माइनस 35 डिग्री में नंगे बदन निकलकर खुद को सज़ा क्यों दे रहा है ये इंसान?

the man who runs in -35 degree temperature

CrimeTak

21 Dec 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:11 PM)

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ठंड उससे कांपती है, सर्दी उससे थर्रथराती है, बर्फ उसे देखकर पिघल जाती है। क्योंकि ये है ठंड का सबसे बड़ा दुश्मन। कभी है ये नंगे पांव, नंगे बदन बर्फ पर मीलों तक दौड़ता है। कभी ये खून जमाने वाले बर्फीले पानी में मछली की तरह तैरता है। कभी ये कपड़े उतार कर माउंट एवरेस्ट की बर्फीली चोटी को फतह करने निकल जाता है, कभी बर्फ से भरे टब में घंटो तक बैठा रहता है। तभी तो पूरी दुनिया में कोई इसे कहता है आइसमैन।

दुनिया में जो भी इस आठवें के अजूबे के कारनामों को देखता है और सुनता है वो ठीक उसी तरह हैरान हो जाता है जैसा इस वक्त आप हो रहे होंगे, इस बर्फीले को देखकर हर किसी के ज़ेहन में यही सवाल उठता है कि किसी भी इंसान के लिए ये असंभव है, लेकिन वो क्या है जिसकी बदौलत इस आइसमैन ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है। कहीं वो हिंदुस्तान का सदियों पुराना हठयोग तो नहीं, बर्फ से जंग लड़ने से पहले आखिर ये क्यों करता है योग? ये बर्फ पर बैठ कर क्यों लगाता है पदमासन? क्या इस योग को सीखकर आप और हम भी दे सकते हैं इस कड़कड़ाती ठंड को मात।

इसका नाम है विम हॉफ, हॉलैंड के रहने वाले विम हॉफ की कठोर ज़िंदगी का एक ही मकसद है और वो है ठंड पर जीत। ये इंसान जब भी बर्फ में निकलता है एक रिकार्ड बनता है, लोगों को भले ही इसका नाम सुनते ही सर्दी लगने लगे, मगर ये बर्फ में वो-वो कारनामें करता है जिसे करना तो दूर, सुनकर ही लोगों खून जमने लगता है। जहां रज़ाई ओढ़ के भी दौड़ना मुश्किल हो वहां ये ये नंगे बदन, नंगे पैर दौड़ता है।

ये जगह है दुनिया के सबसे ठंडे देशों में से एक फिनलैंड और यहां का तापमान था माइनस 35 डिग्री, फिनलैंड के पोलर सर्किल में विम हॉफ ने 21 किलोमीटर तक नंगे बदन और नंगे पैर दौड़कर पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया। जब ठंड के मारे होठ सूख के नीले पड़ जाते हैं, तब ये इंसान सिर्फ इस हॉफ पेंट में निकलता है। बर्फ की 5-5 इंच मोटी चादर को अपने नंगे पैरों से रौंदता हुआ दौड़ता है। और वो भी एक दो घंटे के लिए नहीं बल्कि कई घंटों तक ये ऐसे ही लगातार दौड़ता रहता है।

फिनलैंड के पोलर सर्किल में 21 किलोमीटर तक नंगे बदन दौड़ने में विम हॉफ को पूरे 5 घंटे और 25 मिनट लगे थे, ये वो विश्व रिकॉर्ड है जिसे तोड़ने का सपना देखने से पहले बड़े बड़े सूरमाओं का कलेजा ठंडा पड़ जाता है। फिनलैंड के पोलर सर्किल में विम हॉफ की मैराथन दौड़ उनकी क्षमता का ही नमूना नहीं बल्कि ये उनके आत्म विश्वास और मानसिक शक्ति के दम पर मुम्किन हो पाया है। जो लोग विम को जानते हैं वो बताते हैं कि विम ज़िद्दी हैं, एक बार जो ठान लेते हैं उसे कर के ही मानते हैं।

अब ये बर्फ से विम की दोस्ती कहिये या दुश्मनी लेकिन वो मुकाबला करते हैं तो सिर्फ और सिर्फ बर्फ से, मेडिकल साइंस कहता है कि बिना प्रैक्टिस के ये संभव नहीं। लेकिन असल में विम की इस मैराथन के पीछे कोई ट्रेनिंग नहीं बल्कि उनकी सोच है। मेडिकल साइंस कहता है कि हॉलैंड का ये हठयोगी जिस तरह की आर्कटिक कंडीशन में दौड़ रहा है उसमें किसी भी आम इंसान की मौत हो सकती है, लेकिन बर्फ में आते ही न जाने इस इंसान के शरीर में कौन सी ऐसी ताक़त आ जाती है जो इससे ये अविश्सनीय, अकल्पनीय और असंभव सा काम करवाती है। दुनियाभर के डॉक्टर इस बात से परेशान है कि आखिर इस इंसान के जिस्म में ऐसा क्या है जो कड़कड़ाती ठंड को भी घंटों झेल जाता है, ये दुनिया का ऐसा अनोखा इंसान है जो बर्फ का दुश्मन नंबर एक है।

