INS Vikrant : आ गया समंदर का शहंशाह! पीएम मोदी ने INS Vikrant नौसेना को सौंपा
INS Vikrant : IAC Vikrant में 30 एयरक्रॉफ्ट तैनात हो सकते हैं। इसके अलावा इससे मिग 29K फाइटर जेट भी उड़ान भरके एंटी-एयर, एंटी-सरफेस और लैंड अटैक में भूमिका निभा सकता है।
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INS Vikrant: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत INS Vikrant नौसेना को सौंप दिया। INS Vikrant की खास बात ये है कि यह एक स्वदेशी युद्धपोत है। इसे 2009 में बनाना शुरू किया गया था। अब 13 बाद ये नौसेना मिला है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने नौसेना के नए Ensign (निशान) का भी अनावरण किया।
IAC विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'अमृतकाल' के प्रारंभ में INS विक्रांत की कमीशनिंग अगले 25 सालों में राष्ट्र की सुरक्षा के हमारे मजबूत संकल्प को दर्शाती है। INS विक्रांत आकांक्षाओं और आत्मनिर्भर भारत का एक असाधारण प्रतीक है। आप सभी नौसेना की परंपराओं से अवगत हैं 'ओल्ड शिप्स नेवर डाई।' 1971 के युद्ध में अपनी शानदार भूमिका निभाने वाले विक्रांत का यह नया अवतार, 'अमृत-काल' की उपलब्धि के साथ-साथ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और बहादुर फौजियों को भी एक विनम्र श्रद्धांजलि है।
Prime Minister Narendra Modi unveils the new Naval Ensign in Kochi, Kerala.
— ANI (@ANI) September 2, 2022
Defence Minister Rajnath Singh, Governor Arif Mohammad Khan, CM Pinarayi Vijayan and other dignitaries are present here. pic.twitter.com/JCEMqKL4pt
क्यों खास है विक्रांत ?
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IAC विक्रांत 20,000 करोड़ की लागत से बना है। इसमें 2,300 कंपार्टमेंट के साथ 14 डेक हैं जो लगभग 1,500 जवानों को ले जा सकती और इनकी भोजन की जरूरत को पूरा करने के लिए, इसकी रसोई में लगभग 10,000 रोटियां बनाई जा सकती हैं। इस युद्धपोत में 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनें लगी हैं और इसकी अधिकतम गति 28 (नौट) समुद्री मील है। यह पूरी परियोजना रक्षा मंत्रालय और सीएसएल के बीच डील के तीन चरणों में आगे बढ़ी है। यह मई 2007, दिसंबर 2014 और अक्टूबर 2019 में पूरी हुई हैं।
INS Vikrant का वजन 45000 टन है। यानी इसे बनाने में फ्रांस स्थित एफिल टावर के वजन से चार गुना ज्यादा लोहा और स्टील लगा है। इतना ही नहीं इसकी लंबाई 262 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है। यानी यह फुटबॉल के दो मैदान के बराबर है। पहले स्वदेशी युद्धपोत में 76% स्वदेशी उपकरण लगे हैं। इस पर 450 किमी मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात रहेगी। इसमें 2400 किमी केबल लगी है। यानी कोच्चि से दिल्ली तक केबल पहुंच सकती है।
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