डAgra Police Acid Attack Survivor Story : खाकी पर सवाल करना आसान है. लेकिन उसी खाकी के दूसरे पहलू को देखना कई बार हम भूल जाते हैं. आज उस खाकी की बात जिसने एक लड़की को हिम्मत दी. उस खाकी की बात जिसने 20 साल से छुपे एक लड़की के दर्द को सामने लाकर इंसाफ की लड़ाई लड़ने हौसला दिया. उस खाकी की बात जिसने एक लड़की के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम किया. उस लड़की का चेहरा जिसपर आज से 20 साल पहले एसिड अटैक हुआ था. चेहरे पर एसिड का बदनुमा दाग लगा था. उस तेजाब का इलाज तो किसी तरह हो गया लेकिन ताउम्र के लिए वो एक अजीब दर्द छोड़ गया. लेकिन उस दर्द से भी कहीं ज्यादा उन्हें अपनों ने तकलीफ दी. उन लोगों ने जिसे हम समाज और रिश्तेदार कहते हैं. आज कहानी (Crime Story) उस एसिड पीड़िता की जिसने खाकी के एक कदम से 20 साल बाद इंसाफ के लिए आवाज उठाई है.
20 साल पहले चेहरे पर उसने डाला था तेजाब, अब खाकी की इस पहल से मिलेगा इंसाफ, एसिड अटैक सर्वाइवर की पूरी कहानी
Agra Acid Attack Crime Story : आगरा पुलिस की इस पहल से 2 एसिड अटैक सर्वाइवर को 20 और 22 साल मिलेगा इंसाफ. रुकैया पहले ऐसी थी. एसिड डालने पर बदल गया था चेहरा.
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10 Jan 2023 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:33 PM)
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आगरा पुलिस की पहल पर 2 एसिड अटैक सर्वाइवर ने दर्ज कराई FIR
Agra News : उस लड़की का नाम रुकैया. अब उम्र करीब 34 साल. जगह आगरा का शीरोज हैंगआउट कैफे (SHEROES HANGOUT CAFE). यहां एसिड अटैक सर्वाइवर काम करती हैं. इनमें से एक हैं रुकैया. आगरा की रहने वाली. अभी इस कैफे में 6 दिसंबर 2022 आगरा जोन के एडीजी राजीव कृष्ण आए थे. वो एसिड अटैक सर्वाइवर (Acid Attack Survivor) से बात कर रहे थे. उस दौरान रुकैया और मधु दो ऐसी सर्वाइवर मिलीं जिन्होंने अपने परिवार और दूसरी वजहों से कभी आरोपियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत ही नहीं की थी.
ये जानकार एडीजी राजीव कृष्ण हैरान थे. इसके पीछे की वजह पूछी. पता चला कि अपने खास रिश्तेदारों की वजह से वो खामोश रहीं. 20 साल से उस दर्द को सहती रहीं. लेकिन कभी जुबां पर नहीं ला पाईं. एडीजी ने हिम्मत दी. पूछे क्या आज भी वो न्याय चाहती हैं. जवाब मिला बिल्कुल. वो दर्द आज भी हमें रुलाती है. एक डरावने सपने की तरह. लेकिन हम खामोश रहे. फिर एडीजी ने तुरंत आगरा पुलिस कमिश्नर को इस मामले में कार्रवाई करने को लेकर बात की.
फिर आगरा के पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह दोनों एसिड अटैक सर्वाइवर मधु और रुकैया को अपने ऑफिस बुलाते हैं. उनकी शिकायत पर उनके घर के नजदीकी थाने में एफआईआर करवाते हैं. जांच के आदेश देते हैं. क्राइम तक (CRIME TAK) से बात करते हुए आगरा के पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदिर सिंह ने कहा...
दोनों केस में तुरंत FIR कराई गई है. रुकैया का केस साल 2002 में अलीगढ़ में हुआ था. लेकिन आगरा में ही रिपोर्ट दर्ज कर उसकी शुरुआती जांच की जा रही है. दोनों एसिड अटैक सर्वाइवर को मुआवजा दिलाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है. मधु के केस में आगरा पुलिस ही एक्शन लेगी. मधु का केस 22 साल पुराना है. जबकि रुकैया का केस 20 साल पुराना. रुकैया मामले में पूरी जांच के बाद अलीगढ़ पुलिस को हम रिपोर्ट सौंपेगे. इसके बाद अलीगढ़ में आरोपी के खिलाफ कार्रवाई होगी. पुराने मामले में मेडिकल रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है और एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है. ताकी आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जा सके.
मुझे लगा उसने चाय फेंकी, लेकिन वो तेजाब था, मैं चीखने लगी : रुकैया
20 साल से अपने दर्द को बस दिल में दबाए बैठीं रुकैया ने क्राइम तक (CRIME TAK) से बात की आंखों से आंसू आ गए. उनसे पूछा गया कि आखिर वो 20 साल पुरानी एसिड अटैक की पूरी कहानी क्या है. तो वो बताती हैं...
