Delhi: एनसीपीसीआर ने यौन शोषण के शिकार बच्चों के पुनर्वास के लिए तैयार किया पोर्टल

Delhi News: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में ऐसे मामलों में सजा दर 70.7 प्रतिशत थी

CrimeTak

07 Jan 2023 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:33 PM)

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Delhi News: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने यौन उत्पीड़न (Child Abuse) और दुर्व्यवहार के शिकार बच्चों के पुनर्वास के साथ-साथ ऐसे मामलों में दोषसिद्धि दर में सुधार के लिए एक पोर्टल (Portal) शुरू किया है। शीर्ष बाल अधिकार निकाय एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत सजा दर बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है।

उन्होंने कहा, 'हमने पोर्टल बनाया है, क्योंकि हम समझते हैं कि सजा की दर बढ़ाने के लिए हमें विभिन्न पहलुओं पर काम करने की जरूरत है और इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा पीड़ितों का पुनर्वास है...।' पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषसिद्धि की दर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में ऐसे मामलों में सजा दर 70.7 प्रतिशत थी, जबकि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा क्रमशः 30.9 प्रतिशत और 37.2 प्रतिशत था। कानूनगो ने कहा कि हर साल इस अधिनियम के तहत लगभग 40,000 प्राथमिकियां दर्ज की जाती हैं। उन्होंने कहा, “पॉक्सो अधिनियम दंड और पीड़ितों के पुनर्वास की बात करता है। यह एक (वास्तविक) तथ्य है कि जहां पुनर्वास नहीं होता है, वहां दोषसिद्धि प्रभावित होगी।'

उन्होंने यह भी कहा कि जब एक पॉक्सो पीड़ित को मुआवजा मिलता है, एक सामाजिक जांच रिपोर्ट तैयार की जाती है और सहायता तंत्र उपलब्ध कराया जाता है, तो सजा की दर में स्वतः सुधार हो जाता है। दूसरे शब्दों में, यदि पीड़ित का पुनर्वास किया जाता है और उसकी बेहतर देखभाल की जाती है, तो उसके द्वारा साक्ष्य प्रदान करने और अपने अपराधियों की पहचान करने की संभावना अधिक होती है, जिससे अंततः बेहतर दोषसिद्धि होगी।

एनसीपीसीआर प्रमुख ने कहा कि इस साल आयोग का ध्यान निर्जन स्थानों पर चल रहे और गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा प्रणाली की मुख्यधारा में लाने पर भी होगा। उन्होंने कहा, 'ऐसे मदरसे हैं, जहां बच्चों को मौलिक शिक्षा नहीं दी जाती है, बल्कि सिर्फ धार्मिक शिक्षा दी जाती है।' एनसीपीसीआर का अनुमान है कि लगभग 1.1 करोड़ बच्चे इन अपंजीकृत मदरसों में पढ़ रहे हैं।

बाल अधिकार निकाय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से देश के सभी मदरसों की पहचान करने को कहा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल एनसीपीसीआर का मुख्य ध्यान सड़क पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास पर था।

कानूनगो ने कहा, “उनके लिए एसओपी को संशोधित किया गया था और यह सुनिश्चित किया गया था कि इसका कार्यान्वयन हो। हमने 2022 में बाल स्वराज पोर्टल बनाया गया और राज्यों के साथ नियमित रूप से फॉलो-अप किया। हमने राज्यों के लिए नीतियां बनाईं और 15 राज्यों ने हमें बताया कि उन्होंने बेसहारा बच्चों के पुनर्वास से संबंधित नीतियों को अधिसूचित किया है।' उन्होंने कहा कि पिछले साल लगभग 23,000 बेसहारा बच्चों का पुनर्वास किया गया था।

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