Bhikhari Gang : भिखारी गैंग जितना गर्म लोहे से दागकर तड़पाते थे उतने ज्यादा पैसे मिलते थे

Bhikhari Gang Crime Tak Part-2 कानपुर में भिखारी गैंग के चंगुल से आए सुरेश मांझी (Kanpur Suresh Manjhi) की पूरी कहानी. जितना तड़पाते थे उतने ज्यादा मिलते थे पैसे.

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08 Nov 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:29 PM)

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Kanpur Bhikhari Gang : यूपी के कानपुर में भिखारी गैंग की घटना दिल दहलाने वाली है. जिस सुरेश मांझी को 6 महीने पहले भिखारी गैंग  कानपुर से दिल्ली लाकर भीख मंगवाई थी वो पूरी कहानी रूह कंपाने वाली है. सुरेश मांझी (Suresh Manjhi) ने बताया कि वो उसे रोजाना सुबह और शाम में नशे का इंजेक्शन दिया जाता था. ऐसा करने से वो पूरी तरह से बीमार और हाथ-पैर कांपने लगते थे. ये भी बताया था कि आरोपी इसके बाद उसे ट्राई साइकिल पर बैठाकर खासकर मंदिरों के आसपास भीख मंगवाया जाता था. आज क्राइम की कहानी (Crime Story) में पढ़ें भिखारी गैंग पार्ट-2

भिखारी गैंग पार्ट-1 को पढ़ने के लिए CLICK करें

भिखारी गैंग पार्ट-1

सुरेश मांझी ने बताया कि भिखारी गैंग ने मुझे अंधा बना दिया है इसलिए वो देख तो नहीं पाता था लेकिन ये पता चल जाता था कि कुछ घंटे में ही डेढ़ से 2 हजार रुपये मिल जाते थे. जहां तक ड्यूटी की बात तो है तो सुबह 5 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक भीख मांगते थे. ट्राई साइकिल पर बैठाकर बाल्टी रख देते थे. उसी बाल्टी में लोग पैसे डालते रहते थे. इन पैसों के भिखारी गैंग के ठेकेदार ले लेते थे. पुलिस की जांच में पता चला है कि भिखारी गैंग का नेटवर्क कानपुर समेत यूपी के कई बड़े शहरों से लेकर दिल्ली और मुंबई तक चल रहा है. मुंबई और दिल्ली में इन भिखारियों की ज्यादा डिमांड है क्योंकि इन शहरों में ज्यादा पैसे मिलते हैं.

मैं करता रहा मौत की मिन्नतें

सुरेश मांझी ने बताया कि उसे इतना तड़पाया जाता था कि मौत भी रोने लगे. इसलिए उनके पैर पकड़कर रोता था कि मुझे मार दो. लेकिन भिखारी गैंग ने मुझे मौत की भीख भी नहीं दी. मैं हमेशा कहता था कि मेरी जान ले लो. लेकिन वो ऐसे बेरहम थे कि बस उन्हें ये दिखता था कि कैसे जख्म दिए जाएं कि पैसे बरसें.

आंखों में केमिकल डाल मुझे पहले दिन ही अंधा बना दिया

Crime Story in Hindi : भिखारी गैंग से बचकर लौटे सुरेश मांझी ने बताया कि 6 महीने पहले रोजाना की तरह किदवई नगर लेबर मंडी के पास खड़ा था. इस इंतजार में की आज भी कोई दिहाड़ी का काम मिल जाएगा. उसी समय मछरिया गुलाबी बिल्डिंग के आसपास में रहने वाला एक शख्स मुझे अपने साथ काम के सिलसिले में ले गया. बातचीत से पता चला कि उसका नाम विजय है. काम करते हुए उसने कुछ खाने का सामान दिया. उसमें कुछ नशीला पदार्थ मिला था. खाने के बाद मुझे अजीब सा लगने लगा. तभी उसने मेरी आंखों में कुछ केमिकल जैसा डाल दिया. जिस वजह से मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था.