असल में मेरे चेहरे पर तेजाब डालने वाला कोई और नहीं बल्कि मेरी बड़ी बहन का सगा देवर था. जो मुझसे शादी करने की जिद पर था. लेकिन उस समय मेरी उम्र महज 14 साल थी. नाबालिग थी. पढ़ने की उम्र थी. घरवाले भी शादी नहीं कराना चाहते थे. और ना ही मैं इस शादी के लिए तैयार थी. ये सितंबर 2002 की बात है. तारीख थी 7 सितंबर. वो तारीख भला मैं कैसे भूल सकती हूं. मैं अपनी मां के साथ दीदी की ससुराल अलीगढ़ में आई थी. उस समय दीदी का मिसकैरेज हुआ था. इसलिए हमदोनों उनकी मदद के लिए गए थे
उसी समय मेरे जीजा के छोटे भाई ने मुझसे शादी का प्रस्ताव रखा था. उस समय उसकी उम्र 24 साल थी. पर इस शादी के लिए मेरी मां ने भी मना कर दिया. फिर मैंने भी. मेरी उम्र ही क्या थी उस समय. पर यही बात उस शख्स को नागवार गुजरी. हल्का सा अंधेरा छाया था. उस समय दीदी के देवर को ये तेवर चढ़ गया कि कैसे रिश्ते की साली मुझसे शादी करने से इनकार कर सकती है. बस इसी बात को लेकर वो तेजाब ले आया. मैं घर के आंगन में चारपाई के पास थी. उसी समय अचानक मेरे चेहरे पर कुछ फेंका जिसे पूरा चेहरा जलने लगा.
थोड़ी देर पहले ही उसी शख्स ने कहा था कि मैं चाय ले आऊंगा. मैं दीदी की ससुराल पहली बार आई थी. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. मुझे लगा कि उसने चाय फेंकी होगी. लेकिन उसकी जलन ने बता दिया कि चाय नहीं, ये तो तेजाब है. मैं रोने लगी. चीखने लगी. दीदी और जीजा तुरंत वहां आए. उन्होंने लाइट जलाकर देखा तो पता चला कि जीजा के भाई ने ही चेहरे पर तेजाब डाल दिया है.
पहले पास के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. मेरी हालत खराब हो रही थी. मुझे काफी दर्द हो रहा था. इसलिए एक दिन बाद ही आगरा लाया गया. यहां पर अस्पताल में करीब 1 महीने तक इलाज चला. इस दौरान पुलिस में शिकायत करने की बात आई. मैं और मेरी मां दोनों तैयार थीं. किसी तरह से उस एसिट अटैक करने वाले जीजा के भाई को सजा मिले. पुलिस उसके खिलाफ एक्शन ले. लेकिन दीदी के ससुरालवालों ने साफ कह दिया कि अगर पुलिस के पास गई तो हमेशा के लिए अपनी बहन को भी मायके लेकर चली जाना.
उस समय दीदी के दो बच्चे थे. फिर मैं डर गई. मां भी डर गई. क्योंकि मेरे पिता की पहले ही जान जा चुकी थी. मेरी भी उम्र 14 साल थी. अब सोचा कि किसी तरह से चेहरे का इलाज कराया जाए. क्योंकि अगर पुलिस केस किया तो बहन की जिंदगी भी बर्बाद होगी. मेरी तो काफी हद तक हो ही रही है. लेकिन अफसोस हमेशा रहता था कि मेरे चेहरे पर दाग लगाने वाले को सजा नहीं दिला सकी थी. सजा तो दूर पुलिस में एक शिकायत भी नहीं कर पाई थी. इस तरह वक्त गुजरता गया. मैं बड़ी हुई. शादी हुई. अब एक बेटा है. और पिछले कई साल से आगरा के एसिड अटैक सर्वाइवर कैफे में नौकरी कर रही हूं. नाम है शीरोज हैंगआउट SHEROES HANGOUT (SHE+HEROES =SHEROES).
यहां काम करते हुए काफी समय हो गया. लेकिन इस दौरान कभी सोचा भी नहीं था कि जिंदगी में कभी उस दर्द के बदले इंसाफ की आवाज उठा सकूंगी. लेकिन कहते हैं ना कि समय के साथ चीजे बदलती है. अब पूरी उम्मीद है मुझे इंसाफ मिलेगा. जब मेरी शिकायत पुलिस थाने में दर्ज हुई तभी मेरा मन काफी हल्का हो गया था. जिसकी मुझे 20 साल से दरकार थी वो खुद अचानक ऐसे मिली जो मैंने कभी सोचा ना था.
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