सिद्धू मूसेवाला की बरसी पर माँ अपने बेटे की 'नेमप्लेट' पढ़कर रो पड़ी, साथ में रोया पूरा गांव, पट्टिका में लिखी थी सिर्फ एक 'लाइन'

sidhu moosewala murder one year: पंजाब के मानसा जिले के जवाहरके गांव के पास सिद्धू मूसेवाला के कत्ल के एक साल बाद उसकी मां उस जगह पर जाकर फूट फूटकर रो पड़ी जहां सिद्धू को गोलियों से छलनी किया गया था।

सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस को हुआ एक साल

सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस को हुआ एक साल

29 May 2023 (अपडेटेड: May 29 2023 8:41 AM)

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sidhu moosewala murder one year: पंजाब के गांव जवाहरके में रखी पट्टिका पर लिखे नाम को पढ़ते ही चरणकौर फूट फूट कर रोने लगी। और वहां मौजूद सैकड़ों लोग एक महिला को इस तरह छाती पीट पीटकर रोता हुआ देखकर खुद भी आंसू बहा रहे थे लेकिन किसी ने भी आगे बढ़कर रोकने की हिम्मत नहीं की। उस पट्टिका पर लिखा हुआ था शुभदीप सिंह सिद्धू  जन्म 11 जून 1993 और मृत्यू 29 मई 2022...जी हां ये शुभदीप सिंह सिद्धू उर्फ सिद्धू मूसेवाला का मां है चरणदीप कौर जो उसी जगह पर जाकर अपना मत्था जमीन से टिकाकर और वहां रखी पट्टिका को पढ़कर बुरी तरह से फूट फूट कर रोने लगी जहां सिद्धू मूसेवाला ने आखिरी सांस ली थी। 

सिद्धू मूसेवाला के अंतिम स्थल पर मत्था टेकने पहुँची उनकी मां चरणकौर

अंतिम स्थल पर जाकर टेका मत्था

जवाहरके में जिस जगह 29 मई 2022 को सिद्धू मूसेवाला को गोलियों से छलनी किया गया था ठीक एक साल बाद सिद्धू मूसेवाला की बरसी के रोज वहां एक जलसा हुआ जिसमें जवाहरके के साथ साथ सिद्धू मूसेवाला को चाहने वाले आस पास के तमाम गांव से लोग इकट्ठा हुए। उस जगह अपने बेटे की पहली बरसी के मौके पर मां चरणकौर भी पहुँची और उसी जगह मत्था टेका जहां सिद्धू मूसेवाला को गोलियों से छलनी किया गया था। उस जगह के आस पास दीवारों पर बने गोलियों के निशान देखकर वहां मौजूद लोग भी दहल गए। 

सिद्धू मूसेवाला की मूर्ति लगाने का फैसला

सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर ने अपने बेटे की पहली बरसी पर उसकी याद में खूब आंसू बहाए। जवाहरके गांव की पंचायत ने सिद्धू मूसेवाला की याद में उसी जगह पर एक मूर्ति लगाने का फैसला किया है जहां उसे गोलियों से छलनी किया गया था। गांव के सरपंच तरलोचन सिंह और पूर्व सरपंच राजिंदर सिंह ने बताया कि पारा गांव मूसेवाला के रंग में रंगा है। पहली बरसी के मौके पर देश और विदेश से आकर उस जगह को देखने वालों का तांता लगा रहा। बड़ी तादाद में संगत पहुँची और मूसेवाला के चित्रों के आगे मत्था टेका। 

गांव वालों का संघर्ष जारी रहेगा

गांव के लोग मूसेवाला को इंसाफ दिलाने के लिए आवाज उठाते रहे और सारा गांव सिद्धू मूसेवाला के परिवार के साथ ही खड़ा नजर आया। गांव के लोगों ने कसम खाई कि जब तक सिद्धू मूसेवाला के कत्ल के साजिशकर्ता पकड़े नहीं जाते तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। हालांकि ये बात तो सही है कि सिद्धू मूसेवाला की हत्या करने वाले सभी शूटर अब पंजाब पुलिस की पकड़ में है। लेकिन अभ तक पुलिस गोल्डी बराड़ तक नहीं पहुंच सकी है जिसने सिद्धू मूसेवाला के कत्ल का जिम्मा उठाया था। गांव के लोगों ने इस मौके पर कहा कि जब तक कत्ल के साज़िशकर्ता पकड़े नहीं जाते तब तक वो किसी भी सूरत में चैन से नहीं बैठेंगे। 

मंदिर की इसी दीवार को लेकर बवाल है

जगह को लेकर खड़ा हुआ नया बखेड़ा

हालांकि जवाहरके गांव में सिद्धू मूसेवाला की मूर्ति लगाने को लेकर एक अलग तरह का झगड़ा खड़ा हो गया। असल में जिस जगह सिद्धू मूसेवाला की अंतिम यात्रा हुई थी, उस जगह सिद्धू मूसेवाला का परिवार सिद्धू की मूर्ति लगाना चाहता है। जिस जगह सिद्धू को गोली मारी गई थी वो जगह जिसकी थी उसने सिद्धू की मूर्ति के लिए दे भी दी थी। लेकिन जिस दीवार पर गोलियों के निशाना है, सिद्धू का परिवार उसे भी उसी मूर्ति स्थल के तौर पर उसके कब्जे में चाहता है, मगर वो दीवार एक मंदिर की है और मंदिर वालों ने दीवार पर कब्जा देने से इनकार कर दिया है। फिलहाल मंदिर कमेटी का कहना है कि इस बारे में सोमवार यानी 29 मई को ही फैसला करेंगे। लेकिन इसकी वजह से सिद्धू मूसेवाला की मूर्ति को लगाने का काम टलता जा रहा है। 

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