Mumbai Murder Mystery : मुंबई में एक MBBS छात्रा की मर्डर मिस्ट्री में सनसनीखेज खुलासा हुआ है. उस छात्रा का नाम था सदिच्छा. ऐसी मौत जिसमें लाश नहीं मिली. लेकिन कुछ सुराग से इस मर्डर मिस्ट्री से राज खुल गया. अब कत्ल के आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आए हैं. आखिर क्या है MBBS छात्र सदिच्छा की मर्डर मिस्ट्री (MBBS Student Sadichha Sane Murder Mystery). पूरी कहानी जानते हैं...
Mumbai Murder Mystery : MBBS छात्रा की वो मर्डर मिस्ट्री जिसकी एक सेल्फी ने कातिल का सुराग दे दिया
Mumbai MBBS Student Sadichha Sane Murder Mystery: MBBS छात्रा की वो मर्डर मिस्ट्री जिसकी एक सेल्फी ने कातिल का पता दे दिया. सदिच्छा माने मर्डर की कहानी.
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25 Jan 2023 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:35 PM)
सदिच्छा की गुमशुदगी
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आज से कोई 14 महीने पहले यानी 29 नवंबर 2021 को मुंबई के बोइसर इलाके की रहनेवाली 22 साल की एक एमबीबीएस स्टूडेंट सदिच्छा साने अपने घर से निकलती है -- वक्त है सुबह करीब नौ बजे -- इस रोज़ उसे मुंबई के जेजे अस्पताल में प्रीलिम्स एग्जाम के लिए मौजूद होना था -- लेकिन वो अपने इम्तेहान के लिए नहीं पहुंचती -- और ना ही लौट कर घर आती है -- हार कर अगले दिन सदिच्छा के घरवाले बोइसर पुलिस स्टेशन में सदिच्छा की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाते हैं -- लेकिन पुलिस का रवैया ढीला ढाला ही रहता है।
सदिच्छा का परिवार
सदिच्छा के घर में उसके पिता हैं मनीष साने, उसकी मां है और 80 साल की बुजुर्ग दादी है। सदिच्छा अपने घर की इकलौती बेटी थी और इस तरह उसके गायब हो जाने से पूरा परिवार बहुत परेशान हो जाता है। लेकिन चूंकि बोइसर पुलिस का रवैया काहिली भरा है, तो घरवाले हार कर एक बीजेपी लीडर चित्रा वाघ के पास जाते हैं, जिनके दखल देने के बाद बोइसर पुलिस इस सिलसिले में 10 दिसंबर 2021 को एक केस दर्ज करती है।
सीसीटीवी कैमरे में सदिच्छा का सफ़र
बोइसर पुलिस अनमने ढंग से ही सही, मामले की जांच शुरू करती है। 29 नंवबर के उसके सफर को उसे सीसीटीवी कैमरों के जरिए ट्रैक करने की कोशिश करती है -- सीसीटीवी से पता चलता है कि पता चलता है कि उसने सबसे पहले विरार रेलवे स्टेशन से एक ट्रेन ली थी और उससे वो अंधेरी में उतर गई -- इसके बाद उसने अंधेरी से बांद्रा तक के लिए दूसरी ट्रेन ली और फिर बांद्रा उतरी -- और तब वो एक ऑटो रिक्शा से बांद्रा बैंड स्टैंड बीच यानी समंदर तरफ जाती हुई देखी गई -- यानी ये बात साफ हो जाती है कि उसका आखिरी लोकेशन बांद्रा बैंड स्टैंड था, तो मामले की जांच बोइसर पुलिस लेकर बांद्रा पुलिस के हवाले कर दी जाती है।
मोबाइल की लास्ट लोकेशन
