Shraddha Murder Part 2: दिल्ली में एक और फ्रिज में रखी गई इंसानी लाश, पॉलीथिन में फेंके गए टुकड़े

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Shraddha Murder Part 2: दिल्ली में एक और फ्रिज में रखी गई इंसानी लाश, पॉलीथिन में फेंके गए टुकड़े
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दिल्ली में श्रद्धा मर्डर केस की गुत्थियां सुलझाने में लगी पुलिस ने अचानक एक ऐसे केस का खुलासा कर दिया जो हू ब हू श्रद्धा मर्डर की ही तरह सामने आया। हत्या की इस कहानी में एक किरदार है...उसकी लाश के टुकड़े हैं...और लाश के टुकड़ों को फ्रिज में रखने के साथ उन्हें पॉलीथिन के बैग में ठिकाने लगाने का पूरा क़िस्सा क़रीब करीब वैसा ही है जैसा श्रद्धा हत्याकांड में अभी तक सामने आया।

5 जून 2022, छतरपुर पहाड़ी, दिल्ली
शायद ये वही तारीख थी जब आफताब (Aaftab) ने श्रद्धा (Shraddha) की लाश (Deadbody) के टुकड़ों की आखिरी किश्त महरौली (Mehrauli) के इन्हीं जंगलों में ठिकाने लगाई थी। इसके साथ ही आफताब के घर की फ्रिज (Fridge) अब खाली हो चुकी थी।
5 जून 2022, पांडव नगर, दिल्ली
5 जून को दिल्ली में सिर्फ एक फ्रिज खाली नहीं हुई थी...बल्कि उस रोज दो फ्रिज खाली हुई थीं। दूसरी फ्रिज छतरपुर पहाड़ी से करीब 20 किलोमीटर दूर पांडव नगर के इस घर में हुई थी। ठीक श्रद्धा केस की तरह इस केस में भी लाश के टुकड़े किए गए...टुक़ड़ों को फ्रिज में रखा गया...और फिर अलग अलग रातों में उन टुकड़ों को पॉलीथिन में डाल कर पूर्वी दिल्ली के अलग अलग इलाक़ों में फेंका गया।

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इत्तेफाक की बात देखिये...कि जब श्रद्धा की लाशों के टुकड़ों को दिल्ली पुलिस महरौली के जंगलों में ढूंढ़ रही थी, जब उस फ्रिज और टुकड़ों के बारे में दिल्ली और देश भर में बातें हो रही थीं...आफताब और श्रद्धा की कहानियां टीवी और अखबारों में सुर्खियां बनी हुई थीं...

तब ठीक उस वक्त इसी दिल्ली के एक और घर में दो लोग इस खबर पर बराबर नज़रें गड़ाए थे। शायद उन्हें पता था कि छतरपुर के घर से निकली कहानी उनके घर में कैद कहानी से हू ब हू मिलती है। तो चलिए श्रद्धा पार्ट 2 की अब पूरी कहानी सुनाता हूं...

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Delhi Pandav Nagar Murder : 5 जून पांडव नगर पुलिस स्टेशन को एक सूचना मिलती है...खबर ये थी कि रामलीला मैदान की झाड़ियों में प्लास्टिक का एक बैग लावारिस पड़ा है। खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुँचती है...बैग खोलती है...बैग के अंदर से एक इंसानी पैर मिलता है...सड़ी हालत में...आस पास की तलाशी लेने पर थोड़ी ही दूरी पर प्लास्टिक का एक दूसरा बैग मिलता है।

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इसमें भी एक पैर था...इसके बाद अगले तीन चार दिनों तक इसी रामलीला मैदान की झाड़ियों से अलग अलग कुछ और प्लास्टिक के बैग मिलते हैं। इन सभी बैग से कुल मिलाकर दो पैर...दो जांघ...दो हाथ...और एक सिर बरामद होता है...पर चेहरा पहचाने जाने लायक नहीं था। इसके बाद पुलिस की टीम पूरे इलाक़े के छान मारती है।

लेकिन लाश का कोई और टुकड़ा नहीं मिलता। फॉरेंसिक टीम की मदद से पुलिस बरामद लाशों के टुकड़ों को लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल में सुरक्षित रखवा देती है। इसके बाद बाकी इलाक़ों की भी तलाशी लेती है। मगर कोई और टुकड़ा नहीं मिलता।
क़त्ल बड़ी बेदर्दी से किया गया था। मामला संगीन था...लिहाजा मामले की जांच लोकल पुलिस से लेकर क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया।

