Crime Story in Hindi : हर क़ातिल यही सोचता है कि उस तक पुलिस को पहुंचना नामुमकिन है. क्योंकि उसने वारदात से पहले पूरी तैयारी की है. लेकिन सच यही है कि साजिश और तैयारी चाहे जैसी हो पुलिस क़ातिल के गिरेबां तक पहुंच ही जाती है. मर्डर मिस्ट्री की ये असली कहानी भी उस क्रिमिनल की है जो जेल में रहकर खुद को परफेक्ट अपराधी समझ बैठा.
कागज पर लिखे उन 2 शब्दों ने सुराग दे दिया, वरना उस लड़की की मौत आज भी रहस्य रहती
24 साल की लड़की की मर्डर मिस्ट्री, कागज पर कातिल का नाम था, पर असली खूनी कौन था? Delhi murder mystery Simran gangrape crime ki kahani Read more crime stories in hindi on crime tak ki kahani me
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19 Apr 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:17 PM)
वाकई उसने मर्डर की ऐसी स्क्रिप्ट बनाई. जिसमें पुलिस को उलझना ही था. और पुलिस उलझ भी गई. लेकिन अचानक मिले एक छोटे से सुराग ने पहेली बन चुकी इस मर्डर मिस्ट्री (Murder Mystery) के रहस्य को बेनकाब कर दिया. आज क्राइम की कहानी (Crime Stories in Hindi) में उसी मर्डर मिस्ट्री की दिलचस्प कहानी.
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Murder Mystery Story in Hindi : मर्डर मिस्ट्री की ये सस्पेंस थ्रिलर स्टोरी देश की राजधानी दिल्ली से है. दिल्ली का साउथ इलाका बेहद पॉश माना जाता है. उस समय सर्दियां पड़ रहीं थीं. लेकिन उतनी भी ठंड नहीं थी जितनी दिल्ली में पड़ती है.
तारीख 27 फरवरी 2019. दोपहर का वक्त था. करीब 3 बजकर 40 मिनट पर दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम में एक सूचना मिली. कॉलर ने बताया कि दिल्ली के सरिता विहार के पास रेलवे ट्रैक किनारे बोरे में एक लड़की की लाश मिली है.
चूंकि दिल्ली में महिला सुरक्षा का मुद्दा हमेशा से बड़ा रहा है. खासतौर पर साल 2012 में निर्भया कांड के बाद से और भी ज्यादा. इसलिए ये सूचना मिलने के तुरंत बाद सीनियर अधिकारी से लेकर थाने की पुलिस मौके पर पहुंचती है.
उसी बोरे से करीब 24 साल की एक लड़की की लाश मिलती है. लड़की जींस और कुर्ती पहने हुई थी. चूंकि अभी मौसम में ठंडक थी इसलिए बॉडी ज्यादा सड़ी-गली नहीं थी. हालांकि, देखने से ही लग रहा था कि लाश एक या दो दिन पुरानी जरूर है. लाश की हालत को देखकर पुलिस को शक हो गया कि कहीं ना कहीं उसके साथ दरिंदगी हुई है. गले और चेहरे पर भी खरोंचने के निशान मिले थे.
वैसे ब्लाइंड मर्डर केस में किसी लाश की पहचान करना मुश्किल होता है. लेकिन ये केस काफी अलग था. पुलिस हमेशा किसी भी शव की पहचान कराने के लिए सबसे पहले उसके कपड़ों की तलाशी लेती है. शरीर पर ऐसे निशान तलाशती है जिसके आधार पर पहचान हो सके.
लेकिन पुलिस शुरुआत में जितना इसे ब्लाइंड मर्डर केस मान रही थी.. असल में ये उतना था नहीं. क्योंकि जैसे ही महिला पुलिसकर्मियों ने उस लड़की के लाश की तलाशी ली. उसकी जींस की पड़ताल की. तो उसमें से एक लेटर मिला. साथ में उसका फोन भी मिल गया. अब फोन और लेटर देखकर पुलिस को थोड़ी हैरानी भी हुई. लेकिन सुराग तो सुराग है. पुलिस ने उस लेटर और फोन को अपने पास रखा फिर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया.
अब पुलिस ने उस लेटर को पढ़ा. लड़की ने उस लेटर में अपनी हत्या का शक जताया था. और कातिल का पता भी दे दिया था. उस लेटर में लिखा था...
