'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर एक बार फिर खिंच गई तलवारें, IFFI के जूरी हेड ने फिल्म के लिए कही ये बात

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'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर एक बार फिर खिंच गई तलवारें, IFFI के जूरी हेड ने फिल्म के लिए कही ये बात
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News of The Kashmir Files: इस साल यानी साल 2022 में अब तक की सबसे कामयाब फिल्मों में शुमार की जाने वाली द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) को लेकर एक बार फिर घमासान (Fight) शुरू हो गया है। या यूं भी कहा जा सकता है कि इस फिल्म (Film) को लेकर वार और पलटवार का नया सिलसिला शुरू हो गया है। इसी कड़ी में सबसे ताज़ा झगड़ा सामने आया है IFFI जूरी (Jury) और फिल्म के कलाकार (Film Actor) अनुपम खेर के बीच का।

असल में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के जूरी हेड नाडव लैपिड ने एक बयान देकर फिल्म एक्टर अनुपम खेर को भड़का दिया। नाडव लैपिड ने द कश्मीर फाइल्स को लेकर एक टिप्पणी की।

गोवा में हो रहे 53वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के एक कार्यक्रम में द कश्मीर फाइल्स को लेकर अपनी राय जाहिर करते हुए जूरी हेड नाडव लैपिड ने कहा है कि उन्हें ये फिल्म किसी प्रॉपगैंडा से कम नहीं लगती।

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साथ ही फिल्म का कथानक इतना भौंडा है कि उसे वल्गर की श्रेणी में रखा जा सकता है। इजराइली फिल्म मेकर नाडव लैपिड ने कहा कि ये मेरी निजी राय है और मुझे फिल्म देखकर ऐसा ही कुछ लगा है।

इस बयान के सामने आते ही हिन्दुस्तानी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कश्मीर मामलों पर हमेशा खुलकर अपनी राय रखने वालों में सबसे आगे रहने वाले अनुपम खेर और अशोक पंडित ने तो जैसे तलवार की निकाल ली।

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Film News : दोनों ने जमकर इजराइली फिल्म मेकर नाडव लैपिड पर निशाना साधा। अनुपम खेर ने तो इजराइली फिल्म मेकर की राय से नाइत्तेफाकी जाहिर की लेकिन अशोक पंडित तो और भी आगे निकल गए और उन्होंने इसे कश्मीरी पंडितों के अपमान से जोड़ दिया। इतना ही नहीं, दोनों फिल्मी हस्तियों ने नाडव लैपिड को IFFI का जूरी हेड बनाए जाने को लेकर भी सूचना और प्रसारण मंत्रालय तक को आड़े हाथों ले लिया।

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गोवा के पणजी में इन दिनों इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल चल रहा है। उसी फिल्म फेस्टिवल के दौरान इजराइली फिल्म मेकर ने द कश्मीर फाइल्स फिल्म की आलोचना कर दी। उनका कहना है कि इस फिल्म को देखकर साफ साफ कहा जा सकता है कि ये एक बेहद अश्लील फिल्म है और किसी प्रचार तंत्र का हिस्सा मालूम पड़ती है।

ये फिल्म किसी भी तरह का संदेश नहीं देती बल्कि सोचने और समझने की ताकत में उलझनें पैदा करती है। ऐसे में इतने बड़े फिल्म समारोह के दौरान ऐसी फिल्म को शामिल करना शायद ठीक नहीं है।

The Kashmir Files: उन्होंने ये भी कहा कि हो सकता है कि मेरी बात से बहुत लोग इत्तेफाक न रखें...लेकिन ये एक खुली और निसंकोच सोच है, जिसे मैं इस तरह के खुले मंच पर साझा करने में किसी तरह का कोई संकोच नहीं करना चाहता क्योंकि ये एक बेहद जरूरी चर्चा का हिस्सा है...और इसे साझा करते हुए मैं पूरी तरह से सहज महसूस कर रहा हूं। असल में कला और जीवन के लिए सच और झूठ में फर्क करना बेहद जरूरी है।

बस इसी बात को पकड़ते हुए अनुपम खेर ने नाडव लैपिड को आड़े हाथों ले लिया और एक ट्वीट ठोंक दिया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि झूठ कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, सच के सामने बौना ही रहता है।

जबकि फिल्म मेकर अशोक पंडित ने अपने ट्वीट में लिखा कि नाडव लैपिड को जूरी हेड बनाना शायद सूचना और प्रसारण मंत्रालय की अब तक की सबसे बड़ी चूक है। फिलिस्तीन के हमदर्द से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है। ऐसे में इस चूक के लिए जो भी जिम्मेदार है उसके खिलाफ एक्शन होना चाहिए।

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