एनकाउंटर में मारा गया अक्षय शिंदे तो हिंदू था, फिर उसे क्यों दफनाया जाएगा?, आसपास के कब्रिस्तान का इनकार
Badlapur Case: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पुलिस को निर्देश दिया कि बदलापुर रेप केस के आरोपी अक्षय शिंदे के शव को दफनाने के लिए किसी निर्जन या सुनसान स्थान की पहचान की जाए। शिंदे की कथित तौर पर पुलिस की जवाबी गोलीबारी में मौत हो गई थी
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Badlapur Case: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पुलिस को निर्देश दिया कि बदलापुर रेप केस के आरोपी अक्षय शिंदे के शव को दफनाने के लिए किसी निर्जन या सुनसान स्थान की पहचान की जाए। शिंदे की कथित तौर पर पुलिस की जवाबी गोलीबारी में मौत हो गई थी। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस एमएम सथाये की पीठ ने कहा कि जैसे ही स्थान की पहचान हो जाती है, पुलिस शिंदे के परिजनों को सूचित करेगी ताकि वे वहां जाकर शव को दफना सकें। दिलचस्प बात यह है कि अक्षय शिंदे हिंदू था, और हिंदू धर्म में सामान्य रूप से दफनाने की प्रथा नहीं होती। इसके बावजूद, शिंदे के माता-पिता ने उसके शव को दफनाने की इच्छा व्यक्त की, जिसके कारण यह मामला अदालत तक पहुंचा।
शिंदे के दफनाने पर परिवार की विशेष इच्छा
अदालत में सुनवाई के दौरान अक्षय शिंदे के पिता के वकील ने यह स्पष्ट किया कि परिवार शव को इसलिए दफनाना चाहता है ताकि भविष्य में उसे निकालने का विकल्प खुला रहे। वकील ने बताया कि उनके समुदाय में सामान्य रूप से दफनाने की कोई परंपरा नहीं है, लेकिन यह फैसला शिंदे के माता-पिता का व्यक्तिगत है। बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने भी इस बात पर जोर दिया कि यह समुदाय का निर्णय नहीं हो सकता कि माता-पिता अपने बेटे के शव के साथ क्या करना चाहते हैं। अदालत ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि शिंदे के समुदाय में दफनाने की प्रथा नहीं है। अदालत ने कहा कि माता-पिता की इच्छाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।
माता-पिता की इच्छा का सम्मान: हाईकोर्ट का फैसला
शिंदे के पिता ने हाईकोर्ट से यह अनुरोध किया कि उन्हें अपने बेटे के शव को दफनाने के लिए एक स्थान उपलब्ध कराया जाए। उनके इस अनुरोध के बाद अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह इसके लिए उचित स्थान की पहचान करे। अक्षय शिंदे का शव ठाणे के कलवा इलाके के एक सरकारी अस्पताल के शवगृह में रखा गया है, जहां से उसे दफनाने के लिए ले जाया जाएगा। परिवार का दावा है कि शिंदे ने अपने जीवन के अंतिम समय में यह इच्छा जताई थी कि उसका दाह संस्कार न किया जाए, बल्कि उसे दफनाया जाए।
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दफनाने के लिए स्थान की तलाश में मुश्किलें
इस बीच, शिंदे के पिता ने बताया कि उन्होंने कई स्थानों पर बेटे के शव को दफनाने की जगह तलाशने की कोशिश की, लेकिन उन्हें किसी ने भी जगह देने से मना कर दिया। सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने अदालत को सूचित किया कि बदलापुर और आसपास के सभी कब्रिस्तानों ने शिंदे के शव को दफनाने से इनकार कर दिया। इस स्थिति को देखते हुए, पुलिस ने शव को दफनाने के लिए एक सुनसान स्थान की पहचान करने का निर्णय लिया है, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके।
अगली सुनवाई 30 सितंबर को निर्धारित
अंत में, हाईकोर्ट ने पुलिस के इस निर्णय को स्वीकार कर लिया और यह भी कहा कि शिंदे के परिवार को दफनाने की प्रक्रिया के दौरान कार्यक्रम आयोजित करने की जरूरत नहीं है। पुलिस शिंदे के परिवार को दफनाने की जगह तक पहुंचाएगी, और यह सुनिश्चित करेगी कि वहां किसी प्रकार की समस्या न हो। मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को निर्धारित की गई है।
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