बदनामी से शोहरत की बुलंदी तक
बिट्टा कराटे की बीवी है कश्मीर के इस सरकारी विभाग में बड़ी अफ़सर, जानें शादी की दिलचस्प कहानी
बिट्टा कराटे की बीवी है कश्मीर के इस सरकारी विभाग में बड़ी अफसर जाने शादी की दिलचस्प कहानी, बदनामी से शोहरत की बुलंदी तक, Bitta karate wife Asbah Arzumand Khan THE KASHMIR FILES, KAS officer
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25 Mar 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:16 PM)
The Kashmir File Bitta Karate : कितने लोग जानते हैं कि बिट्टा कराटे यानी जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के इस आतंकवादी की शादी एक सरकारी अफ़सर या यूं कहें कि एक नौकरशाह के साथ हुई है। इससे भी बड़ी बात, बिट्टा कराटे की बेग़म को अपने शौहर की कोई बात नहीं अखरती बल्कि उसके इतने काले अतीत के बावजूद वो उस पर नाज़ करती है। उसे अपने पति पर फ़ख़्र है।
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बिट्टा कराटे का नाम जितना बदनाम हुआ उससे कहीं ज़्यादा इस नाम को शोहरत मिल चुकी है। खासतौर से जबसे द कश्मीर फ़ाइल (THE KASHMIR FILES) फिल्म रिलीज़ हुई है। इस फिल्म से जुड़े तमाम कलाकारों से कहीं ज़्यादा बिट्टा कराटे उर्फ फ़ारूख अहमद डार के बारे में इंटरनेट पर सर्च किया गया। इतनी चर्चा और इतनी बात चीत होने के बावजूद बिट्टा कराटे की ज़िंदगी से जुड़ी एक ऐसी बात है जिसके बारे में या तो लोगों को पता नहीं या फिर उसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।
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बेहद पढ़ी लिखी लड़की का एक चौंकाने वाला फैसला
The Kashmir File: बिट्टा कराटे की बीवी की इतनी बातों को सुनने और पढ़ने के बाद यक़ीनन उसके बारे में और जानने की इच्छा और भी ज़्यादा बढ़ जाती है। ऐसा ही ठीक उस वक़्त भी हुआ था जब उसने बिट्टा कराटे के साथ शादी करने का ऐलान किया था। उस वक़्त भी घाटी से लेकर पूरे हिन्दुस्तान में लोग चौंक गए थे।
अब इतना सब कुछ खुलासा होने के बाद उस लेडी का सस्पेंस के पर्दे में रहना ठीक नहीं। उस लेडी का नाम है अस्बाह आरज़ूमंद ख़ान। अस्बाह ने 2011 में बिट्टा कराटे उर्फ फारुख अहमद डार के साथ निकाह किया था। कश्मीर के कसाई के तौर पर बदनाम हुए बिट्टा कराटे के साथ शादी करने वाली अस्बाह किसी भी सूरत में ना लायक नहीं है। बल्कि अच्छी ख़ासी पढ़ी लिखी और एक बेहद क़ाबिल सरकारी नौकरशाह है।
इस ओहदे की ज़िम्मेदारी संभाल रही अस्बाह
The Kashmir File: अस्बाह ने 1999 में कश्मीर विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में जर्नलिज्म में MA किया। उसके बाद वो 2007 तक कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय यानी SHER-E-KASHMIR University of Agricultural Science & Technology में बाकायदा नौकरी की। इतना ही नहीं अस्बाह ने 2003 से लेकर 2007 के बीच जर्मनी से Peace and Conflict Studies का कोर्स पूरा किया।
इसके बाद भी अस्बाह ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कश्मीर एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस यानी KAS की परीक्षा भी पास की। ये ठीक उसी तरह का इम्तेहान है जो संघ लोक सेवा आयोग यानी यूनियन सर्विस पब्लिक कमीशन के तहत होने वाले IAS का होता है। कश्मीर से सामने आई ख़बरों पर यकीन किया जाए तो दिसंबर 2021 तक अस्बाह कश्मीर में ही ग्रामीण विकास विभाग में निदेशालय के रूप में तैनात थीं।
घरवालों से भी लड़ गई थी बिट्टा कराटे के लिए
The Kashmir File: बहुत पहले अस्बाह का एक इंटरव्यू सामने आया था जिसमें अस्बाह ने बड़ा फ़ख्र जताते हुए अपनी बात कही थी कि बिट्टा कराटे के साथ शादी करना उनके लिए शर्म की नहीं सम्मान की बात है। अस्बाह ने ये भी कबूल किया कि शुरू शुरू में लोगों ने इस बात पर ऐतराज़ जताया था। जब वहां लोगों को ये मालूम पड़ा कि मैं एक अलगाववादी के साथ शादी करने की तैयारी में हूं तो सभी को ताज्जुब हुआ। उन्हें मेरी फिक्र होने लगी तब मैंने सभी को समझा लिया कि जो वो करने जा रही हैं उसमें कुछ भी ग़लत नहीं है।
ये बात अब सभी को अच्छी तरह से याद भी हो चुकी है कि कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों को चुन चुनकर मौत के घाट उतारने वाला बिट्टा कराटे 1990 में पकड़ा गया था और 2006 तक जेल में ही रहा था। जेल से बाहर आने के बाद वो काफी हद तक बदल चुका था।
ऐसे हुई थी पहली मुलाक़ात
The Kashmir File: इसी बीच 2008 में बिट्टा की अस्बाह से पहली मुलाक़ात उसके दोस्त के घर पर हुई थी। और उस पहली मुलाक़ात के पांच महीनों के बाद बिट्टा ने ही अस्बाह के सामने अपने प्यार का इज़हार किया था। हालांकि उस वक़्त अस्बाह KAS की तैयारी कर रही थी लिहाजा बिट्टा के प्यार के इज़हार पर अपनी कोई भी रज़ामंदी नहीं दी थी। लेकिन उसके बाद अस्बाह ने बिट्टा कराटे में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी।
ये सिलसिला क़रीब डेढ़ साल तक चलता रहा। उसके बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया। हालांकि आखिर तक अस्बाह के परिवार वालों को ये रिश्ता मंजूर नहीं था। अस्बाह के परिवार वाले नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी आतंक का दाग़ लगे शख्स के साथ निकाह करे और ज़िंदगी बसर करे, मगर यहां अस्बाह ने अपनी वक़ालत खुद की और परिवारवालों को अपने फैसले की तरफ झुका ही लिया। इसके बाद 1 नवंबर 2011 को फारूख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे के लिए अस्बाह आरज़ूमंद ने तमाम ज़माने और क़ाज़ी के सामने कह दिया उसे कुबूल है, कुबूल है कुबूल है।
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