एक हथकड़ी में इसलिये जकड़े थे अतीक अहमद और अशरफ के हाथ, 40 सेकंड में चली थीं 18 गोलियां!
Atiq Ahmad and Ashraf Handculf: शनिवार की रात यानी 15 अप्रैल की रात अतीक और अशरफ 40 सेकंड में चली 18 गोलियों का शिकार हो गए, मगर एक उस हथकड़ी ने अचानक कई सवालों को खोल दिया जिस एक हथकड़ी में अतीक और अशरफ को जकड़ा गया था। मगर इससे भी बहुत पहले कोर
ADVERTISEMENT
15 अप्रैल की रात 10 बजकर 38 मिनट पर महज 40 सेकंड के भीतर ही तीन हमलावरों ने ताबड़तोड़ तरीके से गोली चलाते हुए अतीक और उसके भाई अशरफ को मौत के घाट उतार दिया। इस सनसनीखेज़ वारदात का गवाह बना समूचा हिन्दुस्तान...क्योंकि ये सब कुछ हुआ था कैमरों के सामने और वो भी LIVE।
जिस वक़्त ये सब कुछ हुआ...मीडिया में चल रही तस्वीरों पर अगर गौर करें तो एक हथकड़ी में ही दोनों मुल्जिम बंधे हुए थे। ऐसे में ये सवाल तो खड़ा होता ही है कि आखिर दोनों को एक ही हथकड़ियों में क्यों जकड़ा गया। पुलिस की ये दलील हो सकती है कि दोनों को एक हथकड़ियों में इसलिए जकड़ा गया क्योंकि दोनों अगर भागने की कोशिश करें भी तो भाग न सकें।
मगर हथकड़ियों से जुड़ा एक और क़िस्सा है जिसका ताल्लुक कोर्ट में हुए एक ड्रामे से जुड़ता है। जहां से सवाल खड़े हो जाते हैं। उमेश पाल हत्याकांड के सिलसिले में कोर्ट में हाजिर किए गए अतीक अहमद के भाई अशरफ यानी खालिद अहमद ने गुरुवार को कोर्ट में जो कुछ किया उसकी चर्चा कोर्ट के बाहर बहुत ज्यादा हुई। जैसे ही मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में पहुँचे ठीक उसी समय अशरफ हथकड़ी लगे अपने दोनों हाथों को हवा में उठाकर जज से गुहार लगाई कि, हुजूर ये कहां का न्याय है। जब हम किसी भी मामले में अभी अदालत की तरफ से दोषी करार नहीं दिए गए हैं तो हमें पुलिसवालों ने क्यों इस तरह हथकड़ियों में जकड़ा है।
ADVERTISEMENT
इसी बीच पुलिसवालों ने फौरन अशरफ की हथकड़ियों को खोलने की कोशिश की। तो अशरफ के वकील ने दखल देकर उन्हें रोका और कहा कि जब तक जज साहब इनकी हथकड़ियों को देख न लें तब तक इनकी हथकड़ियां नहीं खोली जानी चाहिए।
अतीक और अशरफ की पैरवी करने के लिए कोर्ट में राधेश्याम पांडेय मनीष खन्ना, विजय मिश्रा और दयाशंकर मिश्रा अपनी दलील के साथ मौजूद थे। और उनकी दलील का पुलिस के पास कोई जवाब नहीं था।
ADVERTISEMENT
लेकिन सिर्फ 15 अप्रैल की रात 10 बजकर 32 मिनट पर सिर्फ दस सेकेंड के भीतर इन तीन शूटरों ने ताबड़तोड़ 18 गोलियां चलाकर सौ से ज्यादा आपराधिक मुकदमों के आरोपी माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ को पुलिस की मौजूदगी में ढेर कर दिया। हमलावरों ने पत्रकार का वेश धरा था। गले में नीले रंग का आईकार्ड टांग रखा था। अपने साथ एक डमी कैमरा और माइक आईडी लेकर पहुंचे थे।
ADVERTISEMENT
हमलावरों का पेशेवर अंदाज: जिस तरह से शूट आउट को अंजाम दिया गया उससे साफ अंदाजा लग गया तीनों कोई पेशेवर अपराधी हैं। शूटर सीधे अतीक के सिर पर गोली मारता दिखता है। शूटर सधे हुए हाथों से गोली चलाते नजर आते हैं। यानी मकसद साफ था कि अतीक-अशरफ बचने ना पाएं। गोलियां चलाने के तुरंत बाद हाथ खड़े कर देते हैं। यानी इनका मकसद पुलिस पर गोली चलाकर भागना नहीं था। सुबह तक शूटरों को लेकर कई बातें साफ हो गईं।
ADVERTISEMENT