वैज्ञानिकों (Scientist) ने दुनिया को डराने वाला दावा किया है, ये दावा कई हज़ार लोगों के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। दावा है कि दुनिया का सबसे खतरनाक ज्वालामुखी कभी भी फट सकता है, और अगर ये फटा तो तबाही बहुत भयानक होने वाली है। पिछले 21 लाख सालों में इस दानव ने सिर्फ तीन बार अपना मुंह खोला है, लेकिन जब जब इसने मुंह खोला तब तब भारी तबाही आई है।
ये फटा तो दुनिया की आबादी आधी हो जाएगी!
if yellowstone supervolcano in wyoming erupts it could kill 90000 people immediately
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02 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:02 PM)
अमेरिका (America) के कालडेरा के येलोस्टोन नेशनल पार्क (Yellow Stone National Park) के इस ज्वालामुखी को दनिया का सुपर वॉलकेनो (Super Volcano) कहा जाता है, क्योंकि इस ज्वालामुखी का इतिहास बहुत डरावना और खतरनाक है। इसलिए यहां की सरकार इस ज्वालामुखी के बारे में वैज्ञानिकों के दावों में बिलकुल भी हलके में नहीं ले रही हैं, इन दावों को लेकर ये संजीदगी इसलिए भी है क्योंकि जब जब ये ज्वालामुखी फटा है इसने आग उगली है कोहराम मचाया है।
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अमेरिकी के इस येलोस्टोन ज्वालामुखी में जो धमाका होता है वो दुनिया के किसी भी ज्वालामुखी से 10 गुना बड़ा होता है, कई लाख साल पहले ये फटा था और तब इस ज्वालामुखी ने देश के आधे से ज़्यादा इलाकों में भारी तबाही मचाई थी।
ऐसा माना जाता है कि पिछले तीनों बार इस ज्वालामुखी में एक दो नहीं बल्कि कई बड़े विस्फोट एक साथ हुए, और ये विस्फोट किसी एटम बम से कई लाख गुना बड़े थे। इसने न सिर्फ हज़ारों लोगों की जान ली बल्कि घरों सड़कों औऱ खेतो को तबाह और बर्बाद कर दिया था।
एक बार फिर इस येलोस्टोन ज्वालामुखी के इर्द गिर्द की ज़मीन तीन तीन इंच फूलने लगी है, वैज्ञानिकों का मानना है कि ज़मीन के अंदर का लावा फिर से धधकने लगा है। औऱ ये अब जल्द ही किसी बड़े धमाकों के साथ तबाही मचाने को बेताब है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसे दावे करके उनका मक़सद किसी को डराना बिलकुल भी नहीं है बल्कि सरकार औऱ लोगों को सचेत करना है, क्योंकि वैज्ञानिकों ने इस इलाके में जो रिसर्च की है उसके मुताबिक अगर यहां ज्वालामुखी विस्फोट हुआ तो वो 1980 के माउंट सेंट हेलेंस (mount saint helens) के ज्वालामुखी विस्फोट से करीब हज़ार गुना ज़्यादा बड़ा और तबाही मचाने वाला होगा>
अमेरिकी के सबसे पुराने येलोस्टोन नेशनल पार्क में गर्म पानी के फंव्वारे यहां आने वाले लोगों को एट्रैक्ट कर सकते हैं लेकिन इस पार्क का ये असली चेहरा नहीं है। 20 लाख एकड़ में फैले पार्क का नज़ारा भले बेहद दिलकश हो लेकिन ज़मीन के नीचे छुपी हकीकत बेहद खौफनाक है।
इसकी ज़मीन के नीचे लाखों सालों से धधक रहा है ज्वाला, वैज्ञानिकों के मुताबिक जो अब फूटकर बाहर निकलने औऱ तबाही मचाने को बेताब है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अब ये येलोस्टोन वालकेनो किसी टाइमर बॉम्ब की तरह टिकटिक कर रहा है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि पहले कि तरह अगर ये येलोस्टोन वालकेनो फटा तो एक हज़ार मील तक कुछ भी सही सलामत नहीं रहेगा, हर तरफ अंधेरा छा जाएगा और धूल का गुबार कई सालों तक छटने वाला नहीं है।
तबाही का पहला सिंगनल मिल गया है, येलोस्टोन पार्क की जम़ीन अपनी जगह से उपर उठने लगी है। और यहां पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों के मुताबिक ज़मीन के नीचे धधक रहे लावों की वजह से यहां की जम़ीन फूलने लगी है, पहले के मुकाबले पार्क की ज़मीन तीन इंच उपर उठ गई है।
यहां जम़ीन असाधारण तरीके से फूल रही है, और ये सिर्फ किसी एक जगह की बात नहीं है बल्कि काफी बड़े इलाके में ऐसा परिवर्तन देखा जा सकता है। यहां ज़मीन के अंदर धधक रहा लावा सतह से काफी नीचे नहीं है इसलिए ये चिंता का विषय है, अगर विस्फोट हुआ तो तबाही बड़ी हो सकती है।
रॉर्बट स्मिथ, भूवैज्ञानिक, यूनिवर्सिटी ऑफ उथाह
वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर यहां ज्वालामुखी विस्फोट हुआ तो वो 1980 के माउंट सेंट हेलेंस के ज्वालामुखी विस्फोट से करीब हज़ार गुना ज़्यादा बड़ा और तबाही मचाने वाला होगा। ज्लावामुखी से निकलने वाली गर्म गैस चारों दिशाओं में फैल जाएंगी, और राख का गुबार हवा 80 फीट तक जाएगा। ये ऐसी तबाही होगी जैसी इंसान ने पहले कभी नहीं देखी होगी, लेकिन ये तो महज़ इस येलोस्टोन सुपर वालकेनो की तबाही की शुरूआत होगी।
एक बार जो सुपर वालकेनो ने आग उगलने शुरू की तो यहां एक के बाद एक कई ज्वालामुखी विस्फोट होंगे, और हर विस्फोट दूसरे से बड़ा औऱ भयानक होगा। 50 मील तक ज्वालामुखी विस्फोट की रिंग बन जाएगी यानी हर थोड़ी दूर पर ज्वालामुखी आग उगलते नज़र आएंगे, हर तरफ गर्म गैस औऱ धुआ ही नज़र आएगा।
सुपर वालकेनो फटा तो इसकी राख कई देशों के ऊपर तैरती नज़र आएंगी और इसकी वजह से मौसम का मिज़ाज बिगड़ जाएगा, फसलें बर्बाद हो जाएंगी। लेकिन सवाल ये है कि वैज्ञानिक ये कैसे कह सकता है कि येलोस्टोन वॉलकेनों इतनी भारी तबाही मचाएगा। दरअसल उसकी वजह है इस ज्वालामुखी का इतिहास, जिसके निशान आज भी यहां मौजूद हैं।
दुनियाभर में 15 सौ से ज़्यादा सक्रीय ज्वालामुखी हैं, लेकिन उनमें से 7 ऐसे ज्वालामुखी हैं जिन्हें सुपर वालकेनो कहा गया है। इन सुपर वालकेनों में इतनी विनाशकारी शक्तियां हैं जो न सिर्फ आसपास के इलाकों को तबाह और बर्बाद करेंगी, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी खतरा बन सकती हैं। औऱ अमेरिका का ये ज्वालामुखी उन्हीं सुपर वालकेनो में से एक है।
दुनिया का सुपरवालकेनो इतने बड़े इलाके में फैला है कि इसकी थाह लेना बहुत मुश्किल है, सिर्फ आसमान से ही इसके विशाल आकारा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। 20 लाख एकड़ में फैले येलोस्टोन नेशनल पार्क में आधे से ज़्यादा इलाके में इस महादानव का कब्ज़ा है।
20 लाख सालों में इस सुपरवालकेनों ने सिर्फ 3 बार आग उगली है, ये तीनो विस्फोट इंसानी सभ्यता से पहले हुए येलोस्टोन ज्वालामुखी में आखिरी विस्फोट 6 लाख 40 हज़ार साल पहले हुआ था, लेकिन उसके निशान उसका असर आज भी यहां बाकी है, पानी के ये फव्वारे, दलदल में उठते ये बुलबले उन्हीं ज्वालामुखी विस्फोटों की गवाही देते हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक ये किसी से छुपा नहीं है कि 20 लाख साल पुराने इस ज्वालामुखी में कई लाख टन लावा 1800 डिग्री फायरहाइट पर तप रहा है, और वो बाहर निकलने को बेताब है। नेशनल पार्क में जगह जगह से फूटने वाले ये गर्म पानी के फव्वारे, दलदल में उठते ये बुलबले और रंग बदलता पानी महज़ इस बात का सिंगलन है कि तबाही करीब है।
येलोस्टोन नेशनल पार्क में ये उड़ती सुपर हीटेड गैसेज़ पहाड़ों के अदंर धधक रहे लावे की वजह से हैं। अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है कि ये धधक रहा लावा जब पूरे फोर्स के साथ बाहर आएगा, तो खतरनाक गैस और राख का ऐसा गुबार फिज़ा पर मंडराने लगेगा। जिससे कई सौ मील के इलाके में लोगों को सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा।
वैज्ञानिक ज्वालामुखी विस्फोट से परेशान नहीं हैं बल्कि वैज्ञानिक परेशान है तो इन विस्फोटों की सीरीज़ से, 20 लाख एकड़ में फैले येलोस्टोन नेशनल पार्क में ज्वालामुखी विस्फोट की शुरूआत कहीं से भी हो लेकिन इसके बाद यहां ऐसे विस्फोटों की झड़ी लगने वाली है, क्योंकि एक साथ यहां कई ज्वालामुखी फटने के लिए बेकरार हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये विस्फोट इतने घातक होंगे कि इसका असर सिर्फ इन इलाकों में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में देखा जाएगा।
6 लाख 40 हज़ार साल पहले भी जब आखिरी बार यहां ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था, तब भी इसकी शुरूआत कुछ यूं ही हुई थी जैसी वैज्ञानिक अभी यहां होने का अंदेशा जता रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो इस ज्वालामुखी की राख कई सौ किलोमीटर तक के इलाके में फैल गई थी। हज़ारों मील तक सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा छा गया था, औऱ पूरी पृथ्वी के उपर इस राख की परत सी बन जाएगी जो मौसम में बदलाव ला सकती है।
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