अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है, पूरा अफगानिस्तान वॉर जोन में बदल चुका है। तालिबान ने पिछले एक हफ्ते में ही हमले तेज करते हुए पांच प्रांतों पर कब्जा कर लिया है और अब मजार ए शरीफ के चारों ओर तालिबानी लड़ाकों ने घेरा डाल दिया है।
काबुल से बस इतनी दूर है तालिबान!
Talibani Terrorist is Near to Kabul afghanistan
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11 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:03 PM)
तालिबान ने पिछले तीन दिनों में जिन नौ शहरों पर कब्जा जमाया है, उनमें पुल ई खुमरी, फैजाबाद और फराह शामिल हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इन शहरों पर तालिबानी कब्जे से काबुल पर खतरा बढ़ गया है। क्योंकि,
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काबुल से पुल ई खुमरी की दूरी सिर्फ 231 किलोमीटर है
काबुल से फैजाबाद की दूरी सिर्फ 432 किलोमीटर है
काबुल से फराह की दूरी 951 किलोमीटर है
वहीं काबुल से कुंदूज की दूरी महज 335 किलोमीटर है
उत्तरी अफगानिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण शहर कुंदूज पर तालिबान का कब्जा उसकी अब तक की सबसे बड़ी जीत है। अफगानिस्तान को मध्य एशिया से जोड़ने वाले रास्ते पर पड़ने वाला ये शहर ड्रग तस्करी के रूट पर पड़ता है। अफगानिस्तान से यूरोप जाने वाली अफीम और हेरोइन यहीं से होकर गुजरती है, इस शहर पर कब्जे का मतलब है कि तालिबान को कमाई का एक बड़ा ज़रिया मिल गया है।
वहीं तालिबान के कब्जे में आए पुल-ए-खुमरी का महत्व इसलिए भी ज्यादा है कि ये उत्तरी प्रांतों को काबुल से जोड़ने वाले राजमार्ग पर है, इससे देश की राजधानी पर दबाव और भी बढ़ गया है। कंधार पर कब्जे को लेकर तालिबान और अफगान बलों के बीच भीषण संघर्ष जारी है, जानकारी के मुताबिक तालिबान ने कंधार के कुछ शहरों पर भी कब्जा कर लिया है। वहीं मजार ए शरीफ शहर के चारों ओर भी तालिबान ने डेरा डाल दिया है, इन दोनों शहरों पर तालिबान के कब्जे का मतलब होगा काबुल के लिए खतरे का और भी बढ़ जाना।
काबुल से कंधार की दूरी महज 496 किलोमीटर है
काबुल से मजार ए शरीफ की दूरी सिर्फ 426 किलोमीटर है
ईरान सीमा के पास जरांज पर कब्जा करना भी तालिबान की एक बड़ी जीत है, ईरान और अफगानिस्तान के कारोबार का रूट यही है। ये शहर 217 किलोमीटर लंबे देलाराम- जरांज हाइवे पर है। जिसे भारत ने अफगानिस्तान में बनाया है, इस कब्ज़े से कारोबारी गतिविधियों पर तालिबान का दखल हो जाएगा।
रणनीतिक तौर पर अहम समांगन प्रांत की राजधानी ऐबक पर भी तालिबान कब्जा जमाने में कामयाब रहा है। बताया जा रहा है कि तालिबान लड़ाकों ने बिना किसी प्रतिरोध का सामना किए बगैर ऐबक पर कब्जा जमा लिया, इससे उत्तरी अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ पर तालिबान को हमला करने में बढ़त मिल गई है।
इसके साथ ही तालिबान ने उत्तरी अफगानिस्तान पर करीब करीब पूरा कब्जा जमा लिया है जिससे काबुल में राजनीतिक संकट गहरा गया है। युद्ध के मैदान में मिल रही लगातार शिकस्त से राष्ट्रपति अशरफ गनी की दिक्कतें बढ़ सकती हैं, जानकारों की मानें तो तालिबान विरोधी सभी राजनीतिक ताकतें मुकाबले के लिए अगर नई योजना के साथ एकजुट नहीं हुईं तो काबुल को आतंकी चंगुल से बचाना मुश्किल हो सकता है।
अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते दबदबे से पड़ोसी मुल्क भी परेशान हैं। तालिबानी खतरे से निपटने के लिए उजबेकिस्तान औऱ ताजिकिस्तान के साथ मिलकर रूस की सेना युद्धाभ्यास में जुटी है। रूस ने टैंक, इन्फ्रेंट्री फाइटिंग व्हीकल समेत कई सैन्य उपकरणों को ताजिकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर पर पहले ही तैनात कर दिया था, लेकिन अफगानिस्तान पर तालिबान के बढ़ते कब्जे को देखते हुए पड़ोसी मुल्क किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयारी में जुट गए हैं।
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