पति का मर्डर करा बोली, 4 साल के बेटे को भी मार दो, प्रेमी ने मना किया, तो मां ने ही गला घोंट दिया

पति का मर्डर करा बोली, 4 साल के बेटे को भी मार दो, बेवफा बीवी की अजीब कहानी true crime story of unfaithful wife kill my husband and kill my son

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14 Apr 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:17 PM)

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Crime Stories in Hindi : क्राइम की इस घटना ने मां की ममता का गला घोंट दिया. ना सिर्फ मां की ममता बल्कि पति-पत्नी के रिश्तों को भी तार-तार कर दिया. उस भरोसे को भी खत्म कर दिया जिसकी बुनियाद में कभी सात फेरे लिए थे. जिस पर परिवार को संवारने की जिम्मेदारी थी उसी ने जिंदगी उजाड़ दी. जिसके साथ सात जन्मों का साथ निभाने का वचन लिया था उसी का ऑनलाइन शुरू हुए एक नए रिश्ते ने खात्मा कर दिया. आज क्राइम की कहानी (Crime Story in Hindi) में गोरखपुर की ऐसी मर्डर मिस्ट्री जिसकी जांच के लिए सीएम ऑफिस से फोन आ गया था.

Gorakhpur Murder Mystery Story : क्राइम की ये सनसनीखेज घटना उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की है. उस समय कड़कड़ाती ठंड पड़ रही थी. घना कोहरा था. उस दिन तारीख थी 20 जनवरी 2016. आधी रात में पिता और मासूम बेटे का क़त्ल हो जाता है.

जिस कमरे में डबल मर्डर हुए वहां कंस्ट्रक्शन का काम भी चल रहा था. कमरे का सामान बिखरा हुआ था. इसलिए पहली नजर में यही लगा कि लूटपाट के इरादे से दोनों हत्याएं हुईं हैं. जिस डॉक्टर की हत्या हुई उनकी पत्नी दूसरे कमरे में सो रही थीं. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं हुई. वो सुबह जब उठीं तो उनके कमरे के दरवाजे की कुंडी बाहर से बंद थी.

21 जनवरी की सुबह करीब 8 बजे के आसपास कंस्ट्रक्शन का काम करने वाले मजदूर वहां पहुंचे. मजदूरों ने जब डॉक्टर को आवाज लगाई तब दूसरी तरफ से उनकी पत्नी ने भी दूसरे कमरे से आवाज लगाई. इसके बाद मजदूरों ने उस दरवाजे को खोला जिसमें डॉक्टर की पत्नी थी. फिर सभी लोग दूसरे कमरे में दाखिल हुए तो वहां खून और दो लाश देखकर सन्न रह गए. इसकी जानकारी पुलिस को दी गई. जिसके बाद पूरे मामले की जांच शुरू हुई.

Crime Ki Kahani : जिनका क़त्ल हुआ उनका नाम डॉ. ओमप्रकाश यादव था. पेशे से आंखों के डॉक्टर. बेटे शिवा की उम्र उस समय 4 साल थी. इनका परिवार गोरखपुर के शाहपुर एरिया की अशोक नगर कॉलोनी में रहता था. ओम प्रकाश की पत्नी का नाम अर्चना यादव. घटना से कुछ महीने पहले से ही पति-पत्नी में थोड़ा मनमुटाव था.

इसलिए दोनों अलग-अलग कमरे में सोते थे. घटना वाली रात यानी 20 जनवरी को अशोक नगर कॉलोनी में एक शादी की पार्टी थी. उसी पार्टी में डॉ. ओमप्रकाश अपने बेटे शिवा के साथ गए थे. लेकिन नाराज पत्नी अर्चना नहीं गई थी. रात करीब 10 बजे दोनों पिता और बेटे घर लौटे फिर दूसरे कमरे में जाकर सो गए थे.

इसके बाद सुबह दोनों की लाश मिली थी. अब अर्चना के कमरे की कुंडी बाहर से बंद थी और जिस कमरे में हत्या हुई थी उसमें सामान बिखरा हुआ था. इसलिए शक यही हुआ कि बदमाशों ने लूट के इरादे से ये हत्या की है.

इस घटना में डॉ. ओमप्रकाश की मां बागेश्वरी देवी की शिकायत पर गोरखपुर पुलिस ने हत्या और लूट की एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू की. इधर, अर्चना के पिता दीप चंद पीएसी में तैनात थे. उस समय सीएम सुरक्षा में तैनात थी.

