फर्जी ट्रेनिंग, फर्जी ज्वाइनिंग लेटर और नौकरी के नाम पर करोड़ों की ठगी, गैंग के तीन जालसाज गिरफ्तार
UP Crime News: ये गैंग अभ्यर्थियों को नौकरी दिलाने के नाम पर 2 से 3 लाख रुपए ठगी किया करता था। हैरानी की बात ये है कि इन अभ्यर्थियों की बाकायदा ट्रेनिंग कराई जाती थी और इस दौरान ₹3000 के स्टाइपेंड भी दिया जाता था।
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UP Crime News: ये गैंग उत्तर प्रदेश वन निगम, उत्तर प्रदेश जल निगम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, Ministry of Environment forest and Climate Change, Government of India में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करता था। पुलिस ने बड़े पैमाने पर ठगी करने वाले गैंग के तीन जालसाजों को गिरफ्तार किया है। यूपूएसटीएफ ने लखनऊ के नजदीक बाराबंकी के कुर्सी इलाके से बेरोजगारों को ठगने वाले 3 ठगों को गिरफ्तार किया तो ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
नकली ट्रेनिंग और फिर फर्जी जॉइनिंग लेटर
बाराबंकी के कुर्सी इलाके में बेरोजगार लड़कों को नौकरी के बाद ट्रेनिंग और फिर फर्जी जॉइनिंग लेटर देकर कर ये जालसाज लाखों की ठगी को अंजाम दे रहे थे। एसटीएफ अधिकारियों ने बताया कि ये गैंग अभ्यर्थियों को नौकरी दिलाने के नाम पर 2 से 3 लाख रुपए ठगी किया करता था। हैरानी की बात ये है कि इन अभ्यर्थियों की बाकायदा ट्रेनिंग कराई जाती थी और इस दौरान ₹3000 के स्टाइपेंड भी दिया जाता था।
ये गैंग Ministry of Environment forest and climate change, Government of India का बोर्ड लगाकर training सेंटर चला रहे था। पकड़े गए आरोपियों के पास से उत्तर प्रदेश सचिवालय के सहायक समीक्षा अधिकारी का फर्जी आईकार्ड, उत्तर प्रदेश जल निगम, उत्तर प्रदेश वन निगम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन समेत कई विभागों के फर्जी जॉइनिंग लेटर और मोहरे बरामद हुए हैं।
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अब तक करोड़ों रुपये की ठगी
यूपी एसटीएफ ने ठगी करने वाले गैंग के मास्टरमाइंड अभिषेक प्रताप सिंह के साथ दो अन्य साथी अतहर हुसैन और नीरज मिश्रा को गिरफ्तार किया है। गैंग के बाकी सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। लखनऊ निवासी अभिषेक प्रताप सिंह अपने साथियों के साथ बेरोजगार युवकों को बहला फुसलाकर सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का कार्य करते हैं और अब तक करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं।
एक महीने का स्टाइपेन्ड 02 से 03 हजार रुपये
खुलासा हुआ है कि ये गैंग पहले शहर के किनारे एकांत में एक मकान देखकर उसे किराये पर लेता है और वहां नौकरी से सम्बंधित विभाग की पोस्टर होर्डिंग, फर्नीचर आदि की व्यवस्था कर उसे ट्रेनिंग सेंटर में परिवर्तित कर देता था। उसके बाद चिन्हित किये गये बच्चों से प्रति व्यक्ति 2 से 3 लाख रूपये लेकर उन्हें नौकरी की ट्रेनिंग दिलाने के नाम पर बुलाते और कुछ दिन ट्रेनिंग देकर उनसे विभिन्न विषयों पर अध्ययन करवाकर प्रोजेक्ट इत्यादि तैयार कराते थे जिससे अभ्यर्थियों को लगे की उनकी वास्तविक ट्रेनिंग चल रही है। फिर उनकी सर्विस बुक तैयार करवाते थे। उसके बाद एक महीने का स्टाइपेन्ड 02 से 03 हजार रुपये भी उनके खाते में भेजते थे। उसके बाद गैंग के सभी लोग सारे रूपये मिल जाने पर अपना ट्रेनिंग सेण्टर मोबाइल नंबर इत्यादि बंद करके फरार हो जाते थे।
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