KANPUR : बुजुर्ग दंपति 15 दिनों से बेघर थे, ये सुनते ही पुलिस कमिश्नर असीम अरुण हो गए थे इमोशनल, जानिए पूरी कहानी

KANPUR: Police Commissioner Asim Arun became emotional after hearing this that the elderly couple were homeless for 15 days, know inside story

CrimeTak

03 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:02 PM)

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कानपुर पुलिस कमिश्नर असीम अरुण (Asim Arun) ने CRIME TAK तक को बताई बुजुर्ग दंपति को उनका हक़ दिलाने की पूरी कहानी. दरअसल, कानपुर में बुजुर्ग माता-पिता की आपबीती सुनकर पुलिस कमिश्नर असीम अरूण (IPS Asim Arun) काफी इमोशनल हो गए थे. कमिश्नर काफी देर तक बिना कुछ सवाल-जवाब किए बस दोनों बुजुर्ग की बातें सुनते गए. फिर कुछ देर बाद ही फैसला लेते हैं कि बुजुर्ग माता-पिता को लेकर वो ख़ुद ही सरकारी गाड़ी से मौके पर जाएंगे.

एक तरह से कानपुर पुलिस कमिश्नर ने ऑन-द-स्पॉट इंसाफ दिलाया. आमतौर पर बड़ी या क्राइम की हीनियस घटनाओं में ही पुलिस कमिश्नर जैसे सीनियर अधिकारी मौके पर जाते हैं. लेकिन इस मामले में असीम अरुण किस वजह से बुजुर्ग दंपति के घर गए और क्यों दिलाया तुरंत इंसाफ, जानिए पूरी कहानी, उन्हीं की जुबानी...

क्या कहते हैं असीम अरुण :
31 जुलाई को ऑफिस में कई फरियादी मिलने आए थे. उन्हीं में से ये दोनों बुजुर्ग दंपति भी शिकायत लेकर आए थे. दोनों जब मिलने आए तो उनकी आंखें नम थीं. चेहरे उदास थे. दोनों ने पहला यही सवाल किया कि हमदोनों की क्या गलती है? ये सुनकर हमने कहा कि आपलोगों की पूरी बात सुनी जाएगी. कानूनी तौर पर हमारे हाथों जितना होगा, वो सबकुछ मैं करूंगा. आपलोग पहले पूरी बात बताइए. मेरी बात सुनकर बुजुर्ग बताने लगे और मैं सिर्फ सुनने लगा. उनकी एक-एक बात मुझे काफी इमोशनल कर रहीं थीं. लेकिन मुझे कानून के दायरे में रहते हुए ही कदम उठाना था. बुजुर्ग बताने लगे कि हमने अपने बेटे को पढ़ाया. इस क़ाबिल बनाया कि आज वो नौकरी कर रहा हूं. बहू भी ऐसी मिली जो जॉब करती है. घर में सबकुछ ठीक है. प्रॉपर्टी हमलोगों के ही नाम पर है अभी. लेकिन उस संपत्ति से हम दोनों ही बेदखल हो चुके हैं. कुछ हफ्ते पहले ही बहू-बेटे ने हमदोनों पर हाथ उठाया था. बहू ने गाली-गलौज की थी. पिटाई भी की थी. हम दोनों रोते हुए पुलिस चौकी में गए थे. बहू-बेटे की शिकायत की थी. फिर पुलिस ने मामले को शांत करा दिया था. तब लगा था कि फिर से ये दिक्कत नहीं आएगी. लेकिन कुछ दिनों बाद ही बहू को फिर गुस्सा आया और उसने हम दोनों को घर से बाहर निकाल दिया. जैसे-तैसे हमदोनों ने अपने कुछ कपड़े और पैसे लिए ही थे. तभी बहू ने हम दोनों को उस कमरे से बाहर निकाल दिया जिसमें हमलोग रहा करते थे. इसके बाद बहू ने उस कमरे पर ताला लगा दिया. हमलोग को कुछ सवाल करते उससे पहले ही घर से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया. ऐसी मारपीट पहले भी कई बार हुई थी. लेकिन घर से बाहर इस तरह से नहीं निकाला गया था. इसके बाद दरवाजा बंद कर लिया गया. काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी दरवाजा नहीं खोला. फिर भी उम्मीद लगाए थे. लेकिन जब ये भरोसा हो गया कि अब उस घर में नहीं जा पाएंगे तो वहां से चले गए. पुलिस चौकी और थाने में भी शिकायत की. लेकिन सुनवाई नहीं हुई. हमलोग 15 दिन से भटक रहे हैं.