ड्यूटी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास पर थी. इसलिए जैसे ही इस घटना की जानकारी अर्चना के पिता को हुई, उन्होंने तुरंत सीएम ऑफिस से ही अपने बेटी के पति और बेटे के कातिल का पता लगवाने के लिए गोरखपुर के एसएसपी को फोन करवाया.

सीएम ऑफिस से फोन आते ही पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में उस समय के एसएसपी आईपीएस अधिकारी लव कुमार समेत तमाम अधिकारी और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची.

अब छानबीन शुरू हुई. परिवार के लोगों से पूछताछ जानकारी ली जाने लगी. ओमप्रकाश की पत्नी बार-बार बेटे और पति की मौत पर रो रही थी. चूंकि सीएम ऑफिस से फोन भी आ चुका था इसलिए पुलिस अधिकारी अर्चना से कुछ पूछने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे थे. लेकिन रात में क्या हुआ, हत्या के दौरान क्या कोई आवाज सुनाई दी थी या नहीं, ये भी पूछना जरूरी था. लेकिन पत्नी बात करने को तैयार नहीं थी. बार-बार बस रोए जा रही थी.

Murder Mystery Story in hindi : इस घटना में पुलिस को ये नहीं समझ आ रहा था कि अगर बदमाश लूट के इरादे से घर में आए थे तो उन्होंने इतनी बेरहमी से डॉक्टर की हत्या क्यों की. अगर डॉ. ओमप्रकाश की हत्या कर भी डाली तो बच्चे को क्यों मारा.

क्योंकि लुटेरों के सामने बच्चा क्या कर सकता था. विरोध भी नहीं कर सकता था. ऐसे में एक ही बात बचती थी कि बच्चा लुटेरों को पहचानता हो. ऐसे में घर में काम करने वाले मजदूरों पर ही हत्या करने का शक था क्योंकि वही दिन में वहां हो रहे कंस्ट्रक्शन का काम कर रहे थे.

लिहाजा, पुलिस ने काम करने वाले मजदूरों और ठेकेदारों से भी पूछताछ की. लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. इसके बाद पुलिस ने डॉ. ओमप्रकाश के पुराने इतिहास को खंगालना शुरू किया. तब उनकी मां ने पूरी जानकारी दी थी. मां बागेश्वरी देवी ने बताया कि बेटे ओमप्रकाश की ये दूसरी शादी थी.

इससे पहले साल 2007 में ओमप्रकाश की शादी सिंगापुर में रहने वाली लड़की से हुई थी. हालांकि, परिवार पहले गोरखपुर में ही रहता था. लेकिन ये शादी ज्यादा दिन नहीं चली. क्योंकि सिंगापुर में पढ़ी लिखी लड़की को यहां घुटन सी हो रही थी. इसलिए 6 महीने बाद ही वो सिंगापुर लौट गई और वहां बैंक में नौकरी करने लगी थी.

इसके बाद दोनों में तलाक हो गया तो फिर से ओमप्रकाश की शादी की तैयारी शुरू हुई. 6 महीने में ही शादी टूट गई थी फिर भी परिवार के लोग तलाकशुदा के बजाय नई लड़की से शादी करना चाहते थे. इधर, ओमप्रकाश की डॉक्टरी भी अच्छी चलती थी. ओमप्रकाश के बड़े भाई राज कुमार यूपी पुलिस में इंस्पेक्टर थे. इनके पिता की मौत हो गई थी. इसलिए मां के साथ दोनों भाई भी रहते थे.

Crime Story in Hindi : इसी बीच, दीपचंद यादव की बेटी अर्चना का रिश्ता आया था. दोनों परिवार में अच्छी बात हुई. इसके बाद दोनों की रजामंदी से साल 2009 में डॉ. ओमप्रकाश की शादी अर्चना यादव से हुई. शुरू के दिनों में सब कुछ ठीक रहा. लेकिन कुछ समय बाद ही अर्चना ने ज्वाइंट फैमिली में रहने से मना करने लगी.

वो कहने लगी थी घर में काफी काम करना पड़ता है. इसलिए वो पति के साथ अलग रहना चाहती है. लेकिन डॉ. ओमप्रकाश अलग नहीं होना चाहते थे. यहीं से परिवार में विवाद शुरू हुआ. आखिरकार परिवार में ओमप्रकाश और अर्चना ने अपना किचन अलग कर लिया और घर के दूसरे फ्लैट में रहने लगे.

