एक ‘थैंक-यू’ सुनकर क्यों चौंक गए पुलिस अफसर, जिसे भिखारी समझा वो कुछ और निकला, एक किडनैपिंग की अजीब कहानी

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Kanpur News: यूपी के कानपुर में दो साल पहले किडनैप हुए युवक की Emotional कहानी सामने आई है। कहानी की शुरुआत कानपुर सेंट्रल रेलवे के प्लेटफॉर्म से होती है। 27 अप्रैल को कानपुर सेंट्रल पर आरपीएफ इंस्पेक्टर बीपी सिंह रोज की तरह गश्त कर रहे थे। तभी बीपी सिंह को एक भिखारी दिखाई दिया। ये भिखारी प्लेटफार्म पर पानी तलाश रहा था। कभी रेलवे ट्रैक पर तो कभी कूड़ेदान में पानी की खाली बोतलें उठा उठा कर देख रहा था। आरपीएफ इंस्पेक्टर बीपी सिंह को समझते देर ना लगी कि वो प्यासा है और पानी तलाश रहा है। 

अंग्रेजी में जवाब सुन चौंके पुलिस अफसर

बीपी सिंह ने आरपीएफ सिपाहियों से कहा कि इस शख्स को पानी पिलाओ। सिपाहियों ने युवक को पानी पिलाया। पानी पीने के बाद युवक ने बड़े ही सहज अंदाज में हाथ जोड़कर अंग्रेजी में थैंक्यू कहा। किसी भिखारी से पुलिस वालों को ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। थैंक्यू सुनते ही बीपी सिंह उसकी तरफ पलटे और युवक का नाम पूछा। इंसपेक्टर भांप गए थे कि हो ना हो ये शख्स जैसा दिख रहा है वैसा है नहीं। उन्होंने युवक से हालचाल पूछा तो भिखारी से दिखने वाले युवक ने अपनी आपबीती सुनाना शुरु की। 

 2 साल पहले किडनैप हुए युवक की Emotional Story

युवक ने अपना नाम महावीर सिंह बताया। उसने ये भी बताया कि वो यूपी के औरैया जिले के बिधूना का रहने वाला है। आगे महावीर ने पुलिस को बताया कि उसे दो साल पहले किडनैप कर लिया गया था। वह एटीएम से पैसे निकालने गया था तभी कुछ कार सवार लोगों ने उसे अगवा किया और बेहोश कर एक कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद महीनों तक उसे एक खदान में रखकर मजदूरी कराई गई।

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अपहरण के बाद बनाया बंधुआ मजदूर

यूं समझ लीजिए की महावीर को बंधुआ मजदूर बना दिया गया था। जब-जब महावीर ने मजदूरी से इनकार किया तो उसको पीटा गया। महावीर पर रोजाना जुल्म ढाया जाता। उसे ना तो ठीक से खाना मिलता और न ही पहनने को कपड़े। तंग आकर महावीर इस कैद से आजाद होने की जुगत लगाने लगा। इसी बीच एक रोज महावीर को मौका मिल गया और वो अपहरणकर्ताओं के चंगुल से भाग निकला। ट्रेन बदलते-बदलते वो पहले बिहार के दरभंगा पहुंचा और फिर दरभंगा से किसी तरह कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पहुंच गया।

किडनैपर्स के चंगुल से भाग निकला

महावीर की हालत बेहद खराब थी। उसके पास न तो खाने के पैसे थे और न ही कपड़े। उसकी फटेहाल हालत देखकर लोग उसे भिखारी समझने लगे थे। भूख-प्यास के चलते महावीर की ठीक से आवाज तक नहीं निकल रही थी। जब आरपीएफ के लोगों ने महावीर से उसके घर वालों का नंबर पूछा तो वो बड़ी मुश्किल से भाई रवींद्र सिंह का नंबर दे पाया। रवींद्र गुड़गांव की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं। जैसे ही उनको पता चला कि उनका किडनैप हुआ भाई महावीर सिंह कानपुर के आरपीएफ थाने में मौजूद है, वह गुड़गांव से सीधे वहां पहुंच गए।

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परिजनों की आंखों में खुशी के आंसू

एक भाई किडनैपिंग के दो साल बाद जब अपने भाई से मिला तो दोनों की आंखें नम हो गईं। आंखों में खुशी के आंसू थे। परिजनों ने बताया कि महावीर की गुमशुदगी की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई थी लेकिन उसका कुछ पता ही नहीं चला। परिजनों का कहना है कि महावीर की हालत थोड़ा संभल जाने के बाद वो पुलिस की मदद से अपहरणकर्ताओं के खिलाफ शिकायत करेंगे। 

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