अब बांद्रा पुलिस मामले की जांच करती है और उसके मोबाइल फोन की लोकेशन ट्रैक करती है। अब उसकी गुमशदगी के महीने भर से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है -- मोबाइल फोन ट्रैक करने पर पता चलता है कि लड़की वाकई 29 नवंबर को विवार से अंधेरी होती हुई बांद्रा गई थी -- बैंड स्टैंड में दोपहर के वक्त से लेकर रात के करीब 3 बजे तक उसका फोन एक्टिव था, जो ये साबित करता है कि उसकी लास्ट लोकेशन बैंड स्टैंड ही थी -- यानी वो लगातार वहीं बीच पर घूम रही थी -- लेकिन लाख कोशिश के बावजूद पुलिस ये पता नहीं लगा पाती है कि आखिर बैंड स्टैंड बीच से सदिच्छा कहां गायब हो गई।
क्राइम ब्रांच के हवाले की गई जांच
चूंकि पुलिस सुलझा नहीं पा रही थी, तो आखिरकार इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच की यूनिट 9 के हवाले कर दी जाती है -- अब क्राइम ब्रांच जांच चालू करती है -- लेकिन उसे भी विरार से लेकर बैंड स्टैंड का सिक्वेंस सही लगता है, क्योंकि उसके टेक्निकल एविडेंस मौजूद हैं -- सीसीटीवी और मोबाइल लोकेशन की सूरत में -- लेकिन बैंड स्टैंड के बाद की कहानी पता नहीं चलती।
पहले किरदार मिट्ठू सिंह की एंट्री
लेकिन आखिरकार इस मामले में एक किरदार की एंट्री होती है, जिसका नाम है मिट्ठू सिंह -- असल में मिट्ठू सिंह एक लाइफ गार्ड है, पता चलता है कि उसकी ड्यूटी 29 नवंबर को बैंड स्टैंड बीच पर थी और आखिरी बार मिट्ठू सिंह को ही उस रात सदिच्छा के साथ देखा गया था -- क्राइम ब्रांच को ऐसे कई चश्मदीद मिलते हैं, जिन्होंने मिट्ठू को सदिच्छा के साथ देखा था -- अब पुलिस मिट्ठू को पकड़ती है, पूछताछ करती है -- वो सदिच्छा से मिलने की बात तो मानता है लेकिन उसकी गुमशुदगी के बारे में कुछ नहीं बताता -- पुलिस की जांच सही दिशा में चल रही है इसका भी एक सबूत मिलता है -- वो है सदिच्छा के साथ ली गई उसकी कुछ सेल्फीज का.
मिट्ठू का नार्को टेस्ट भी हुआ फेल
मिट्ठू की सेल्फी उसे शक के घेरे में ला चुकी थी। पुलिस को पता चलता है कि अगले रोज सुबह यानी 30 नवंबर को घर लौटने के बाद मिट्ठू ने सदिच्छा को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भी भेजी थी -- यानी वो सदिच्छा के टच में था -- लेकिन गुमशुदगी के सवाल पर वो कुछ ऐसे चुप रहा कि पुलिस ने उसका नार्को टेस्ट और ब्रैन मैपिंग भी करवा लिया -- मगर अफसोस, नार्को टेस्ट भी मिट्ठू से सदिच्छा की गुमशुदगी के बारे में उसके कुछ उगलवा नहीं सकी।
14 महीने बाद हुई गिरफ्तारी
पूरे 14 महीने की तफ्तीश के बाद तब इस मामले में नया ट्विस्ट आया, जब क्राइम ब्रांच ने उसी मिट्ठू सिंह को गिरफ्तार कर लिया, जिससे आखिरी बार सदिच्छा की मुलाकात हुई थी -- साथ ही जब्बार अंसारी नाम के उसके एक दोस्त को भी पुलिस ने पकड़ लिया -- क्राइम ब्रांच ने बताया कि मिट्ठू सिंह ने सदिच्छा की हत्या की और जब्बार ने सबूत मिटाने में मदद की -- चश्मदीदों के हवाले से बताया कि मिट्ठू उसका पीछा कर रहा था, जब वो पत्थरों के बीच से समंदर की तरफ जा रही थी -- मिट्ठू ने उसे पीछे से पकड़ लिया था -- लेकिन सदिच्छा ने उसे बताया कि वो मरने नहीं जा रही -- इसके बाद उस रात वो साढे तीन बजे तक बातें करते रहें -- पुलिस ने बताया कि हत्या के बाद मिट्ठू सिंह ने जैकेट पहनी और लाश ले जाकर डेढ़ सौ मीटर अंदर जाकर उसे समंदर में फेंक दिया -- जैसे लादेन की फेंकी गई।
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