अर्चना और ओमप्रकाश की शादी के 3 साल बाद 2012 में एक बेटा हुआ. उसे घर पर शिवा बुलाते थे. पुलिस को डॉक्टर की मां बागेश्वरी ने ये भी बताया कि पिछले काफी समय से दोनों पति-पत्नी में खूब झगड़े होते थे और पिछले दो-तीन महीने से दोनों अलग-अलग कमरे में रहने लगे थे. अब ये बात पता चलते ही पुलिस की जांच की दिशा दूसरी तरफ मुड़ी.

आखिर ऐसी कौन सी वजह थी कि ज्वाइंट फैमिली से अलग होने के बाद भी दोनों में लड़ाई होती थी. और पिछले कई महीने से पति-पत्नी अलग-अलग कमरे में रहने लगे थे. अब इस बात का पता लगाने के लिए पुलिस ने अर्चना से पूछताछ करना चाही लेकिन उसने कुछ नहीं बताया.

इसके बाद पुलिस ने अर्चना के फोन की कॉल डिटेल निकाली. जिसके बाद पता चला कि रात में उसकी एक शख्स से बात होती थी. उसका नाम था अजय यादव. वो फिरोजाबाद का रहने वाला है. एक स्कूल में टीचर है. पुलिस ने उस मोबाइल नंबर की लोकेशन निकाली तो पता चला कि 20 जनवरी की रात में वो शख्स गोरखुपर में ही था. बस क्या था पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की. इसके बाद उसे हिरासत में ले लिया गया. जब उससे पूछताछ की गई तब सनसनीखेज खुलासा सामने आया.

Crime ki Kahani : आरोपी अजय यादव ने बताया कि अर्चना से हमारी दोस्ती करीब एक साल पहले फेसबुक के जरिए हुई थी. उस समय तक अर्चना का बेटा भी बड़ा हो गया था. घर पर ज्यादा काम रहता नहीं था. इसलिए अर्चना ज्यादा समय फेसबुक पर बिताने लगी थी. पति से छोटी-छोटी बात पर लड़ाई होती थी. इसलिए अर्चना और हमारे बीच प्यार की बातें होने लगीं.

फेसबुक पर चैट करते हुए ही दोनों ने एक दूसरे का नंबर ले लिया और फिर फोन पर बात करने लगे थे. ज्यादा फोन पर बात करने से ही पति-पत्नी में दूरियां और बढ़ गईं थीं. इसके बाद हम दोनों ने मिलने का मन बनाया. इसलिए अर्चना लखनऊ स्थित अपने मायके आ गई. यहां लखनऊ में ही मेरी और उसकी मुलाकात हुई. हमदोनों कई बार होटल में मिले और दोनों में फिजिकल रिलेशन भी बन गए.

इसके बाद जब अर्चना गोरखपुर अपने ससुराल लौट गई. तब वहां भी वो मुझे दूर का रिश्तेदार बताकर घर बुला लेती थी. गोरखपुर में भी वो दो बार आकर अर्चना से मिल चुका है. अब दोनों का रिश्ता ऐसा हो गया था कि अर्चना हमेशा के लिए मेरे साथ ही रहना चाहती थी.

इसलिए फोन पर बात करते हुए बताया कि 20 जनवरी की रात में पास में ही किसी की मैरिज एनिवर्सरी है. रात में उसके पति वहां जाएंगे और जब लौटकर आएंगे तभी सोते समय उनकी हत्या कर देंगे. हत्या के कुछ समय बाद दोनों शिवा को लेकर कहीं दूर चले जाएंगे. वहीं पर नई जिंदगी गुजारेंगे. उस समय तक बच्चे को मारने की कोई साजिश नहीं थी.

अब साजिश के तहत 20 जनवरी की शाम तक ही अवध एक्सप्रेस ट्रेन से अजय गोरखपुर पहुंचा. यहां रात करीब 8 बजे डॉ. ओमप्रकाश अपने बेटे को लेकर शादी वाली पार्टी में चले गए तभी अर्चना ने फोन करके अजय को घर बुला लिया था.

घर पर आकर दोनों ने रिलेशन भी बनाए. इसके बाद अर्चना ने खुद ही फोन कर अपने पति से घर आने की जानकारी मांगी थी. रात करीब 10 से 10:30 बजे के बीच जब डॉ. ओमप्रकाश बेटे के साथ घर लौटने वाले थे उससे पहले ही अर्चना ने अपने प्रेमी अजय को पति वाले कमरे में छुपा दिया था.

