ajit doval biography : 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के एक गढ़वाली परिवार में जन्में अजीत डोभाल आज भारत के जेम्स बॉड के नाम से भी जाने जाते हैं. आज उसी जेम्स बॉड का 77वां जन्मदिन भी है. आज उनकी खूब चर्चा भी हो रही है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि वो भारत के एकमात्र ऐसे सलाहकार है जो इंदिरा गांधी से लेकर आज के प्रधानमंत्री मोदी तक के साथ काम कर चुके हैं.
Ajit Doval : भारत के उस जेम्स बॉन्ड की कहानी जिसने इंदिरा गांधी से लेकर PM मोदी संग किया काम
अजीत डोभाल की कहानी : इंडियन जेम्स बॉन्ड (James Bond) की पूरी कहानी, इंदिरा गांधी से लेकर पीएम मोदी संग किया काम, Read more crime news in hindi, exclusive photo gallery adn viral video on Crime Tak
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21 Jan 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:12 PM)
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आपको बता दें कि अजीत डोभाल एक तेज तर्रार अफसर के रूप में जाने जाते है जो गंभीर से गंभीर परिस्थितियों में भी फौरन फैसले लेने में सक्षम है. इतना हीं नहीं बल्कि अपने फैसले पर अडिग रहकर ,हमेशा देशहित के लिए अजीत ने जी -जान लगा दिया और तिंरगे की आन-मान और शान को हमेशा बुंलद रखा.
हालांकि, अजीत के पिता जीएन डोभाल भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दिए है, वो एक अधिकारी के पद पर कार्यरत थे.डोभाल की स्कूलिंग अजमेर, राजस्थान में किंग जॉर्ज्स रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल में हुई है जहां वो एक होनहार स्टूडेंट के रूप जाने जाते थे.
Ajit Doval Story : अपनी यूनिवर्सटी की शिक्षा पूरी करने के बाद अजीत यूपीएससी की परीक्षा दिए और सफल हुए, जिसके बाद सन 1968 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी बन जाते हैं डोभाल.
फिर सन 1972 में भारत की खुफिया एजेंसी रॉ से जुड़ेने की खबर भी आती है ,इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान में 7 साल तक अंडर कवर एजेंट के रूप में भी काम किया.जहां पर उन्होंने तमाम तकलीफों का भी सामना किया लेकिन अंतत: अपने ऑपरेशन को सफलता पूर्वक मुकाम तक पहुंचाया.
अजीत डोभाल का भारत में ही नहीं बल्कि समूचे दुनियां में लोहा माना जाता हैं और इसलिए ही हमें आज सोशल मीडिया पर उनके लिए शुभकामनाओं से भरा संदेश देखने मिल रहा है जो कि सात समंदर पार से भी शामिल हैं.
भारत के साथ ही पड़ोसी मुल्क में भी अजीत डोभाल के नाम का डंका रहता है ,लोग उनके नाम मात्र से थर्राते हैं.वैसे तो अजीत डोभाल के बारे में जितना लिखा जाए कम ही होगा लेकिन फिर भी आइये जानते हैं उनके जन्मदिन पर उनकी कुछ ऐसी उपलब्धियां जो शायद ही आपको मालूम हो-
पंजाब इंसर्जेंसी में निभाई अहम भूमिका:
अजीत डोभाल ने 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के लिए भारतीय सेना के साथ मिलकर काम किया, जिससे उन्हें साइट को सुरक्षित करने और खालिस्तानी आतंकवादियों को स्वर्ण मंदिर से बाहर निकालने में मदद मिली.
फिर 1988 में, पंजाब में एक ऑपरेशन के तहत् उन्हें एक रिक्शा चालक के रूप में स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करते देखा गया था.यहां डोभाल ने स्वर्ण मंदिर के अंदर छिपे खालिस्तानीयों को भरोसा दिलाया था कि वो एक पाकिस्तानी ऑपरेटिव थे जो उनकी मदद के लिए ही आए थे.
कूका पारे का समर्पण :
अजीत डोभाल 1990 में, जम्मू और कश्मीर में थे, जहाँ उन्होंने कूका पारे और उनके सैनिकों के साथ विद्रोही बनने के लिए बातचीत की, जिससे 1996 में राज्य में चुनाव का रास्ता साफ करने में अहम मदद मिली थी.
पाकिस्तान में बने रहे जासूस :
ऐसा माना जाता है कि अजीत डोभाल ने एक अंडरकवर ऑपरेटिव के रूप में पाकिस्तान में तकरीबन 7 साल बिताए थे.डोभाल ने पाकिस्तान में बिताए कुल समय में से 6 साल तक इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में काम किया और 1 साल एक गुप्त एजेंट के रूप में बिताया था.
IC-814 के कंधार हाईजैक में रहीं अहम भूमिका :
अजीत डोभाल जहाज IC-814 से यात्रियों की रिहाई के लिए बातचीत में शामिल थे, जिसे अपहरण कर यात्रियों समेत कंधार ले जाया गया था.फिर सफलतापूर्वक सभी को सुरक्षित बचा लिया जाता है.
इराक से 46 भारतीय नर्सों की रिहाई:
2014 में आईएसआईएस के उदय ने इराक में भारी अराजकता पैदा कर दी थी और पूरे क्षेत्र में आतंकवादी समूह की प्रगति को रोकने के लिए इराकी सरकार के संघर्ष को भी देखा गया था.उस समय के दौरान, डोभाल ने सुनिश्चित किया कि इराक में फंसी 46 भारतीय नर्सों को अधिकारियों द्वारा बचाया गया और सुरक्षित रूप से भारत वापस लाया गया.
सर्जिकल स्ट्राइक में भूमिका:
अजीत डोभाल को 2014 में एनएसए के रूप में नियुक्त किया गया था, उन्होंने म्यांमार और पाकिस्तान में भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की निगरानी में अहम भूमिका निभाई थी. वहीं, 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 बालाकोट एयर स्ट्राइक को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में डोभाल के कार्यकाल के बड़े ऑपरेशन के रूप में देखा जाता है.
नोट- यें स्टोरी क्राइम तक के साथ इंटर्नशिप कर रहीं अश्विनी सिंह ने लिखी है.
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