत क्यों किसी सिपाही से लेकर प्रशासन के आला अफसर तक को नहीं दिखी? सवाल ये भी है कि वो नारायण साकार हरि कहा हैं, जिसकी बदइंतज़ामी ने इतने लोगों की जिंदगी खाक में मिला दी। आखिर कानून के लंबे हाथ भी नारायाण साकार हरि तक क्यों नहीं पहुंच पा रहे हैं? आखिर बाबा छुपा कहा हैं?  सिकंद्राराऊ से लेकर, मैनपुर तक, नोएडा से लेकर कासगंज तक और आगरा से लेकर संभल तक हर जगह बाबा के सारे आश्रमों को देखा गया खंगाला गया पर बाबा नहीं मिला। 

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आखिर आश्रम के बाहर पुलिस ने पहरा क्यों दिया?

हाथरस के फुलरई गांव में हादसे से चंद मिनट पहले ही बाबा का काफिला निकला था। खबर मिली थी कि बाबा अपने मैनपुरी के बिछवा आश्रम की तरफ गया। खबर कसनफर्म थी। कि बाबा आश्रम के भीतर गया है। हादसे की खबर के फैलते ही पीछा करते हुए पुलिस और मीडिया की टीमें भी मैनपुरी के बिछवा आश्रम तक जा पहुँची। वहां जाकर पुलिस आश्रम के बाहर ही ठिठक गई। सवाल ये है कि पुलिस अंदर क्यों नहीं गई? अगर बाबा को गिरफ्तार भी नहीं करना था, तो उससे हादसे के बारे में पूछताछ तो सकती थी? मगर पुलिस इन सारे कामों को छोड़कर बस आश्रम के बाहर पहरा देती दिखाई दी।
अब जरा पुलिस के उस अफसर की बातों पर गौर कीजिए जिसने मैनपुरी के आश्रम के बाहर पुलिस का पहरा सख्त किया और हर बढ़ते हुए कदम को रोक दिया। 

 

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सुनील कुमार सिंह, सीओ - अभी यहां से बहुत सारी गाड़ियां निकलते हुए दिखाई दीं, पुलिस बोल रही है, बहुत सारे अनुयायी हैं, जो आते-जाते रहते हैं यहां पर...

सवाल- अंदर जो आश्रम में लोग थे वो रात में रुके थे...

जवाब- यहां तो अक्सर लोग आते-जाते रहते हैं...

सवाल- बाबा हैं अंदर

जवाब- ये नहीं कह सकते हम...कल ही हम इसके संबंध में बाइट दे चुके हैं....

सवाल- बाबा हैं कि नहीं?

जवाब- ये सुन लें क्या बोला है....

सवाल- चारों तरफ पुलिस लगाई गई है

जवाब- सुरक्षा की दृष्टि से...जो यहां अनुयायी हैं उनके उनके साथ कोई हादसा ना हो..

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असल में पुलिस किसकी हिफाजत कर रही?

सीओ साहब कहते हैं कि वो सुरक्षा के लिए ही खड़े हैं, सवाल तभी तन जाता है कि आखिर किसकी सुरक्षा, उन 121 लोगों की सुरक्षा तो हो ना सकी, जो भगदड़ में कुचल तक मर गए। बदइंतज़ामी का शिकार हो गए। और यहां बाबा के आश्रम पर पहरा दे रहे हैं? तो क्या बाबा यहां आया? और फिर यहां से भी फरार हो गया, और क्या पुलिस ने उसे जाने दिया?

तो पुलिस क्यों कर रही पीछा?

अब जरा इस बात पर गौर कीजिए, बाबा के खिलाफ कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई है, मंगलवार देर रात हादसे में 22 लोगों के खिलाफ सिकंदराराऊ थाने के दरोगा ने FIR दर्ज कराई गई। इसमें सिर्फ बाबा से जुड़े मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर का नाम है। बाकी सब अज्ञात हैं।चौंकाने वाली बात है कि इसमें मुख्य आरोपी भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार का नाम ही नहीं है। तो फिर पुलिस बाबा की पीछा क्यों कर रही। पुलिस कह रही है कि वो बाबा को तलाश रही है। लेकिन वो मिल नहीं रहा। 

सेवादार ने उड़ाई पुलिस की खिल्ली

बाबा की तलाश अब सीधे सिकंद्रराऊ की तरफ बढ़ती है, इस उम्मीद में कि कहीं बाबा सिकंद्रराऊ में ही छुपा हुआ हो। तब बाबा के एक खासम खास और हाथरस सत्संग के ऑर्गेनाइजर के घर का दरवाजा खटखटाने जैसे ही पुलिस और मीडिया की टीमें पहुँचती हैं तो वहां ताला लटका मिलता है। 
मतलब बाबा यहां भी नहीं मिला। सेवादार का जवाब सीधे सीधे पुलिस की खिल्ली उड़ाता है कि यहां कोई नहीं है। इसी बीच पता चला कि बाबा का एक आश्रम नोएडा में भी है। पता चला, तो यमुना के डूब क्षेत्र में बाबा का आश्रम है, वहां वो सेवादार तो मिल गया जो हाथरस सत्संग के दौरान भगदड़ के वक्त मौजूद था, लेकिन बाबा यहां से भी नदारद। 

क्या कर रही है पुलिस? 

अब सवाल ये है कि बाबा आखिर छुपा कहा हैं? 121 बेगुनाह लोगों की मौत का ज़िम्मेदार नारायाण सरकार हरि, मिलता क्यों नहीं है? आखिर पुलिस कर क्या रही है? अब तक सामने आई जानकारी करीब यूपी पुलिस की पांच टीमें ऐसी हैं जो बाबा की परछाई का पता लगाने के लिए यूपी की खाक छान रही हैं।

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