Hathras Kand : हाथरस कांड में क्या हुआ था उस लड़की के साथ, अब कोर्ट ने क्यों 3 लड़कों को बरी कर दिया, जानिए पूरी कहानी
UP Hathras Kand Today News : हाथरस में हुई उस घटना में अपडेट क्या आया है. तो आपको बता दें कि उस दलित लड़की. जिसकी उम्र करीब 19 से 20 साल थी. उसके साथ कथित तौर पर गैंगरेप के बात हत्या की गई थी. उस मामले में एक स्थानीय कोर्ट ने 4 में से एक अभियुक्
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UP Hathras Kand : सबसे पहले इस तस्वीर को देखिए. ये वही तस्वीर है जिसे देखकर देश भर में बवाल हुआ था. ये वही तस्वीर है जिसकी आग में एक लड़की की लाश जल रही थी. मरने के बाद तो इस लड़की की सुरक्षा में दर्जनों पुलिसवाले खड़े दिख रहे थे. लेकिन अफसोस की बात ये है कि जब वो मर रही थी तो उसकी चीख किसी की कानों तक नहीं पहुंची थी.
अफसोस इस बात का भी रहा कि मरने के बाद इस लड़की के नसीब में अपने परिवार के हाथों जलना नहीं लिखा था. ये तस्वीर 30 सितंबर 2020 की है. और अब करीब दो साल 5 महीने बाद फिर से इसकी मौत की चर्चा है. इसे मारने और कथित तौर पर गैंगरेप करने वाले 4 आरोपियों में से तीन को बरी कर दिया गया है. दोषी सिर्फ एक को माना गया है. लेकिन गैंगरेप से जुड़ा कोर्ट को कोई सबूत नहीं मिला है. लिहाजा, सजा भी सिर्फ गैर इरादतन हत्या और SC ST एक्ट के तहत दी गई है. बात हो रही है यूपी के हाथरस में दलित लड़की की हुई सनसनीखेज हत्या की.
हाथरस कांड में कोर्ट ने क्या दिया है फैसला
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UP Hathras Kand Today News : सबसे पहले जानते हैं कि आखिर हाथरस में हुई उस घटना में अपडेट क्या आया है. तो आपको बता दें कि उस दलित लड़की. जिसकी उम्र करीब 19 से 20 साल थी. उसके साथ कथित तौर पर गैंगरेप के बात हत्या की गई थी. उस मामले में एक स्थानीय कोर्ट ने 4 में से एक अभियुक्त को दोषी ठहराया है बाकी 3 को बरी कर दिया है. जिस दोषी करार दिया है उसे उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है. उस पर 40 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि पूरे केस में रेप का आरोप साबित नहीं हुआ.
यानी जिस गैंगरेप और मर्डर को लेकर पूरा देश और दुनिया में खबर सुर्खियों में छा गई थी, असल में उसमें गैंगरेप जैसा कुछ हुआ ही नहीं था. कोर्ट के आदेश के अनुसार तो फिलहाल यही कह सकते हैं. ये केस सीधे मर्डर का भी नहीं था. क्योंकि कोर्ट ने गैर-इरादतन हत्या का मामला माना है. इस फैसले को बचाव पक्ष के वकील ने कहा है कि आखिर सच सामने आया है. जिसे दोषी माना गया है असल में वो भी बेगुनाह है. इसलिए उसकी बेगुनाही साबित कराने के लिए हाई कोर्ट जाएंगे. इसके ठीक उलट पीड़ित पक्ष के वकील ने कहा है कि वो कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. इस फैसले के खिलाफ हम हाई कोर्ट जाएंगे.
आखिर हाथरस में 14 सितंबर 2020 को क्या हुआ था
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वो तारीख थी 14 सितंबर और साल था 2020. 20 साल की एक लड़की अपनी मां के साथ घर से करीब आधा किलोमीटर दूर घास काटने गई थी. इस गांव में दलित और सवर्णों के बीच बहुत तनातनी रहती है. दोनों मां बेटी एक दूसरे से अलग होकर घास काटने लगी थीं. काफी देर तक बेटी का कुछ पता नहीं चला. किसी तरह उसकी तलाश करते हुए पहुंची तो देखा कि बेटी घायल हालत में है. उसके कपड़े फटे हुए थे. वो दर्द से काफी कराह रही थी. उसने तुरंत अपने बेटे को जानकारी दी. फिर मां और लड़की का बड़ा भाई दोनों मिलकर उसे चंदपा थाने ले गए. वहां से उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. फिर अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया.