मगर कातिल तो छोड़िये....मरने वाले के बारे में ही कोई जानकारी नहीं मिल रही थी सिवाये इतने कि लाश किसी पुरुष की है। इसी के बाद एक स्पेशल टीम तैयार की जाती है।

Delhi Pandav Nagar Murder : सबसे पहले पुलिस आस पास के तमाम थानों से ये पता करने की कोशिश करती है कि कहीं कोई गुमशुदगी की कोई रिपोर्ट तो दर्ज नहीं है। पूर्वी दिल्ली के अलावा दिल्ली की सरहद से लगते उत्तर प्रदेश के कुछ थानों को भी टटोला जाता है।

मगर कोई कामयाबी हाथ नहीं लगती। रामलीला मैदान के आस पास के तमाम सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला जाता है। फिर भी कोई सुराग हाथ नहीं लगता।वक्त बीतता जाता है। कई महीने बीतने के बाद आखिरकार पुलिस तय करती है कि वो रामलीला मैदान के आस पास तमाम सीसीटीवी फुटेज को एक बार फिर से तसल्ली से जांचेगी।
आखिरकार पुलिस को पहली कामयाबी हाथ लगती है। रामलीला मैदान के करीब एक सीसीटीवी फुटेज में 31 मई और 1 जून की रात दो लोग बैग लिए रामलीला मैदान की तरफ जाते नज़र आते हैं। दोनों वापसी में भी नज़र आते हैं। फुटेज से इतना साफ हो जाता है कि उन दो मेें से एक महिला है और एक पुरुष। लेकिन अंधेरा होने की वजह से उन दोनों का चेहरा साफ दिखाई नहीं पड़ रहा था।

इसी दौरान सीसीटीवी फुटेज से ही पुलिस के हाथ एक और तस्वीर लगी। ये तस्वीर 1 जून के दिन की थी। इसमें भी एक पुरुष और महिला प्लास्टिक बैग लेकर रामलीला मैदान जाते नज़र आते हैं। पर इस बार भी चेहरा ठीक से कैद नहीं हो पाया था।

फिर भी पुलिस आस पास के तमाम इलाक़ों में इन दोनों को तलाशने का काम करती है। लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिलती। इस दौरान पुलिस की एक टीम रामलीला मैदान के इर्द गिर्द की हर कॉलोनी में घर घर जाकर लोगों से पता करती है कि कहीं कोई मिसिंग तो नहीं है। फिर भी कोई सुराग हाथ नहीं लगता।

Delhi Pandav Nagar Murder : अब तक 6 महीनें बीत चुके थे। अब जून से नवंबर आ चुका था।
डोर टू डोर...यानी घर घर जाकर पुलिस की पूछताछ ने छह महीने बाद आखिरकार अपना रंग दिखाया। पता चला कि त्रिलोकपुरी का रहने वाला अंजन दास नाम का एक शख्स पिछले करीब पांच छह महीने से गायब है।

पुलिस ने थाने से उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट तलाशने की कोशिश की। तो पता चला कि अंजन दास की मिसिंग रिपोर्ट कहीं किसी थाने में लिखाई ही नहीं गई। ये बात बेहद अजीब थी। आखिरकार पुलिस अंजन दास का पता ढूंढ़ते ढूंढते त्रिलोकपुरी उसके घर जा पहुँची। जब पुलिस घर पहुँची तो उसे वहां एक महिला और एक नौजवान नज़र आया। पहली बार पुलिस की आंखें चमकी।

सीसीटीवी फुटेज की वो तस्वीरें नज़रों के सामने कौंध गईं। अब पुलिस ने पूछताछ शुरू की। महिला का नाम पूनम देवी था। और नौजवान का दीपक। दीपक पूनम का बेटा था। पहले तो दोनों पुलिस को उलझाते रहे। लेकिन फिर थोड़ी ही देर में ये साबित हो गया कि अंजन दास छह महीने पहले तक इसी घर में पूनम और दीपक के साथ रहा करता था।

अब तक लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में रखे लाशों के टुकड़ों की फॉरेंसिक जांच भी हो चुकी थी। बाकी रही सही कसर...घर की तलाशी ने पूरी कर दी। पूनम और दीपक के घर से पुलिस को उनका वो कपड़ा मिल गया जो इन दोनों ने 31 मई और 1 जून को लाशों के टुकड़ों को ठिकाने लगाते वक्त पहना था और जिन कपड़ों में ये दोनों सीसीटीवी कैमरे में कैद हो चुके थे। अब झूठ की कोई गुंजाइश नहीं बची थी। लिहाजा पूनम और दीपक दोनों ने कहानी सुनानी शुरू कर दी।

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