15 August : आजादी की तारीख 15 अगस्त ही क्यों?हुई?

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15 August : आजादी की तारीख 15 अगस्त ही क्यों?हुई?
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15 August Special : आज से करीब 75 साल पहले जब भारत आजाद हुआ. आजादी की तारीख 15 अगस्त. साल 1947. पर क्या ये तारीख 15 अगस्त 1947 (15 August 1947) पहले से तय थी. क्या इसकी तारीख को लेकर कोई खास मकसद रखा गया था. इसके पीछे की पूरी असलियत एक किताब से मिलती है. उस किताब का नाम 'फ्रीडम एट मिडनाइट' (Freedom At Mid Night). लिखने वाले दो अंग्रेज लेखक. दोनों अंग्रेज लेखकों के नाम डोमिनिक लैपियर और लैरी कॉलिंस.

इस किताब से पता चलता है कि 4 जून 1947 से पहले तक 15 अगस्त को आजादी की कोई तारीख तय नहीं थी. अगर ब्रिटिश की तरफ से आजादी की जो सीक्रेट तारीख तय थी वो थी 30 जून 1948. लेकिन इस तारीख के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी. पर उससे करीब 10 महीने पहले ही भारत आजाद हो गया.

इसके पीछे दो बड़ी खास वजहें थीं. पहली कुछ पत्रकारों का अचानक एक सवाल पूछा जाना और आजादी की तारीख तय करने का क्रेडिट लार्ड माउंटबेटन को खुद लेने की लालच. असल में फ्रीडम एट मिडनाइट में लिखा गया है कि 4 जून 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत की आजादी और विभाजन की पूरी जानकारी देने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की.

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उस समय गुलाम भारत का आखिरी वायसराय माउंटबेटन पूरी डिटेल समझा रहा था. उसी समय एक पत्रकार ने सवाल पूछा कि 'यदि सभी लोग यह मानते हैं कि सत्ता जल्द से जल्द भारतीय हाथों में सौंपी जानी चाहिए, तो सर आपने इसकी कोई तारीख यानी डेट तय की है. इसके बारे में कुछ खास सोचा है.

इस सवाल को सुनकर लार्ड माउंटबेटन चुप हो गया. असल में उस समय माउंटबेटन भारत की आजादी और इसके बंटवारे का श्रेय खुद लेना चाहता था. इसलिए अचानक दिमाग में आया कि अभी कोई तारीख तय कर देगा तो उसका नाम हो जाएगा. पूरा श्रेय भी मिलेगा.

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लेकिन कौन सी तारीख तय करे. उस तारीख के पीछे क्या तर्क हो. ये सोचते हुए वो थोड़ा सोच में डूब गया था. पूरे मीडिया हॉल में खामोशी थी. सब बेसब्री से आजादी की तारीख को सुनने का इंतजार कर रहे थे. लॉर्ड माउंटबेटन कई तारीखों के बारे में सोचने लगा था.

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तभी उसे अपने जीवन की सबसे खास जीत की याद आई. असल में माउंटबेटन की लीडरशिप में दूसरे वर्ल्ड वॉर के समय अंग्रेजों के सामने जापान की सेना ने आत्मसमर्पण किया था. इस समर्पण के बाद दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति हुई थी. जब ये हुआ था तब वो तारीख थी 15 अगस्त 1945. अब इसके दो साल पूरे होने वाले थे. यानी 15 अगस्त 1947 को उसी जीत की दूसरी सालगिरह होती. यही तारीख सोचते हुए माउंटबेटन ने भारत की आजादी पूरे मीडिया के सामने घोषणा कर दी. उसने कहा था कि भारतीय हाथों में सत्ता 15 अगस्त 1947 को सौंप दी जाएगी.

पर भारतीय ज्योतिषी इस तारीख को अशुभ मान रहे थे. इनका कहना था कि 15 अगस्त 1947 की तारीख भारत विभाजन के लिए अशुभ है. लेकिन तय हुआ कि इससे ज्यादा देरी करना भी ठीक नहीं. इसलिए इस बात पर ध्यान दिया गया कि भारतीय परंपरा के अनुसार सूर्योदय के बाद दूसरा दिन शुरू हुआ माना जाता है. जबकि अंग्रेजी सभ्यता में रात 12 बजे के बाद ही तारीख बदल जाती है. इसलिए समझौते के तौर पर 14-15 अगस्त की आधी रात को ही भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और दो आजाद देश बन गए. भारत 15 अगस्त को आजादी दिवस मनाने लगा.

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