World Crime: इराक़ में श्रीलंका जैसे हालात, इस वजह से विरोध में संसद भवन पर किया भीड़ ने कब्ज़ा
World Crime: श्रीलंका (Sri Lanka) की तर्ज पर इराक़ (Iraq) में प्रदर्शनकारियों ने वहां की संसद (Parliament) पर कब्जा कर लिया। ये प्रदर्शन चुनाव (Election) में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर हुआ।
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World Crime: श्रीलंका (Srilanka) की तस्वीर सभी को अच्छी तरह से याद होंगी। जब आम लोगों की भीड़ ने श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन (President Palace) पर ही कब्ज़ा कर लिया था। ठीक उसी तर्ज पर अब इराक़ (Iraq) से वैसी ही तस्वीर (Picture) सामने आई है। इराक़ में हज़ारों की तादाद में प्रदर्शनकारियों ने उस ग्रीन ज़ोन (Green Zone) और उसकी चाक चौबंद सुरक्षा को रौंदकर संसद भवन पर कब्जा कर लिया जहां किसी भी सूरत में एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। इराक़ में बगदाद के ग्रीन ज़ोन इलाक़े को दुनिया की सबसे महफूज़ जगहों में से एक माना जाता था लेकिन इराक़ में प्रदर्शनकारियों के सामने ग्रीन ज़ोन में किसी की नहीं चली।
इराक़ की फौज बाकायदा वहां मुस्तैद थी लेकिन लोग दीवार तक फांदकर आसानी से संसद भवन के भीतर जा पहुँचे। और पूरे इलाक़े की सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षा बलों को मुंह चिढ़ाते हुए सबसे सुरक्षित हिस्से में उपद्रव करते रहे।
असल में इराक़ में चुनाव होने वाले हैं और यहां एक प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर इराक़ के लोग भड़क गए और प्रदर्शन पर उतारू हो गए। लेकिन बुधवार की रात ये प्रदर्शन अचानक ज़्यादा तेज़ हो गया और भीड़ हिंसा पर उतारू हो गई। भड़की भीड़ को काबू में करने के लिए इराक़ के सुरक्षा बल को अपनी ताक़त का भी इस्तेमाल करना पड़ा लेकिन वो भीड़ को रोक नहीं सके।
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World Crime: मीडिया में छपी खबरों पर यकीन किया जाए तो इस प्रदर्शन की अगुवाई एक मौलवी मुक्तदा सद्र कर रहे थे। बताया जाता है कि मुक्तदा सद्र शिया मुसलमान हैं लेकिन इस प्रदर्शन में शिया और सुन्नी दोनों ही शामिल हैं।
इराक में अक्टूबर में चुनाव होने वाले हैं। और इन चुनावों के लिए गठबंधन सरकार की तरफ से मोहम्मद अल सुदानी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाया गया है। लेकिन इराक़ के लोगों में ये आम धारणा है कि अल सुदानी ईरान समर्थक हैं और इसी लिए देश के ज़्यादातर मौलवी उनका विरोध कर रहे हैं।
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इसी बीच इराक़ के कामचलाऊ प्रधानमंत्री मुस्तफा अल कादिमी ने भीड़ और प्रदर्शनकारियों से एक संदेश जारी करके अपील की है कि वो अमन चैन बनाए रखें और ग्रीन ज़ोन से बाहर निकल जाएं। प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा कि उनका ये कदम देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। हालांकि ये पहला मौका नहीं है जब इराक़ में प्रदर्शनकारियों की भीड़ बग़दाद के ग्रीन ज़ोन वाले हिस्से में जा घुसी।
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World Crime: ऐसा एक वाकया 2016 में भी हो चुका है जब मौलवी मुक्तदा अल सद्र के समर्थक ग्रीन जोन तक चले गए थे और प्रदर्शन करने लगे थे। बाद में उन्हें सुरक्षा बलों ने वहां से खदेड़ दिया था।
ग्रीन ज़ोन बग़दाद का वो इलाका है जिसके इर्द गिर्द इराक़ की सबसे एलीट फोर्स का पहरा रहता है। इस इलाके में इराक की संसद के साथ साथ दुनिया के तमाम देशों के दूतावास भी हैं। साथ ही इसी इलाके में सीक्रेट मिशंस के भी दफ्तर हैं। कहा जाता है कि अगर वहां कोई प्रदर्शनकारी पहुंचता है तो सेना और वहां के सुरक्षा बल को इस बात के निर्देश हैं कि वो किसी पर भी गोली चला सकते हैं। यानी उस सूरत में वहां तैनात पुलिस और आर्मी के पास फायरिंग के अलावा कोई और दूसरा विकल्प नहीं होता है।
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