उत्तरी अफ्रीकी देश सूडान (Sudan) में राजनीतिक और आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, सरकार के फैसलों से गुस्से में लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों ने सेना से तख्तापलट की अपील की थी, इस बीच सूडान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक को सुरक्षा बलों के एक दल ने उनके दफ्तर से उन्हें हिरासत में ले लिया है। सुरक्षा बलों ने प्रधानमंत्री के साथ-साथ कुछ पांच वरिष्ठ अधिकारियों को भी हिरासत में लिया है, सभी को एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है।
PMO से प्रधानमंत्री को उठा ले गई सेना, देश में मच गया तहलका!
Sudan में PMO से सेना ने प्रधानमंत्री और कुछ अधिकारियो को हिरासत में लिया, सैन्य तख्तापलट सूडान के लिए बड़ा झटका होगा, देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है, Get latest updates on CrimeTak.
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25 Oct 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:08 PM)
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देश के सूचना मंत्रालय ने खुद सेना के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक को सोमवार को हिरासत लिए जाने की जानकारी दी है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘जब उन्होंने तख्तापलट का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया, तो सेना के एक बल ने प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक को हिरासत में ले लिया और उन्हें एक अज्ञात स्थान पर ले गए।’ सूडान के अधिकारियों के मुताबिक सैन्य बलों ने सोमवार को कम से कम पांच वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को हिरासत में ले लिया, वहीं लोकतंत्र समर्थक देश के मुख्य दल सूडानीज प्रोफेशनल्स एसोसिएशन ने जनता से संभावित सैन्य तख्तापलट के विरोध में सड़क पर उतरने का आह्वान किया है। इस बीच सूडान के कई शहरों में इंटरनेट भी काम नहीं कर रहे हैं.
संभावित सैन्य तख्तापलट सूडान के लिए बड़ा झटका होगा, जो व्यापक विरोध प्रदर्शनों के कारण, लंबे समय तक शासक रहे पूर्व तानाशाह उमर अल-बशीर के सत्ता से हटने के बाद से लोकतंत्रिक सरकार की बाट जोह रहा है। ये गिरफ्तारी ऐसे वक्त हुई है जब दो सप्ताह पहले ही सूडान के आम नागरिकों और सैन्य नेताओं के बीच तनाव बढ़ गया था। सूडान में इससे पहले सितंबर में तख्तापलट की नाकाम कोशिश हुई थी। साजिशकर्ताओं के नाम का खुलासा अभी नहीं हुआ है, समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने बताया कि साजिशकर्ताओं ने सरकारी मीडिया की इमारत पर कब्जा करने की भी कोशिश की, जो ‘विफल’ हो गई।
देश में सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहे राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर को दो साल पहले साल 2019 में सत्ता से हटा दिया गया था। इसके बाद सत्ता को बांटने के लिए एक अग्रीमेंट साइन किया गया, इसमें एक ऐसी सरकार बनाने पर सहमति बनी, जिसमें सेना, नागरिक प्रतिनिधि और विरोध प्रदर्शन करने वाले समूह शामिल हों। हालांकि देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है, इस सरकार पर आर्थिक और राजनीतिक सुधार करने का दबाव है।
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