Draupadi Murmu: भाजपा से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार होंगी द्रौपदी मुर्मू, बर्थडे के अगले दिन मिला बड़ा गिफ्ट, जानें कौन हैं ये आदिवासी नेता?

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Presidential Election: राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर NDA ने द्रौपदी मुर्मू (draupadi murmu) के नाम की घोषणा की है. द्रोपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल (draupadi murmu Ex governor) रह चुकी हैं.

द्रौपदी मुर्मू का जन्मदिन 20 जून को होता है. उनका जन्म 20 जून 1958 को हुआ था. यानी देखा जाए तो उनके बर्थडे के अगले दिन ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर घोषणा हुई. द्रौपदी मुर्मू भुवनेश्वर के रामा देवी महिला महाविद्यालय से ग्रेजुएट हैं.

1994 से 1997 तक वो रायरंगपुर के कॉलेज में टीचर रहीं थीं. इसके बाद बीजेपी महिला मोर्चा की सदस्य बनीं थीं. फिर राजनीति से ऐसे जुड़ीं कि लगातार आगे बढ़तीं गईं. वो साल 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रहीं थीं.

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BJP प्रमुख जेपी नड्डा ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रोपदी के नाम का ऐलान किया. कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए BJP ने किसी महिला आदिवासी प्रत्याशी को प्राथमिकता दी है. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की आदिवासी राजनीतिज्ञ हैं.

द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के नौवें राज्यपाल के रूप में काम किया था. वह देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल होने का गौरव रखती हैं. ये भी कहा जा रहा है कि गुजरात में चुनाव हैं और वहां भी काफी संख्या में आदिवासी हैं.

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Who is draupadi murmu: द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल रहीं हैं. वो इस राज्य में सबसे लंबे समय तक राज्यपाल रहीं. झारखंड के इतिहास में वो एकमात्र राज्यपाल रहीं जिन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया. इसके साथ ही पांच साल का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी वे इस पद पर बनी रहीं थीं. इन्हें सादगी वाली आदिवासी नेता कहा जाता है. ये झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं. इन्होंने कुल 6 साल 1 माह 18 दिनों का कार्यकाल पूरा किया था.

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द्रौपदी मुर्मू अपनी सादगी के लिए जानी जाती हैं. राजभवन में भी उनकी इस बात को लेकर चर्चा होती रहती थी. वो आसानी से हर किसी से मुलाकात करतीं थीं. उन्होंने यूनिवर्सिटी के सभी कॉलेजों में एक साथ ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया शुरू कराई थी.

इसके अलावा भाजपा की पिछली सरकार में सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक सहित कई विधेयकों को सरकार को वापस लौटाने का कड़ा कदम भी उठाया था. जिसे लेकर वो चर्चा में आईं थीं.

किसी क्षेत्र की समस्या को जानने के लिए वो खुद ही वहां की ग्राम सभाओं और प्रतिनिधियों को बुलाकर बैठक करती थीं. लड़कियों की शिक्षा के लिए कई कदम उठाए.

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