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वहां लड़की ने होश में आकर बयान दिया. उसने बताया था कि 4 लड़कों ने गैंगरेप किया. मेरे शरीर को बुरी तरह से नोचा. बेरहमी से पिटाई की. जिससे मरने की हालत में आ चुकी हूं. इस बयान के बाद उसकी हालत और बिगड़ती गई. फिर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में लाया गया. यहां 29 सितंबर को उस लड़की की मौत हो गई थी. मौत के अगले दिन यानी 30 सितंबर को यूपी पुलिस की भारी सुरक्षा में उसे हाथरस लाया गया. वहां पर रात के अंधेरे में ही पुलिस ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया था. परिवार को उसे जलाए जाने की भनक तक नहीं लगी. जिसे लेकर घरवालों ने काफी विरोध किया था. मीडिया में भी जमकर बवाल हुआ था. फिर मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग हुई. इसे मंजूरी भी मिल गई. सीबीआई ने 11 अक्टूबर 2020 को एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू की.
यूपी पुलिस ने चारों को किया था गिरफ्तार
इससे पहले यूपी पुलिस की जांच के दौरान ही चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. लड़की के भाई ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई थी. लवकुश सिंह, रामू, संदीप और रवि सिंह को आरोपी बनाया गया था. सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. जब सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की तो 104 लोगों को गवाह बनाया. 35 लोगों की कोर्ट में गवाही कराई गई थी. कुल 67 दिन बाद ही सीबीआई ने 18 दिसंबर 2020 को ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी. सीबीआई ने चारों पर हत्या और गैंगरेप को लेकर सबूत पेश किए थे. इसमें यूपी पुलिस की लापरवाही भी दिखाई गई थी.
क्या कह रहे हैं आरोपी और बचाव पक्ष के वकील
अब पूरे मामले पर आरोपी पक्ष के वकील मुन्ना सिंह पुंढीर ने कहा है कि…
रवि सिंह, लवकुश सिंह और रामू सिंह को कोर्ट ने निर्दोष माना है. यानी इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है. लिहाजा, तीनों को बरी कर दिया है. सजा सिर्फ संदीप को मिली है. वो भी उम्रकैद की. लेकिन उस पर भी गैंगरेप का आरोप साबित नहीं हो सका. यानी उस लड़की के साथ गैंगरेप जैसा कुछ नहीं हुआ था. सभी आरोप झूठे थे. वैसे संदीप भी निर्दोष है. हम हाई कोर्ट जाएंगे. वो भी बरी हो जाएगा.
हाथरस कांड में भले ही मीडिया और पीड़ित परिवार ने गैंगरेप और मर्डर होने का दावा किया हो लेकिन इस मामले में यूपी सरकार ने कुछ और ही बात कही थी. 6 अक्टूबर 2020 को यूपी सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में फॉरेंसिक रिपोर्ट की कॉपी सौंपी गई थी. उसमें कहा गया था कि जांच में रेप के सबूत नहीं मिले हैं. अब कोर्ट ने भी अपने फैसले में गैंगरेप को सच नहीं माना है.
इस पर पीड़ित पक्ष के वकील महिपाल सिंह ने कहा है कि…
कोर्ट ने 3 आरोपियों को बरी किया है. सिर्फ संदीप को गैर इरादतन हत्या यानी आईपीसी की धारा 304 और एससी और एसटी के तहत दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने गैंगरेप को नहीं माना है. अब इसके पीछे क्या वजह है. ये तो जजमेंट की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा. लेकिन ये तय है कि हम हाई कोर्ट में अपील करेंगे.
आखिर किसे मिलेगा इंसाफ?
अब देखते हैं कि हाई कोर्ट में अपील के बाद किसे इंसाफ मिलता है. उस लड़की को जिसके परिवार का दावा है कि उन्हें इंसाफ नहीं मिला है. जब तक चारों दोषियों को सजा नहीं मिलती अपनी बेटी की अस्थियों को हम विसर्जित नहीं करेंगे. या फिर आरोपी पक्ष के लोगों को जिनका कहना है कि चौथा दोषी भी निर्दोष है. उसे भी जल्द ही न्याय मिल जाएगा...
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