उपहार सिनेमा कांडः सबूतों से छेड़छाड़ करने पर गोपाल और सुशील अंसल की सजा बरकरार
Uphaar Tradegy: कोर्ट ने साल 1997 में हुए उपहार सिनेमा हादसे के दोषी सुशील अंसल और गोपाल अंसल की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने साफ कहा सबूतों से छेड़छाड़ करने पर अंसल बंधुओं को राहत नहीं दी जा सकती।
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अनीषा माथुर के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट
Uphaar Tradegy: कोर्ट ने साल 1997 में हुए उपहार सिनेमा हादसे के दोषी सुशील अंसल और गोपाल अंसल की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि सबूतों से छेड़छाड़ करने पर अंसल बंधुओं को कोई राहत नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि सीबीआई की जांच में कई तथ्य सामने आए हैं। सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई है। इससे पहले भी आरोपियों की ओर से सजा निलंबित करके जमानत पर रिहा करने की मांग की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
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13 जून 1997 को दिल्ली के उपहार सिनेमा में 'बॉर्डर' फिल्म चल रही थी। तभी सिनेमा हॉल में आग लग गई जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई। उपहार सिनेमा दक्षिण दिल्ली के ग्रीन पार्क इलाके में स्थित था। मामले की गंभीरता को देखते हुए केस सीबीआई को सौंपा गया था। सीबीआई ने 15 नवम्बर 1997 को कुल 16 लोगों को आरोपी बनाते हुए चार्जशीट दाखिल की। इसमें उपहार के मालिकों गोपाल अंसल और सुशील अंसल भी शामिल थे।
उपहार केस की TIMELINE
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13 जून 1997
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दिल्ली के ग्रीन पार्क इलाके के उपहार सिनेमा में बॉर्डर फिल्म दिखाई जा रही थी। आधी फिल्म के दौरान ही सिनेमा हॉल में आग लग गई जिसकी वजह से 59 लोगों की मौत हो गई जबकि 100 लोग घायल हो गए
22 जुलाई 1997
उपहार सिनेमा के मालिक सुशील अंसल और बेटे प्रणव को गिरफ्तार किया गया
24 जुलाई 1997
केस को सीबीआई को ट्रांस्फर कर दिया गया
15 नवंबर 2015
सीबीआई ने 16 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जिसमें सुशील और गोपाल अंसल का नाम शामिल था।
10 मार्च 1999
दिल्ली के सेशन कोर्ट में ट्रायल की शुरुआत हुई
27 फरवरी 2001
आईपीसी की धारा 304,304A,337 के तहत आरोप तय किए गए
23 मई 2001
अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों की शुरुआत हुई
4 अप्रैल 2002
दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को दिसंबर तक केस खत्म करने के आदेश दिया
2003
दिल्ली हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं को 18 करोड़ रुपये हर्जाने का आदेश दिया
सितंबर 2004
कोर्ट ने आरोपियों के बयान रिकॉर्ड करना शुरु किया
नवंबर 2005
बचाव पक्ष के गवाहों के बयान रिकॉर्ड करने शुरु किए गए
अगस्त 2006
बचाव पक्ष के गवाहों के बयान की रिकॉर्डिंग पूरी हुई
अगस्त 2007
सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे सीबीआई की तरफ से पेश हुए फैसला सुरक्षित रखा गया
5 सितंबर 2007
कोर्ट ने फैसला सुनाना टाला
22 अक्टूबर 2007
कोर्ट ने एक बार फिर फैसला सुनाना टाला
20 नवंबर 2007
कोर्ट ने मामले के सभी 12 आरोपियों को दोषी माना, सुशील और गोपाल अंसल को दो साल की सजा सुनाई गई
4 जनवरी 2008
दिल्ली हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं को जमानत दी
सितंबर 2008
सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की जमानत रद्द की दोनों को तिहाड़ जेल भेजा गया
नवंबर 2008
दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का आदेश रिजर्व किया
दिसंबर 2008
दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला कायम रखा, सजा घटा कर दो साल से एक साल की
2009
सुप्रीम कोर्ट में सजा बढ़ाने के लिए अर्जी डाली गई, सीबीआई ने सजा बढ़ाने को कहा
2013
सुप्रीम कोर्ट ने अर्जियों पर ऑर्डर रिजर्व किया
2014
सजा पर एक राय ना होने की वजह से मामला तीन जजों की बेंच को भेजा गया
2015
सजा की अवधि पर सुनवाई शुरू, सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं को 60 करोड़ रुपये देकर छोड़ने को भी कहा
फरवरी 2017
सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल अंसल को एक साल की सजा सुनाई
20 फरवरी 2020
सुप्रीम कोर्ट ने उपहार पीड़ितों की एसोसिएशन की क्यूरेटिव याचिका रद्द की
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