मुझे 70 हजार में बेचा गया : मैं अंधा ही हो गया. इसके बाद उसने मेरे हाथ-पैर पंजे तोड़ दिए. फिर करीब 12 दिनों तक मछरिया इलाके के घर में ही रखा. मेरे शरीर को कई जगह से जलाया. फिर चापड़ से मेरी दाढ़ी के पास गहरा घाव कर दिया. जिससे चेहरे का हुलिया ही बदल गया. फिर कुछ दिनों तक दूसरे इलाके में रखा गया और मेरा सौदा एक महिला से हुआ. उस महिला ने विजय को 70 हजार रुपये दिए. यानी मुझे 70 हजार रुपये में बेचकर सौदा कर लिया गया.

दिल्ली के नागलोई में सैकड़ों लोगों से भीख मंगवा रहा है ये भिखारी गैंग

Crime Story : अब मैं देख नहीं सकता था. अपने पैरों से चल नहीं सकता था. और ना ही हाथों से उठ सकता था. पर दोनों कानों से सुन सकता था. इसलिए सबकुछ ध्यान रखता था कि कहां रखा जा रहा है. लोग क्या बात कर रहे हैं. उसी से पता चला कि किसी राज नामक शख्स मुझसे ये भीख मंगवा रहा है. मुझे दिल्ली के नागलोई इलाके में कहीं रखा जा रहा है. यहां पर काफी संख्या में लोग हैं. ये पूरा रैकेट सिर्फ दिल्ली नहीं बल्कि मुंबई और कई बड़े शहरों में चल रहा है. मेरे जैसे सैकड़ों गरीब युवक और बच्चे हैं जिन्हें किसी ना किसी बहाने उठाकर भिखारी गैंग भीख मंगवा रहा है.

इतना सबकुछ सहने  के बाद भी खाने के नाम पर पूरे दिन में सिर्फ एक बार और एक ही रोटी देते थे. ऐसा इसलिए करते थे ताकि हमारी लाचारी देखकर ही लोग तरस खा जाएं. कई महीने तक यातनाएं दी गईं. लगातार रात में नशीले इंजेक्शन दिए जाते थे. जिससे चेहरा और शरीर कमजोर दिखे. ताकी लोग ज्यादा से ज्यादा पैसे दें. लेकिन इस वजह से मेरी तबीयत ज्यादा खराब हो गई. ऐसी हालत हुई कि अगर इलाज कराते तो 40 से 50 हजार रुपये का खर्चा आता. इसलिए भिखारी गैंग ने ये तय किया कि मुझे किसी दूसरी जगह फिर से बेच दिया जाए.

इसलिए फिर से मुझे कानपुर ले आया गया. यहां से वही विजय अब किसी दूसरे गैंग के हवाले कर देता. लेकिन मेरी तबीयत लगातार बिगड़ती रही तो एक गाड़ी से किदवई नगर ले आए. यहां आने की भनक लगते ही मैं चीखने चिल्लाने लगे तो वे छोड़कर भाग निकले.

3 नवंबर को कानपुर के नौबस्ता थाने में दर्ज हुई FIR

इस पूरे मामले की जानकारी होने के बाद स्थानीय लोगों ने विरोध किया. तुरंत आरोपी विजय और भिखारी गैंग को गिरफ्तार करने की मांग उठी. नौबस्ता और उसके आसपास के इलाके से पिछले कुछ सालों में गायब हुए बच्चों के परिजनों ने भी भिखारी गैंग पर गुस्सा जताया. तब पुलिस ने नौबस्ता थाने में सुरेश मांझी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की.

पुलिस को विजय के कुछ करीबी लोग मिले हैं जिनसे पूछताछ कर उसकी तलाश की जा रही है. इसके साथ ही पुलिस का दावा है कि दिल्ली में भी उसके बताए स्थान के आसपास तलाशी की गई. दिल्ली में राज नामक जो शख्स भीख मंगवाता था उसकी भी तलाश की गई लेकिन वो नहीं मिला. अब कानपुर पुलिस का कहना है कि इस पूरे सिंडिकेट के बारे में पता लगाया जा रहा है.

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