Kargil Vijay Diwas : कारगिल विजय दिवस यानी 26 जुलाई. ये वो तारीख है जब पाकिस्तान को कारगिल युद्ध में हराकर विजयी हुए थे. अगर कारगिल विजय दिवस पर उस वक्त यानी 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराने और भारतीय सैनिकों के हौंसले की कहानी को समझना है तो मेजर सोमनाथ शर्मा के इस बयान को पढ़कर बेहतर समझ सकते हैं.
Kargil Vijay Diwas 2022 : दुश्मन 50 गज की दूरी पर थे पर हम 1 इंच पीछे नहीं हटे, विजय दिवस की कहानी
Kargil Vijay Diwas in Hindi : 26 जुलाई 2022 कारगिल विजय दिवस पर हिंदी में स्टोरी. वो तारीख है जब पाकिस्तान को कारगिल युद्ध में हराकर भारतीय सेना विजयी हुई थी. विक्रम बत्रा (Vikram Batra) स्टोरी.
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26 Jul 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:23 PM)
कुमाऊं रेजीमेंट की चौथी बटालियन के मेजर सोमनाथ शर्मा ने कहा था...
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दुश्मन हमसे सिर्फ 50 गज की दूरी पर है. उसकी संख्या भी हमसे बहुत ज्यादा है. हमारे ऊपर जमकर गोला-बारूद बरसाया जा रहा है. लेकिन मैं एक इंच भी पीछे नहीं हटूंगा, बल्कि अपने एक-एक व्यक्ति के लिए और आखिरी गोली तक लडूंगा.’
Kargil Vijay Diwas Date : 26 जुलाई 1999 ये वही तारीख है जब भारतीय सेना ने कारगिल की पहाड़ियों में घुसे पाकिस्तानी घुसपैठियों को पूरी तरह से भगा दिया था. भारतीय सैनिकों की वजह से पाकिस्तानी सैनिक या तो मारे गए या फिर भागने के लिए मजबूर हो गए थे. इस पूरे ऑपरेशन को ऑपरेशन विजय नाम दिया गया.
क्या है कारगिल वॉर? (What is Kargil War?)
Kargil War : पाकिस्तानी घुसपैठिये 1999 में भारत की सीमा में घुस आए थे. ये करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल आ पहुंचे थे. कारगिल युद्ध करीब 2 महीने तक चला था. जिसमें हमारे देश के 527 जवान शहीद हुए थे. 1300 से ज्यादा सैनिक घायल हुए थे. वहीं, इस जंग में पाकिस्तान के 1200 से ज्यादा सैनिकों की मौत हुई थी.
Vikram Batra Story : जब कभी इस कारगिल वॉर की बात आती है तो कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra) की कुर्बानी जरूर याद आती है. कैप्टन विक्रम बत्रा 1 जून 1999 को कारगिल युद्ध के लिए गए थे. वे राष्ट्रीय श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर चोटी 5140 पर पाकिस्तानी कब्जे से छुड़ाने के लिए गए थे.
20 दिन के युद्ध में ही नीचे से ऊंची चोटी पर बैठे दुश्मनों को हराते हुए आखिरकार विक्रम बत्रा ने जीत हासिल की थी. 20 जून 1999 को विक्रम बत्रा ने 3 बजकर 30 मिनट पर चोटी पर फिर से भारत का तिरंगा लहरा दिया था. उन्होंने रेडियो पर कहा था कि ये दिल मांगे मोर....तब से ये बात पूरे भारतवासी के दिल में आज भी है.
अब इस जीत के बाद चोटी 4875 उनका अगला टारगेट था. इस दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने तेज हमला किय था. उस समय इनके साथी लेफ्टिनेंट नवीन घायल हो गए थे. इन्हें बचाने के लिए विक्रम बत्रा भी वहां पहुंचे थे. घायल लेफ्टिनेंट नवीन को बचाते हुए जब एक गोली विक्रम बत्रा के सीने में लगी तो वो शहीद हो गए. लेकिन उन्होंने मरते दम तक सैनिकों में जोश भरा और आखिरकार भारतीय सैनिकों ने चोटी 4875 पर भी तिरंगा फहरा दिया था. इस वीरता के लिए 15 अगस्त 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से मिला था.
kargil vijay diwas quotes : कारगिल विजय दिलाने वाले इन जांबाजों ने जो कहा वो अमर हो गया..
‘या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर आऊंगा, लेकिन वापस जरूर आऊंगा.’ – कैप्टन विक्रम बत्रा, परमवीर चक्र विजेता
‘हम हर बार नॉकआउट में खेलते हैं और जीतने के लिए ही मैदान में उतरते हैं, क्योंकि युद्ध में कोई उपविजेता नहीं होता’ – जनरल जे जे सिंह
‘अगर खुद को साबित करने से पहले मौत आती है, तो कमस से मैं मौत को मार डालूंगा!’ – कैप्टन मनोज कुमार पांडे (परमवीर चक्र विजेता 1/11 गोरखा राइफल्स)
‘कुछ लक्ष्य इतने अच्छे होते हैं कि उनमें फेल होना भी शानदार होता है’ – कैप्टन मनोज कुमार पांडे
‘ये दिल मांगे मोर’ – कैप्टन विक्रम बत्रा, परमवीर चक्र विजेता
‘मेरी मौत किसी एक्सीडेंट में नहीं होगी और न ही मैं किसी बीमारी से मरूंगा. मैं सम्मान के साथ मौत को गले लगाऊंगा’ – मेजर सुधीर कुमार वालिया
‘अगर कोई व्यक्ति कहे कि उसे मौत से डर नहीं लगता तो समझ लें कि या तो वह झूठ बोल रहा है, या वो गोरखा है’ : फील्ड मार्शल सैम मनिकशॉ
‘अगर आपने मौत को बहुत करीब से नहीं देखा है तो असल में आप कभी जिए ही नहीं, जिन्होंने लड़ाई को चुना है उनके लिए जिंदगी का अलग ही स्वाद है और जिन्होंन सुरक्षित जिंदगी जी है, वो इस स्वाद को नहीं समझ सकते.’ : कैप्टन आर सुब्रमण्यम
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