Video: पाकिस्तान में सबसे बड़ी गैंगवार, 70 गोलियों से छलनी हुआ अमीर ट्रकांवाला, क्या अमीर को था मौत का अंदेशा, क्या है व्हाट्सएप स्टेटस का राज़

20 Feb 2024 (अपडेटेड: Feb 20 2024 5:40 PM)

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Pakistan News: ट्रकांवाला की मौत की खबर हर न्यूज चैनल पर सुर्खियों में क्यों थी? अमीर था कौन? और अपनी मौत से पहले उसने अपने व्हाट्स एप के स्टेटस पर ये लाइनें क्यों लिखी थी?

Pakistan Gangwar: तारीख 18 फरवरी रविवार का दिन। जगह पाकिस्तान का चोंग, लाहौर। वक्त रात के करीब 9 बजे थे। लाहौर में एक बेहद अहम शादी थी। शादी लाहौर के सबसे बड़े और खूबसूरत डॉन अमीर टीपू बलाज ट्रकांवाला के सबसे करीबी दोस्त हमजा की बहन की। तमाम मेहमानों के साथ बारात आ चुकी थी। खाना खुल चुका था। अमीर ट्रकांवाला अपने खास दोस्तों और भाइयों के साथ एक टेबल पर बैठा था। उसके चारों तरफ उसके सुरक्षा गार्ड ऑटोमेटिक हथियार लिए तैनात थे। तभी एक शख्स ट्रकांवाला के टेबल की तरफ बढ़ता है और उससे एक सेल्फी लेने की गुजारिश करता है।  

सेल्फी लेने आया हमलावर

लेकिन फिर अगले ही पल वो कपड़ों में छुपाए ऑटोमेटिक हथियार से सीधे अमीर पर हमला कर देता है। उसका एक साथी भी मेहमान के भेष में वहां मौजूद था। वो भी फायरिंग शुरू कर देता है। सुरक्षा गार्ड फौरन हरकत में आते हैं। जवाबी फायरिंग करते हैं। जिसमें सेल्फी लेने वाला हमलावर मौके पर ही मारा जाता है। जबकि दूसरा अफरातफरी के आलम में भाग निकलता है। अमीर को फौरन लाहौर के जिन्ना अस्पताल ले जाया जाता है। लेकिन तब तक वो दम तोड़ चुका था। पिछले कई दिनों से पाकिस्तान का हर न्यूज चैनल पूरे दिन चुनाव की खबरों पर ही डटा हुआ था।  वोटों की गिनती में हुई धांधली और नई सरकार को लेकर पूरे देिन ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी। लेकिन 18 फरवरी की रात जैसे ही अमीर ट्रकांवाला की शूटआउट की खबर आई, पाकिस्तान का हर न्यूज चैनल पाकिस्तानी चुनाव छोड़ कर अमीर की खबर दिखाने लगा। अब हर चैनल पर अमीर ही ब्रेकिंग न्यूज था। अब सवाल ये है कि आखिर अमीर टीपू ट्रकांवाला की मौत की खबर हर न्यूज चैनल पर सुर्खियों में क्यों थी? अमीर था कौन? और अपनी मौत से पहले उसने अपने व्हाट्स एप के स्टेटस पर ये लाइनें क्यों लिखी थी?

‘ऐ खुदा जब तक जिंदगी मेरे लिए बेहतर है, मुझे जिंदा रख और जब मौत मेरे लिए बेहतर हो तो मुझे उठा ले’

पाकिस्तान का नाम सामने आते ही पाकिस्तान की गोद में पल रहे बड़े-बड़े आतंकवादी संगठन और उनके सरगनाओं के चेहरे नजरों में तैरने लगते हैं। ये आतंकी संगठन और आतंकवादी भारत को लहूलुहान करते हैं। लेकिन इन सबसे हट कर पाकिस्तान में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं, जो पाकिस्तानी अंडरवर्ल्ड पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए जब तब और जहां तहां एके-47 का बर्स्ट मारते रहते हैं। पाकिस्तानी अंडरवर्ल्ड ठीक वैसा ही है और वैसा ही काम करता है, जैसे कभी मुंबई में अंडरवर्ल्ड के वर्चस्व की लड़ाई को लेकर सड़कों पर खून बहा करता था। जैसे भारत में अंडरवर्ल्ड का हेडक्वार्टर मुंबई हुआ करता था, वैसे ही पाकिस्तान में अंडरवर्ल्ड से जुड़े ज्यादातर डॉन लाहौर पर कब्जे के लिए लड़ते हैं। 