बर्फ में रिकॉर्ड बनाना विम हॉफ की फितरत है, विम हॉफ ऐसे ऐसे रिकार्ड बना चुके हैं जो हैरान करने वाले हैं। सिर्फ लोगों के लिए ही नहीं बल्कि मेडिकल साइंस के लिए भी, माउंट एवरेस्ट पर फतह करने के लिए भी इस आइसमैन के जिस्म पर सिर्फ हॉफ पैंट थी। आज से पहले किसी ने एवरेस्ट की बर्फीली चोटी पर इस तरह चढ़ने की कोशिश नहीं की, विम हॉफ एवरेस्ट पर दौड़ते जा रहे थे और उनकी आंखों में साफ दिख रही थी एवरेस्ट की चोटी। जहां एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पर्वतारोही ऊपर से लेकर नीचे तक पैक हो कर जाते हैं, लेकिन विम हाफ का 70 फीसदी शरीर खुला हुआ था। लेकिन ऐवरेस्ट में विम हॉफ के पैरों ने उन्हें धोखा दे दिया और एवरेस्ट के सफर के बीच में ही उन्हें वापस लौटना पड़ा, लेकिन आज भी विम के हौंसले में कोई कमी नहीं आई है। वो ऐवरेस्ट की बर्फीली चोटी पर बिना कपड़ों के चढने की अपनी ज़िद पर अब भी कायम हैं।

विम हॉफ भले ही एक बार बर्फीले ऐवरेस्ट से हार गए हों लेकिन उन्होने हर बार दी है बर्फ को शिकस्त, जिस बर्फ में एक मिनट भी खड़े होना मुश्किल है उसमें विम पूरे 72 मिनट तक पैर से लेकर गर्दन तक डूबे रहे। शीशे के इस जार में ये इंसान बर्फ के क्यूब्स के बीच भी खड़ा होकर मुस्कुराता है। ये विम का वो वर्ल्ड रिकार्ड है जिसे तोड़ने का सपना देखना किसी के लिए भी नामुमकिन है, सिर्फ बर्फ में खड़े होना या दौड़ना ही नहीं, विम फ्रीज़र की जमा देने वाली ठंडक में भी बड़े ही आसानी से घंटों खड़े हो जाते हैं। आपको यहां बताना ज़रूरी हो जाता है कि जिस फ्रीज़र में विम खड़े हुए, वहां तापमान था माइनस 25 डिग्री। ये सिर्फ खतरनाक नहीं बल्कि जानलेवा था।

बर्फीले खतरों से खेलना विम हॉफ का शगल है और जब तक विम के जिस्म में ताकत है बर्फ और सर्दी यूं हीं हारती रहेगी, और हो सकता है हारने की अगली बारी माउंट ऐवरेस्ट की हो। सिर्फ ज़मीन के ऊपर ही नहीं बल्कि के अंदर जमी हुई झील से भी विम लोहा लेते हैं। बर्फीले पानी में नंगे बदन डुबकी लगाकर वो उसमें लेट भी जाते हैं। बर्फ से अपने जिस्म पर मालिश करते है। ये काम करके उन्होंने अपना नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया।

आखिर कैसे कोई इंसान ये सब कर सकता है? आइसमैन के ये बर्फीले कारनामें मेडिकल साइंस के लिए चुनौती बन चुके हैं। आपको बता दें कि आइसमैन की इस शक्ति के पीछे हिंदुस्तानी कनेक्शन भी है। महज 18 साल की उम्र में विम हॉफ भारत आए थे, यहां उन्होने हिमालय पर योगियों को देखा और उनसे प्रेरणा लेकर हठयोग सीखा। आइसमैन विम हॉफ पर कई रिसर्च हो चुकी हैं।

मेडिकल साइंस के साथ साथ पूरी दुनिया मानती है कि विम हॉफ जो करते हैं वो किसी आम इंसान के बूते की बात नहीं है। दुनिया के लिए अजूबा बन चुके इस बर्फ बहादुर की परवरिश भी इन्ही बर्फ में हुई है। 1959 में इस बर्फीले की पैदाइश भी हमेशा बर्फ से ढ़के रहने वाले हॉलैंड के सिटर्ड में हुई थी। अपने घर के नज़दीक बहने वाली एक नदी पर 100 मीटर तक नंगे पैर दौड़कर विम हाफ ने आइसमैन बनने तक के सफर की पहली शुरूआत की थी और उसके बाद से तो इस इंसान ने ऐसे ऐसे कारनामे किए कि दुनिया हैरान रह गई।

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