अमेरिका से भारत लाया जा सकता है 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का आरोपी तहव्वुर राणा, जानिए कैसे होगा ये संभव

Mumbai News: मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा (tahavvur rana) को भारत प्रत्यर्पित किए जाने की संभावना पर अमेरिका (America) में कानूनी प्रक्रिया चल रही है. इस मामले में अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि (US-India Extradition Treaty) के तहत भारत उसे सौंप सकता है. 

CrimeTak

• 06:51 PM • 17 Aug 2024

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Mumbai News: मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा (tahavvur rana) को भारत प्रत्यर्पित किए जाने की संभावना पर अमेरिका (America) में कानूनी प्रक्रिया चल रही है. इस मामले में अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि (US-India Extradition Treaty) के तहत भारत उसे सौंप सकता है. अमेरिकी अदालत में इस मुद्दे पर अंतिम दलीलें पेश की गईं, जिसमें अमेरिकी अटॉर्नी ब्राम एल्डेन ने इस प्रत्यर्पण के पक्ष में तर्क दिए. पाकिस्तानी-कनाडाई व्यवसायी राणा ने इस फैसले के खिलाफ अमेरिकी जिला न्यायालय में अपील की है. मई में उसने न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी.

अमेरिका से भारत लाया जा सकता है आतंकी 

अमेरिकी वकील ब्राम एल्डेन ने अदालत में जोर देकर कहा कि तहव्वुर राणा को अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि के स्पष्ट प्रावधानों के तहत भारत भेजा जा सकता है. उन्होंने अदालत को बताया कि भारत ने मुंबई हमलों में राणा की कथित भूमिका के संबंध में पर्याप्त सबूत पेश किए हैं, जो कि उसे मुकदमे का सामना करने के लिए भारत भेजे जाने की संभावित वजह साबित करते हैं. इन आतंकवादी हमलों में 166 लोगों की जान गई थी और 239 लोग घायल हुए थे. एल्डेन ने दलील दी कि भारत और अमेरिका दोनों ही इस संधि के प्रावधानों पर सहमत हैं, जिससे राणा का प्रत्यर्पण संभव हो सकता है.

26/11 का आरोपी तहव्वुर राणा

तहव्वुर राणा जो फिलहाल लॉस एंजिलिस की जेल में बंद हैं, उसे 26/11 मुंबई हमलों का मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक माना जाता है. वह पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी साथी है, जो इस हमले की योजना बनाने में शामिल था. राणा के वकील जॉन डी क्लाइन ने अदालत में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ संभावित वजह का समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है. उन्होंने कहा कि राणा को भारत में 2006 और 2008 के बीच होने वाली घटनाओं की जानकारी नहीं थी. दूसरी ओर, एल्डेन ने दस्तावेजी सबूत पेश किए, जो दर्शाते हैं कि राणा ने हेडली से कई बार मुलाकात की थी और उसे फर्जी वीज़ा आवेदन दिए थे ताकि वह भारत में एक फर्जी कारोबार स्थापित कर सके और आतंकवादी हमलों की निगरानी कर सके.

अमेरिकी वकील ने कोर्ट में दी दलील

एल्डेन की दलीलों के अनुसार, इन दस्तावेजों और हेडली की गवाही से स्पष्ट है कि राणा को इन हमलों के बारे में जानकारी थी और वह इसमें शामिल था. इसीलिए, अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत भेजे जाने का मामला मजबूत है. हालांकि, राणा के वकील ने इन दलीलों का विरोध किया है और अदालत से अपील की है कि प्रत्यर्पण को रोका जाए. इस मुद्दे पर अदालत में चल रही कानूनी प्रक्रिया का नतीजा आने वाले समय में स्पष्ट होगा, लेकिन फिलहाल तहव्वुर राणा का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है.

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