Crime Junior Gang: हम आपके सामने बच्चों (Children) से जुड़ी एक ऐसी कड़वी हकीकत (Reality) पेश करने जा रहे हैं जिसे सुनने और समझने के बाद आप चौंक जाएंगे। बच्चे हमारी आबादी का करीब 48 फीसदी हिस्सा हैं। जिस उम्र में बच्चों के हाथों में क़लम होनी चाहिए उन हाथों मे बंदूकें और चाकू हैं। जिन हाथों में किताबें होनी चाहिए वो हाथ ख़ून की स्याही से गुनाहों के पन्ने भर रहे हैं।
Crime News: जुर्म के जूनियर गैंग, क्राइम की दुनिया में गुम होता बचपन!
Crime Special: जिस उम्र में बच्चों के हाथों में क़लम होनी चाहिए उन हाथों मे बंदूकें और चाकू हैं। जिन हाथों में किताबें होनी चाहिए वो हाथ ख़ून की स्याही से गुनाहों के पन्ने भर रहे हैं।
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20 Oct 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:28 PM)
अभी एक दिन पहले की ही बात है जब दिल्ली के सीलमपुर में एक युवक को आठ नाबालिगों ने चाकुओं से गोदकर मार डाला। पुलिस को जांच में पता चला कि 19 साल के समीर खान की हत्या कर दी गई। समीर के छोटे भाई शोएब का कुछ युवकों से झगड़ा हो गया था। जिसके बाद बदला लेने की नीयत से 8 नाबालिगों ने समीर की चाकू से गोदकर हत्या कर दी।
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रीयल लाइफ में बच्चों का सच भी कुछ ऐसा ही है। क्राइम के आंकड़े गवाह हैं कि देश के बच्चों के क़दम बड़ी तेजी से जुर्म की काली दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं जिन हाथों में क़लम होनी चाहिए वो नन्हे हाथ कट्टे, बम और चाकू थामने को बेकरार हो रहे हैं। दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में 7 से 17 साल तक के मासूम बच्चे लूट, क़त्ल, झपटमारी, चोरी, डकैती और बलात्कार जैसी संगीन वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
ज्यादा पीछे जाने की जरुरत नहीं है दिल्ली में हुए महज तीन महीनों की वारदातों को ही देख लें तो अंदाजा हो जाएगा कि नाबालिग यानि ये जूनियर गैंग कैसे कहर बरपा रहे हैं। 4 जुलाई को दिल्ली के कल्याणपुरी में नाबालिग ने अपने भाई के साथ मिलकर कत्ल की वारदात को अंजाम दिया। नाबालिग भाईयों ने कारोबारी अर्जुन को मौत के घाट उतार दिया।
दरअसल नाबालिग की मृतक अर्जुन के दोस्त से किसी बात पर झगड़ा हुआ था। अर्जुन महज बीच बचाव कर रहा था और उसको चाकुओं से गोद दिया गया। इसी प्रकार बीती 11 अगस्त को विवेक विहार में नाबालिगों ने मौत का तांडव किया। गर्लफ्रैंड पर कमेंट करने को लेकर चार नाबालिग दोस्तों ने हत्या कर दी। यहां 19 साल के युवराज नाम के शख्स को दौड़ा दौड़ाकर चाकू मारे गए। कत्ल के बाद पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में ले लिया।
पिछले महीने की 18 तारीख को दिल्ली के सीलमपुर इलाके में में तीन नाबालिगों बेहद दरिंदगी भरी वारदात को अंजाम दिया। नाबिलिगों ने एक नाबालिग बच्चे के साथ दुष्कर्म किया उसके गुप्तांग में रॉड डाल दी और इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई। पुलिस ने दो नाबालिग आरोपियों को हिरासत में लिया है।
18 अगस्त को दिल्ली के भजनपुरा इलाके में चार नाबालिगों ने शहनवाज नाम के दुकानदार की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी। कत्ल की वजह हैरान करने वाली थी। महज 500 के पुराने फटे नोट के लिए इन नाबालिगों का दुकानदार से झगड़ा हुआ था। इस केस में भी पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लिया है।
आखिर ये बच्चे तेजी से क्राइम की दुनिया का रुख क्यों कर रहे हैं? क्या इसके लिए मां-बाप जिम्मेदार हैं? स्कूल-कालेज जिम्मेदार हैं? या इस बदलते दौर में हम अपने बच्चों की जरुरतों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं? बच्चों में बढ़ते क्राइम ग्राफ सोचने पर मजबूर कर देता है। आखिर क्यों मासूमों की मासूमियत गुम होती जा रही है? आखिर क्यों उस मासूमियत की जगह ले रहा है जुनून?
एक ऐसा जुनून जो उन्हें गुनाहों के अंधेरे में ले जा रहा है। बच्चा गैंग, फायर गैंग, झपटपार गैंग, ठकठक गैंग और बच्चों के गैंग के ना जाने क्या-क्या नाम हैं। ये बच्चे उम्र में तो छोटे हैं लेकिन इनके इरादे बेहद खतरनाक हैं। देश का सबसे खतरनाक गैंग बावरिया गैंग भी करीब करीब लूट की हर वारदात में बच्चों का इस्तेमाल करता है।
दिल्ली के कई बड़े गैंग कत्लो गारत के लिए नाबालिगों का इस्तेमाल करते हैं वो बच्चों को पैसों का लालच देतें हैं और बताते हैं कि उनको महज तीन साल की सजा होगी। यही वजह है कि बच्चे क्राइम करने को तैयार हो जाते हैं।
यकीन मानिए नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों का सच बेहद चौंकाने वाला है। इस कड़वे सच के मुताबिक हिंदुस्तान में हर साल करीब 40 हज़ार से ज्यादा बच्चे क्राइम के मामले में गिरफ्तार हो रहे हैं। इन 40 हजार बच्चों में करीब तीन हजार से ज्यादा नाबालिग लड़कियां भी जुर्म में शामिल पाई गई हैं।
जरायम के इस नए ट्रेंड में फिक्र की बात ये भी है कि बच्चों से क्राइम करवाने वाले कई गिरोह बाल कानून का फायदा उठा रहे हैं वो बाकायदा संगठित तौर पर ड्रग्स तस्करी चोरी, जेबतराशी का काम बच्चो से करवाते हैं। ऐसे में अगर कोई बच्चा कहीं पकड़ा भी जाए तो असली मुल्जिम पुलिस की पकड़ में नही आता और बाल कानून के तहत बच्चा थोड़े वक्त बाद बाल सुधार गृह से रिहा हो जाता है।
इस तेज़ भागती जिंदगी में जरुरत इस बात कि है कि मां बाप अपने बच्चों का हाथ थामें रहेंऔर उनकी जरुरतों को ख्याल रखें। ताकि इन मासूमों को काली दुनिया के इस दलदल से महफूज़ रखा जा सके। अपने बच्चों पर नज़र रखिए। बच्चों के दोस्तों को जानिए। जेबखर्च का हिसाब रखिए और उनकी स्कूल में अटेंडेंस चेक कीजिए।
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