वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ कोर्ट ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया, जबरन वसूली का आरोप, जानें क्या है पूरा मामला?

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ कोर्ट ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया, जबरन वसूली का आरोप, जानें क्या है पूरा मामला?
निर्मला सीतारमण
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Nirmala Sitharaman: हाल ही में बेंगलुरु की एक अदालत ने केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ जबरन वसूली के आरोप में FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश बेंगलुरु में जनप्रतिनिधियों की विशेष अदालत द्वारा जारी किया गया है। अदालत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि चुनावी बॉंड के माध्यम से जबरन वसूली की गई थी।

चुनावी बॉंड विवाद और शिकायत

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब जनाधिकार संघर्ष संगठन के आदर्श अय्यर ने निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ एक निजी शिकायत (पीसीआर) दर्ज कराई। इस शिकायत में आरोप लगाया गया कि चुनावी बॉंड के माध्यम से धन की जबरन वसूली की गई थी। इस प्रकार के आरोपों ने राजनीतिक जगत में हलचल मचा दी है, क्योंकि चुनावी बॉंड योजना को लेकर पहले से ही कई विवाद चल रहे हैं।

अदालत का आदेश और पुलिस की कार्रवाई

बेंगलुरु की 42वीं एसीएमएम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए निर्मला सीतारमण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके बाद तिलक नगर पुलिस अब इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू करेगी। इस तरह के आदेश राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ कानून के दायरे में कार्रवाई की एक महत्वपूर्ण मिसाल पेश करते हैं।

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चुनावी बॉंड योजना का बैकग्राउंड 

केंद्र सरकार ने 2018 में चुनावी बॉंड योजना की शुरुआत की थी। इसका मुख्य उद्देश्य राजनीतिक दलों को नकद दान के बजाय एक पारदर्शी माध्यम प्रदान करना था, जिससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ सके। हालांकि, चुनावी बॉंड के जरिए राजनीतिक दलों को दी जाने वाली धनराशि का खुलासा नहीं किया जाता था, जिससे कई राजनीतिक दलों ने इस योजना पर सवाल उठाए थे। विपक्ष ने इस योजना के खिलाफ कई बार आवाज उठाई है और इसे राजनीतिक भ्रष्टाचार का माध्यम बताया है।

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

हाल के दिनों में इस योजना के खिलाफ कई याचिकाएं भी दायर की गई थीं। इन याचिकाओं के मद्देनजर, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉंड योजना पर चिंता जताते हुए इसे असंवैधानिक ठहराया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता कितनी महत्वपूर्ण है। अदालत के इस निर्णय ने यह संकेत दिया है कि राजनीतिक दलों और उनके वित्तीय साधनों के बारे में जनता के सामने स्पष्टता होनी चाहिए।

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