“मैं सिमरन, अंबेडकर नगर की रहने वाली हूं. दिल्ली के संत नगर बुराड़ी के रहने वाले आरुष और मैं दोनों आपस में प्यार करते हैं. मुझे नहीं पता था कि आरुष पहले से शादीशुदा है. आरुष के माता-पिता नहीं चाहते थे कि मैं उससे मिलूं. आरुष के परिवार की वजह से मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई. आरुष भी अपनी मां से मिल गया है. आरुष उसके दो और दोस्त मुझे डरा रहे हैं. वो काफी समय से धमका रहे हैं. मेरे से पैसा मांग रहे हैं. इन लोगों ने मेरा अश्लील वीडियो बना लिया है. उससे ब्लैकमेल कर रहे हैं. अगर मेरी हत्या कर दी जाती है तो ये तीनों लड़के ही मेरी मौत के जिम्मेदार होंगे. उन तीनों के नाम और मोबाइल नंबर भी इसी में लिख रही हूं..
पुलिस को उस लेटर में तीनों का नाम, पता और नंबर भी मिल गया. ये लेटर काफी बारीकी से जींस में छुपाया गया था. ताकी ये भी लगे कि उसे जानबूझ कर नहीं रखा गया है. अब ये जानकारी मिलते ही पुलिस सिमरन के अंबेडकर नगर वाले पते पर संपर्क करती है. वहां उसके पिता से जानकारी भी मिलती है. ये पता चलता है कि सिमरन 25 फरवरी 2019 से ही लापता हो गई थी. काफी तलाश के बाद नहीं मिली तो थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
अब लड़की की पहचान के बाद दूसरी सबसे बड़ी बात थी कि कहीं ये लेटर जानबूझकर किसी को फंसाने के लिए तो नहीं लिख दिया गया. क्योंकि जिसकी हत्या की गई उसकी जेब से ये लेटर मिलना पुलिस को अभी भी चौंका रहा था. इसलिए पुलिस ने लड़की के पिता से उसकी हैंडराइटिंग पहचानने को कहा. पिता उस लेटर को देखते ही रोने लगे.
उन्होंने बताया कि, हां ये लिखावट मेरी बेटी की ही है. अब पुलिस को ये केस बड़ा आसान लगा. इसलिए पुलिस ने तुरंत उसमें लिखे आरुष नामक युवक के पते पर पहुंचती है. घरवालों से पूछताछ होती है. आरुष कहीं बाहर गया होता है. इसके बाद पुलिस उस जगह पर पहुंचकर उसे हिरासत में ले लेती है.
इसी बीच, पुलिस के सामने लड़की की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी आती है. रिपोर्ट देखकर पुलिस फिर से सन्न रह जाती है. क्योंकि पुलिस का शक सही निकला. लड़की के साथ दरिंदगी की गई थी. उसके प्राइवेट पार्ट पर मल्टीपल इंजरी थी. यानी प्राइवेट पार्ट पर घाव के कई निशान थे. उसके साथ गैंगरेप किया गया था. इसके बाद ही उसकी गला घोंटकर हत्या की गई थी.
अब इस रिपोर्ट के बाद पुलिस जांच में और तेजी लाती है. और उस लेटर में लिखे आरुष और अन्य दो लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर देती है. लेकिन पुलिस को हैरानी तो तब होती है जब आरुष कहता है कि इस लड़की से प्यार करना और फिर उसकी हत्या करना तो बड़ी दूर की बात है. मैं इस लड़की को पहचानता तक नहीं.
इसी तरह दो अन्य लोग जिनका नाम लेटर में लिखा था वो भी वही बात दोहरा रहे थे. पुलिस को लगता है कि ये लोग जानबूझकर कहानी बना रहे हैं. इसलिए पुलिस उनका पूरा बैकग्राउंड निकालती है. कॉल डिटेल निकालती है तो पता चलता है कि आखिरी कॉल वही लड़की सिमरन के फोन से आरुष के पास आया था.
इस पर पुलिस पूछताछ करती है तो वो बताता है कि हां एक कॉल आई थी लेकिन पूरी बात नहीं हो पाई थी. फिर फोन कट गया था. लेकिन ये लड़की कौन है और कहां रहती है. मैं कुछ भी नहीं जानता हूं. यहां तक कि कभी इसे अपने दोस्त या फिर किसी पहचान वाले के साथ भी नहीं देखा है.
कई घंटे की पूछताछ के बाद पुलिस मरने वाली लड़की और आरुष की पिछले कई महीने की फोन की कॉल डिटेल निकालती है. उसमें चेक करती है तो ये बात सही साबित होती है. क्योंकि इससे पहले कभी भी दोनों में बात नहीं हुई थी. इस तरह पुलिस की जांच फिर से वहीं पहुंच जाती है जहां से शुरू होती है. अब पुलिस सर्विलांस और सीसीटीवी की मदद से मामले की जांच शुरू करती है.
दिल्ली के सरिता विहार में रेलवे लाइन के किनारे जहां लड़की का शव मिला था उसके आसपास वाली रोड की सीसीटीवी फुटेज की पुलिस जांच करती है. इस दौरान एक बड़ा सुराग मिला. जिसमें एक संदिग्ध होंडा सिटी कार दिखी थी. अब इस कार के बारे में पता लगाया तो जानकारी मिली कि इस कार को पूरे दिन के लिए रेंट पर बुक किया गया था.