15 दिन से दर-दर भटकने की बात सुनकर दुख हुआ

पुलिस कमिश्नर कहते हैं कि जब दोनों बुजुर्ग ने बताया कि वो 15 दिन से बेघर हैं. और दर-दर भटक रहे हैं तो मुझे बहुत दुख हुआ.

असीम अरुण :
ये जानकर मैंने तुरंत पहले थाना प्रभारी को फोन मिलाया. ये पूछा कि आखिर मामला क्या है? इन दोनों की मदद क्यों नहीं हुई. इस पर बताया गया कि कुछ दिन पहले ही बुजुर्ग ने बहू-बेटे पर मारपीट का आरोप लगाया था. फिर बहू-बेटे को थाने लाया गया था. यहां पर दोनों ने मिलजुलकर रहने की बात कही थी. लेकिन फिर दोनों ने घर से निकाल दिया. थाना प्रभारी ने ये भी बताया कि दोनों बहू-बेटे प्रॉपर्टी को अपने नाम पर होने का दावा करते हैं लेकिन प्रॉपर्टी बुजुर्ग दंपति के नाम पर ही है. थाना प्रभारी की जब ये बातें सुनीं तो मैं समझ गया कि इसमें कानूनी तौर पर भी बुजुर्ग माता-पिता को अपनी संपत्ति पर रहने का पूरा अधिकार है. लेकिन इसके बाद भी दोनों उसी घर से बेदखल हैं. और हमारी पुलिस मौके पर जाकर कोई हल नहीं निकाली. ये सोचकर भी हमें दुख हुआ.

IPS रजनी कांत मिश्रा सर की सीख आई याद

कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरूण बताते हैं कि जब भी मैं किसी की फरियाद सुनता हूं तो हमेशा मुझे IPS रजनीकांत मिश्रा सर की बातें याद आती हैं. उस वक्त मैं बिल्कुल नया आईपीएस था और वो एसएसपी पद पर थे.

वो हमेशा कहते थे कि अगर कोई शिकायत लेकर आए और उसकी बातों से लग जाए कि वाकई वो पीड़ित है तब तुरंत गाड़ी उठाओ और मौके पर जाकर उसकी मदद करो. यही बेसिक पुलिसिंग है.

इस बात को मैंने अपनी जिंदगी में गांठ बांध ली. और जब कभी ऐसी स्थिति आती है तो तब मैं जरूर मौके पर जाता हूं. अब चाहे वो हीनियस क्राइम हो या फिर मामूली केस. मायने ये नहीं रखता है. और ये बात मैं हमेशा अपने साथी पुलिस अधिकारियों और पूरी टीम को भी बताता हूं. इसलिए तुरंत मैं गाड़ी में सवार हुआ और दोनों बुजुर्ग दंपति को लेकर उनके घर पहुंचा.

बहू-बेटे माफी मांगकर ही करेंगे घर में प्रवेश

जब उनके घर पहुंचे तो दोनों बहू-बेटे ने ही दरवाजा खोला. मैंने खुद बहू-बेटे से कई सवाल पूछे. मसलन कि कोई प्रॉपर्टी विवाद है या फिर इन दोनों का इस घर में कोई हक नहीं है. या फिर ये दोनों किसी तरह से प्रताड़ित करते हैं.

तो एक भी सवाल का बहू-बेटे जवाब नहीं दे पाए. इसके बाद बुजुर्ग दंपति के कमरे पर लगे ताले को खुलवाया. इसके बाद दोनों बहू-बेटे पर कानूनी कार्रवाई की गई. चूंकि दोनों के खिलाफ पहले से ही मामला दर्ज था और फिर दोनों ने शांति भंग किया था, इसलिए दोनों को 1 अगस्त को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

साथ ही मैंने बहू-बेटे दोनों को ये सलाह दी कि जब घर लौटना तो पहले माता-पिता से माफी मांगना. अगर माता-पिता माफ कर दें और खुशी-खुशी तैयार हो जाएं तो ही दोनों सम्मान के साथ घर में रहना. ये भी कहा मैं बीच-बीच में फोन कर हाल-चाल पूछता रहूंगा. इसके बाद दोनों बुजुर्ग दंपति के चेहरे पर मुस्कान आ गई. इसे देख मुझे भी अपना फर्ज निभाने का एक अलग ही सुख मिला.

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