Love Murder story in hindi : अब रात में आने के बाद पिता और बेटे एक साथ उस कमरे में सो गए. इस तरह जब रात के साढ़े 12 बजे तब प्रेमी अजय ने उस कमरे का दरवाजा अंदर से खोला जिसमें डॉ. ओमप्रकाश अपने बेटे के साथ सो रहे थे. इसके बाद अजय और अर्चना ने साजिश के तहत हथौड़े से मारने के लिए कमरे में दाखिल हुए.

उस समय अजय ने हथौड़े से डॉ. ओमप्रकाश के सिर पर तेजी से वार किया. इससे वो जोर से चीखे तो फिर से दो बार तेज वार किया. इससे ओमप्रकाश फिर से चीख नहीं पाए. और हमेशा के लिए बिस्तर पर ही सोते रह गए. लेकिन पापा की चीख सुनकर बेटा उठ गया. सिर से खून बहता हुए देख वो डर गया और बचने के लिए पास में खड़ी मां की गोद में दुबक गया.

ये सोचकर मां तो अपने आंचल में बेटे को बचा लेगी. लेकिन उसे शायद ये पता नहीं था कि वो अपने प्रेमी के प्यार में इस कदर अंधी हो चुकी है कि मां की ममता भी खत्म हो चुकी है. अब अर्चना ने कहा कि बेटा शिवा सबकुछ देख चुका है. वो अपनी दादी और दूसरों को हमारी पोल खोल देगा. इसलिए अब इसे भी मारना होगा.

अर्चना ने प्रेमी अजय से बेटे को भी मारने के लिए कहा. लेकिन अजय ने मना कर दिया. उसने कहा कि इस मासूम को मैं नहीं मार सकता. इसमें बच्चे का क्या कसूर है. फिर अर्चना बोली, अब चाहे जो हो जाए. तुम्हें पाने के लिए इसे मरना ही होगा. अगर तुम नहीं मार सकते तो मैं ही मार देती हूं. अब इतना कहने के बाद अर्चना ने गोद में दुबके बेटे का गला दबाना शुरू कर दिया. और तब तक दबाया जब तक उसकी मौत नहीं हो गई.

पुलिस की पूछताछ में दोनों की हत्या के बाद काफी देर तक अर्चना के साथ वो कमरे में काफी देर तक रहा भी. इसके बाद दोनों ने मिलकर इसे लूट की घटना जैसा बताने के लिए कमरे का सामान बिखेर दिया.

पैसे और जेवर भी गायब कर दिए. ताकी ये लगे कि घटना लूट की लगे. इसके बाद अर्चना अपने कमरे में चली गई. उस कमरे की कुंडी को अजय ने बाहर से बंद कर दिया और फिर गोरखपुर रेलवे स्टेशन आ गया. यहां से ट्रेन पकड़कर वापसा अपने घर फिरोजाबाद लौट गया.

अब इस पूरी घटना के बाद जब लूट के इरादे से हत्या की एफआईआर हो गई तो दोनों ने राहत की सांस ली थी. ये भी सोचा था कि अगर एक या दो हफ्ते बाद भी केस नहीं खुला तो बहाना बनाकर अर्चना किसी तरह अजय के पास आ जाएगी फिर दोनों नई जिंदगी शुरू कर देंगे.

लेकिन 22 जनवरी 2016 को ही गोरखपुर पुलिस ने इस पूरे केस का खुलासा कर दिया था. पुलिस ने अजय और अर्चना दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इस केस में पुलिस ने फेसबुक पर दोनों की हुई चैट और मोबाइल मैसेज को भी साक्ष्य के रूप में जुटाया.

इस केस में 17 अक्टूबर 2020 को गोरखपुर की अदालत ने अर्चना यादव और अजय यादव को दोषी साबित करते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. दोनों अभी जेल में सजा काट रहे हैं. बताया जाता है कि अभी भी अर्चना को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है.

जेल में महिला कैदियों ने जब बेटे की हत्या को लेकर सवाल पूछे तो उसने कहा था कि, 'मैंने उसे पैदा किया था और मैंने उसे मार डाला इसमें तुम्हारा क्या?' ये सुनकर जेल की महिला कैदियों ने उसकी पिटाई भी कर दी थी.

इसके अलावा जेल प्रशासन से कई बार अर्चना ने पुरुष बैरक में बंद अजय से मिलने की गुहार लगा चुकी है. लेकिन दोनों में कानूनी तौर पर शादी नहीं होने की वजह से जेल प्रशासन उन्हें मिलने की अनुमति नहीं देता है.

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