अब पुलिस उस कार बुक करने वाली की तलाश में थी. लेकिन कोई खास सुराग नहीं मिल पाया. इसी बीच, पुलिस ने सिमरन के 24 और 25 फरवरी की कॉल डिटेल भी निकाली. जिसमें एक ऐसा नंबर मिला जिस पर सिमरन की पहले कभी बात नहीं हुई थी और दोनों फोन की लोकेशन सरिता विहार में ही थी.
लेकिन वो नंबर यूपी के मुजफ्फरनगर का था और जिस पते और नाम पर उस सिमकार्ड को खरीदा गया था वो फर्जी निकला. हैरानी वाली बात ये भी थी कि उस नंबर से सिर्फ सिमरन को ही कॉल किया गया था. इसके अलावा उस नंबर से अन्य किसी को भी कभी कॉल नहीं हुआ था. इस तरह पुलिस को सर्विलांस और सीसीटीवी से भी कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया.
इस तरह किसी तरह से कोई सबूत नहीं मिलने से पुलिस अभी उधेड़बून में थी. उसी समय लड़की के पिता भी लगातार ये पता लगाने में जुटे थे कि अगर उनकी बेटी किसी को प्यार करती थी और उसे ब्लैकमेल किया जा रहा था तो कुछ ना कुछ उसने कहीं लिखा जरूर होगा. इसके अलावा बेटी के लेटर की हैंडराइटिंग चेक कराने के लिए भी उन्होंने उसकी कई कॉपियां और डायरी देखी थी. उन्हीं में से एक डायरी में सिमरन के पिता को दो शब्द लिखे मिले. पहला शब्द था प्रसाद. दूसरा शब्द था जॉब. और फिर एक मोबाइल नंबर लिखा हुआ था.
इस नंबर पर पिता ने कॉल किया. पूछा कि बेटी ने कभी जॉब के लिए फोन किया था क्या? तो उधर से जवाब मिला कि, हां वो सिमरन को जानता हूं. लेकिन 20 से 25 दिन पहले फोन पर नौकरी को लेकर उसकी बात हुई थी. फिर कोई बात नहीं हुई.
लेकिन जिस तरीके से पहली बार में फोन आते ही उस शख्स की आवाज लड़खड़ाई उससे सिमरन के पिता को शक हो गया. उन्होंने उस नंबर और प्रसाद के बारे में पुलिस को भी जानकारी दी.
पुलिस ने उस नंबर की पड़ताल की तो पता चला कि वाकई में घटना से 20 दिन पहले ही उस नंबर पर सिमरन से बात हुई थी. लेकिन चूंकि वो नंबर भी शक के दायरे में आया था. इसलिए पुलिस ने कोई बड़ा सुराग नहीं मिलने की स्थिति में इस पर भी दांव खेला. उस नंबर की लोकेशन निकाली. खासकर घटना वाले दिन की.
तब पता चला कि ये नंबर और उस लड़की का नंबर उसी लोकेशन पर था. अब पुलिस उसकी डिटेल निकालकर उसे हिरासत में लेती है. पहले तो वो कई घंटे तक इधर-उधर की बात करता रहा. उसी बीच, पुलिस को घटना वाले दिन होंडा सिटी कार को रेंट पर लेने वालों की जानकारी मिल जाती है और उन्हें भी जब हिरासत में लिया गया तो पूरा केस ही खुल गया.
इसके बाद जो कहानी निकलकर सामने आई उससे साफ हुआ कि इस पूरी घटना में ना उस सिमरन का कोई लेनादेना था और ना ही लेटर में लिखे उसे आरुष का. पूरी कहानी कुछ और थी. असल में जिसका नाम सिमरन की डायरी में प्रसाद लिखा था उसी का पूरा नाम दिनेश प्रसाद था. घटना से कई महीने पहले ही वो चोरी के एक मामले में तिहाड़ जेल गया था.
जिस बैरक में दिनेश बंद था उसी में मर्डर का आरोपी धनंजय और बुराड़ी से पकड़ा गया बंटी भी था. यहां पर दिनेश और धनंजय अच्छे दोस्त बन गए. और जेल में ही धनंजय और बंटी की लड़ाई हो गई. ये भी पता चला कि बंटी के परिवार के पास अच्छी-खासी प्रॉपर्टी है. घटना से दो महीने पहले ही धनंजय और दिनेश को जेल से जमानत मिल गई.
जबकि बंटी अभी जेल में ही था. ऐसे में जेल से आने के बाद दोनों एक साथ ही रहने लगे और खतरनाक साजिश रचने लगे. इन दोनों ने सोचा बंटी के भाई आरुष को मर्डर के केस में फंसा देंगे तो वो जेल चला जाएगा. इसके बाद उसके 200 गज के खाली एक प्लॉट पर कब्जा जमा लेंगे.
