Shraddha Murder Case: क्या आफताब खेल रहा है दिल्ली पुलिस के साथ कौन बनेगा करोड़पति?

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Shraddha Murder Case: क्या आफताब खेल रहा है दिल्ली पुलिस के साथ कौन बनेगा करोड़पति?
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Shraddha Murder Case: श्रद्धा मर्डर मिस्ट्री (Murder Mystery), अभी तक इस केस में मिस्ट्री जैसी कोई बात नहीं थी, लेकिन जैसे जैसे तफ्तीश (Investigation) आगे बढ़ रही है और कुछ कुछ जानकारियां सामने आती जा रही हैं ये कैसे शीशे (Clean) की तरह साफ होने की बजाए उस पर सवालों की भाप जैसी जमने लगी है जिसकी वजह से ये हत्या का किस्सा एक अनबूझ पहेली (Puzzle) जैसा नज़र आने लगा है।

पुलिस के सामने बेशक एक आरोपी है जिसका कबूलनाम भी है...लेकिन असल में उस आरोपी का वही कुबूलनामा फिलहाल पुलिस की आंखों में पट्टी बांधता दिखाई दे रहा है...और सच कहें तो धीरे धीरे ये केस दिल्ली पुलिस के लिए गले की हड्डी जैसा बनता जा रहा है जिसे न तो निगलते बन रहा और न ही उगलते।

क्योंकि केस की गुत्थी सुलझने की बजाए और बुरी तरह से उलझती जा रही है...ये उलझन उन सवालों से पैदा होती है जो सवाल कत्ल के आरोपी आफताब के बयानों से पैदा हो रहे हैं...

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और उनमें भी सबसे अहम है हत्या के बाद लाश को ठिकाने लगाने का तौर तरीका और उसके बारे में पुलिस को बताना।

Delhi Police Investigation: कुछ सवालों के जवाब तो खुद किसी भी सामान्य इंसान को पहेली की तरह लग सकते हैं। मसलन हत्या की ये वारदात हुई थी मई के महीने में...शुरू के दो दिन लग गए लाश को ठिकाने लगाने के लिए जुगत लगाने और लाश को छोटे छोटे टुकड़ों में तब्दील करने में ।

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उसके बाद लाश के टुकड़ों से भरे पॉलीथिन के पैकटों को जंगल के हवाले करने का जो सिलसिला आरोपी आफताब ने पुलिस को बताया...और पुलिस के साथ जाकर घर के पास वाले जंगल के कुछ हिस्सों को दिखाया...

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तो एक सवाल ये पैदा होता है कि क्या आरोपी आफताब जंगल के हरेक हिस्से को अपने हाथों की हथेली की तरह पहचानता है...जवाब होगा ...नहीं...तो दूसरा सवाल ये खड़ा होता है कि वो इतने भरोसे के साथ पुलिसवालों को उन जगहों तक कैसे ले जा रहा जिसके बारे में वो कुछ भी यकीन से नहीं कह सकता...

जाहिर है फिर सवाल पुलिस पर आकर टिकता है कि तो क्या पुलिस आरोपी आफताब की बताई गई बातों में आकर उस जगह को आखिरी मंजिल मानकर चल रही है...यहां जवाब शायद यही होगा कि नहीं...पुलिस पूरी तरह से तो बेशक आरोपी के बताए गए रास्ते पर चलने पर यकीन करे अलबत्ता ये जरूर है कि आफताब के बयानों ने पुलिस को ऐसे चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है कि अब वो कौन सा रास्ता पकड़े जिससे सबूतों की मंजिल तक पहुँच जाए...

Shraddha Murder Case: 13 नवंबर के बाद से 18 नवंबर के बीच दिल्ली पुलिस की टीमें उस महरौली जंगल के चार चक्कर काट चुकी हैं और 14 घंटों तक जंगल की खाक छानने के बाद सिर्फ 13 हड्डियां ही वहां से बटोरकर ला सकी। और वो भी इस भरोसे में कि जो हड्डियां उसके हाथ लगी हैं वो इंसानी हड्डियां ही हों और उस इंसान का नाम श्रद्धा ही हो...।

बाकी जिस जिस सबूत को पुलिस ने अब तक अपनी मेहनत से इकट्ठा किया है...उनमें कुछ टैक्निकल एविडेंस हैं...और कुछ ऐसे जिसमें चश्मदीद की गवाही शामिल है मसलन जिस दुकान से उसने आरी खरीदी उस दुकानदार की शिनाख्त और जहां से आफताब ने फ्रिज खरीदा उस शो रूम की रसीद और उसके मालिक की गवाही...इसके अलावा श्रद्धा के बैंक खाते में जो आफताब ने सेंधमारी की उसका पता भी पुलिस ने उसके मोबाइल और इंटरनेट में झांककर पता लगा लिया।

लेकिन ये सारे सबूत जो भी पुलिस ने अब तक इकट्ठा किए हैं...क्या उन तमाम चीजों के बारे में आरोपी आफताब ने बड़ी आसानी से सब कुछसच सच बताया या पुलिस को अपनी तरफ से चीजों को इकट्ठा करके आफताब को कुबूल करने को मजबूर किया।

ऐसे में ये अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है कि श्रद्धा मर्डर केस का आरोपी आफताब किस तरह पूरी तफ्तीश और पुलिस को गुमराह करने में लगा हुआ है। शायद वो जानता है कि पुलिस के पास ज़्यादा वक़्त नहीं है...और अगर इतने थोड़े से वक़्त में अगर वो पुलिस को थोड़ा सा भी भटकाने में कामयाब रहा तो वो आसानी से क़ानून के शिकंजे से निकल जाएगा...और उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा...

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