TIHAR JAIL EXCLUSIVE : गैंग्स्टर बनाने की फैक्ट्री है तिहाड़ जेल! 'बिना कैदियों की मदद से जेल नहीं चल सकती'

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TIHAR JAIL EXCLUSIVE : गैंग्स्टर बनाने की फैक्ट्री है तिहाड़ जेल! 'बिना कैदियों की मदद से जेल नहीं ...
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TIHAR JAIL EXCLUSIVE : तिहाड़ जेल के पूर्व प्रवक्ता सुनील गुप्ता एक EXCLUSIVE INTERVIEW में जबरदस्त खुलासे किए। उन्होंने साफ साफ है कि तिहाड़ जेल में स्टाफ की कमी और जेल के करीब 30 फीसदी स्टाफ की वजह से तिहाड़ जेल से साजिशें रच जा रही है, क्योंकि सेटिंग के चलते या कहे कि पैसे के बल पर सब मैनेज हो रहा है।

सुनील गुप्ता ने कहा, 'सबको सबकुछ पता है, पर सब अंजान बने हुए है। इसी वजह से ये गोरखधंधा चलता जा रहा है। हर अधिकारी अपनी नौकरी कर रहा है, कोई झमेले में नहीं पड़ रहा है। सब कहते है कि हमें किसी से क्या मतलब, हम अपना काम अच्छे से कर रहे है, बस। भ्रष्ट्राचार दूर करना क्या सिर्फ हमारी ही जिम्मेदारी है। बेकार में दुश्मन बनाने से क्या फायदा।'

TIHAR JAIL : CRIME TAK के ASSOCIATE EDITOR चिराग गोठी को दिए एक INTERVIEW में सुनील गुप्ता ने बेबाक तरीके से अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि तिहाड़ जेल को अधिकारी SIDE LINED नौकरी समझते है। उन्हें लगता है कि यही से वो RETIRE हो जाएगा, इसलिए अधिकारी ज्यादा कुछ नहीं करते है।

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जेल अधीक्षक पद पर NON PROFESSIONALS की नियुक्ति क्यों : कुशल आफिसर्स की तैनाती जेल अधीक्षकों के तौर पर नहीं की जाती है। अगर जेल अधीक्षकों की पोस्ट पर DANIPS अधिकारियों की तैनाती होगी, जैसे दिल्ली पुलिस में होती है तो स्थिति ये होगी कि वो लोग ENERGETIC होंगे और मन लगा कर काम करेंगे। जो अधिकारी तिहाड़ जेल में लोअर रैंक पर होता है, उसे ही पदोन्नत कर यहां तैनात कर दिया जाता है। वो ही भ्रष्ट्राचार फैलाता है, क्योंकि वो सारी व्यवस्था के बारे में जानता है।

बजट व्यवस्था : यहां की बजट व्यवस्था दिल्ली सरकार के जिम्मे है, पर DGP पद पर पोस्टिंग केंद्र सरकार करती है। जैसे इस वक्त तिहाड़ जेल में DGP पद पर IPS SANDEEP GOYAL तैनात है। फिर उनको सैलेरी दिल्ली सरकार अपने बजट से देती है। इसके अलावा अहम पदों पर NON POLICE अधिकारियों की तैनाती करती है, जिनसे सारी समस्या शुरू होती है।

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गरीब कैदी VS अमीर कैदी : उन्होंने बताया कि जेल में ज्यादातर गरीब लोग अलग अलग केसों में बंद होते है, जो पैसा या अन्य वजहों से अपराध को अंजाम देकर आए होते है। ऐसे में उन्हें पैराल पर रिहा करना चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें लगेगा कि जेल नियम सख्त नहीं है। लिहाजा वो पैराल जम्प करने के बारे में भी सोचेंगे नहीं, लेकिन यहां ऐसा नहीं होता है, लेकिन इसके भी कई अपवाद है। दूसरा, जो अमीर कैदी वो ही भ्रष्ट्राचार फैलाते है और वो ही जेल के अधिकारियों से लेकर लोअर तबके के कर्मियों तक पैसा पहुंचाते है।

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मुलाकातियों के आने से शुरू होती है साजिश : उन्होंने कहा कि कई कैदी मुलाकातियों से मिलते है, फोन पर बात करते है। यहीं से वो अपना पैगाम बाहर भिजवाते है और तमाम जानकारियां जेल तक पहुंचती है। यही से दिक्कत शुरू होती है। कैदियों के बीच में ज्यादा से ज्यादा संपर्क नहीं होना चाहिए, जिससे वो साजिशें न कर सके। लेकिन ये PRACTICALLY POSSIBLE नहीं है, क्योंकि बिना कैदियों के जेल नहीं चलती। जेल के कैदी ही LOCK UP को बंद करते है और खोलते है, क्योंकि इतना स्टाफ नहीं है। जेल के कैदियों के बीच अगर संवाद नहीं होगा तो इसके भी कई मनोविज्ञानिक प्रभाव पड़ेंगे, लिहाजा ये सब कुछ परिस्थितियों के हिसाब से किया जाना चाहिए।

जैमर की तार काट देते है कैदी : जेल के अंदर मोबाइल का आना ही सबसे बड़ी समस्या है। अलग अलग तरीकों से मोबाइल अंदर आता है और कैदी आपस में बात करते है। जैमर की तार काट कर कैदी बात करते है।

इस खबर का वीडियो आप हमारे CRIME TAK चैनल पर देख सकते हैं। ऊपर लिंक मौजूद है।

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