जमीन पर कब्जा जमाने और कानूनी दांवपेच में इनकी मदद करने के लिए 20 वर्षीय सौरभ भारद्वाज नाम का युवक भी तैयार हो गया. अब इन तीनों ने मिलकर इस पूरी साजिश को अंजाम देने और उन तक पुलिस भी पहुंच ना सके, इसकी तैयारी में जुट गए.
चूंकि दिनेश और धनंजय जेल जा चुके थे, इसलिए इन्हें पता था कि पुलिस मोबाइल सर्विलांस के जरिए उन तक पहुंच सकती है. पुलिस घटना वाले दिन के कॉल को जरूर चेक करती है. इसलिए यूपी के मुज्जफरनगर जाकर पहले एक नया फोन और फर्जी नाम व पते पर सिमकार्ड खरीद लेते है. उस नंबर से किसी से बात नहीं करते हैं.
अब इनके सामने चुनौती थी कि किसी हत्या कर इन्हें फंसाया जाए. जाहिर है किसी लड़के की हत्या कर फंसाएंगे तो मुश्किल हो सकता है. इसलिए दिनेश प्रसाद ने प्लान किया कि वो अपनी एक पहचान वाली लड़की की दोस्त को अपने जाल में फंसाएगा.
उस लड़की को नौकरी की जरूरत है. इसलिए अपनी दोस्त के जरिए उसी सिमरन से संपर्क करता है. उसे नौकरी का झांसा देता है. सिमरन अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए नौकरी करना चाहती थी लेकिन कोई काम नहीं मिल रहा था. इसलिए जब नौकरी का ऑफर मिला तो मिलने के तैयार हो गई. लेकिन जब आखिरी बार दिनेश और सिमरन की बात हुई उसके बाद 20 दिनों फोन पर कोई बात नहीं की. ताकी उस पर शक ना हो.
घटना वाले दिन यानी 25 फरवरी 2019 को दिनेश ने ही नए सिमकार्ड और फोन की मदद से सिमरन को कॉल करता है. ये बताता है कि उसका फोन खराब हो गया है. इसलिए वो दूसरे के नंबर से कॉल कर रहा है. फिर कहता है कि सरिता विहार में उसका एक इंटरव्यू करा देगा. अब नौकरी की तलाश में परेशान सिमरन वहां पहुंच जाती है. यहां पर सौरभ, धीरेंद्र और दिनेश तीनों मौजूद थे.
एक फ्लैट पर ले जाकर सिमरन से ये जोर-जबर्दस्ती करते हैं और फिर जान से मारने की धमकी देकर बंधक बना लेते हैं. अब उसके साथ गैंगरेप करने की धमकी देकर एक कागज पर सिमरन से ही वो लेटर लिखवाते हैं.
लेटर जब सिमरन लिख देती है तब उसके बाद तीनों उसके साथ गैंगरेप करते हैं. फिर फ्लैट में ही उसकी गला दबाकर हत्या कर देते हैं. इसके बाद छोटे-मोटे क्राइम करने वाले रहीमुद्दीन और चंद्रकेश से संपर्क करते हैं. दोनों को 5-5 हजार रुपयों का लालच देते हैं और उन्हीं के नाम से किराये की रेंटल टैक्सी बुक कराते हैं.
ऑनलाइन इस टैक्सी को पूरे दिन के लिए बुक कराते हैं और करीब 7 हजार रुपये भी पेमेंट कराते हैं. इसके बाद रहीमुद्दीन और चंद्रकेश के जरिए सिमरन के शव को बोरी में डालकर रेलवे लाइन के किनारे देर रात में फेंक आने की बात करते हैं. इससे पहले, सिमरन के हाथों लिखे उस लेटर को उसकी जींस में डाल देते हैं.
इसके साथ ही उसके मोबाइल फोन को भी डाल देते हैं. ताकी उनका कोई सुराग नहीं मिले. इसके अलावा, लड़की के पर्स और फर्जी पते पर खरीदे सिमकार्ड व फोन दोनों को किसी नाले में फेंक देते हैं. ताकी उससे जुड़ा कोई सबूत पुलिस को कभी मिल नहीं सके.
अब ये आरोपी इस बात का इंतजार कर रहे थे कि कब आरुष गिरफ्तार होकर जेल जाए और हम उसकी जमीन पर कब्जा करके तीनों आपस में बंटवारा कर लें. लेकिन उससे पहले ही परफेक्ट मर्डर मिस्ट्री से पर्दा हट गया. इस तरह दिल्ली पुलिस ने 4 मार्च 2019 को मर्डर मिस्ट्री का खुलासा कर दिया
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