बाप-दादा भी थे गैंगस्टर, बेटा बना अंडरवर्ल्ड डॉन

ये लाहौर के वो डॉन हैं, जिनकी बाकायदा सरकार ने लिस्ट निकाल रखी है। लेकिन लाहौर के इन टॉप टेन डॉन की बात करें, उससे पहले लाहौर के सबसे बड़े डॉन यानी अमीर टीपू बलाज ट्रकांवाला के कत्ल की बात करते हैं। ट्रकांवाला परिवार के ये तीन सबसे बड़े डॉन हुए। (तीनों की तस्वीर है) बिल्ला ट्रकांवाला, उसका बेटा आरिफ टीपू ट्रकांवाला और आरिफ का बेटा अमीर ट्रकांवाला। हालांकि कहानी बिल्ला से भी पहले शुरू होती है। यानी बिल्ला के बाप दादा से। तब भारत के साथ पाकिस्तान भी आजाद हुआ था। फिर 47 में पाकिस्तान बना। आजादी के पहले से ही लाहौर के मशहूर शाह आलम मार्केट में ट्रकांवाला परिवार का इस हद तक दबदबा था कि बाकायदा यहां उनकी गद्दी लगा करती थी। 

लाहौर फायरिंग में ऐसे हुई Ameer Balaj Tipu की हत्या

दरअसल, इस परिवार का ट्रांसपोर्ट का काम था। परिवार के पास सैकड़ों ट्रक थे। जिनमें माल की ढुलाई पूरे पाकिस्तान में हुआ करती। इसीलिए परिवार का नाम ट्रकांवाला पड़ा। इस बिजनेस ने ही ट्रकांवाला परिवार के बहुत सारे दुश्मन पैदा किए। इस दुश्मनी की वजह से इस परिवार में पहला कत्ल बिल्ला के बाप का हुआ। बाप की मौत के बाद 80 के दशक में बिल्ला ट्रकांवाला ने विरासत संभाली। और यहीं से इस परिवार का खौफ लाहौर से निकल कर पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों तक पहुंच गया। बिल्ला का रसूख इतना था कि क्या नेता, क्या मंत्री और क्या पुलिस... सभी उसकी गद्दी पर हाजिरी लगाया करते थे। चुनाव में नेता उससे अपना काम निकलवाया करते थे। बिल्ला ने ना सिर्फ अपने बाप के कातिलों को ढूंढ ढूंढ कर मारा, बल्कि कहते हैं कि उनके पूरे खानदान का सफाया कर डाला।  

परिवार का भी रहा है कुख्यात इतिहास

बिल्ला पर दर्जनों मुकदमे थे। लेकिन पुलिस उसका कुछ नहीं बिगाड़ पा रही थी। 1994 में बिल्ला सुबह सुबह अपने घर के बाहर बैठा था। तभी हथियारों से लैस कई हमलावर उसके घर के दरवाजे तक पहुंच गए। और उसी के दरवाजे पर उसे गोली मार कर चले गए। बाप की तरह अब बिल्ला भी मारा जा चुका था। बिल्ला का भी एक ही बेटा था। आरिफ टीपू ट्रकांवाला। बाप की मौत के बाद अब आरिफ ट्रकांवाला ने विरासत संभाली। कहते हैं कि बिल्ला की दहशत को उसने पूरे लाहौर में डबल कर दिया था। बाप की तरह ही आरिफ ने भी चुन चुन कर अपने बाप के कातिलों को मौत के घाट उतार दिया। लेकिन इनमें से कुछ ऐसे थे, जो डर के मारे पाकिस्तान छोड़ कर विदेश भाग गए थे। बस वही बचे हुए थे। 

लाहौर में बोलती थी टीपू की तूती

अब बिल्ला के बाद लाहौर में आरिफ का खौफ था। शौक ऐसे कि अपने घर के बाड़े में वो एक साथ दस-दस शेर पाला करता था। आरिफ की क्रूरता से लाहौर के दूसरे डॉन और गैंग तक कांपते थे। लेकिन आरिफ को भी अंदाज़ा था कि दुश्मनों की तादाद ज्यादा है। उसके बाप को घर के दरवाजे पर मारा था, कल को उसके परिवार पर भी हमला हो सकता है। लिहाजा उसने अपनी बीवी और बेटे को दुबई भेज दिया। बिल्ला की तरह ही आरिफ को भी एक ही बेटा था। अमीर टीपू बलाज ट्रकांवाला। अमीर ने दुबई में ही पढ़ाई की। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाला अमीर दुबई के ही कॉलेज से ग्रैजुएट हुआ। उसका इरादा दुबई में ही सेटल होने का था। उसके वालिद आरिफ भी यही चाहते थे कि वो लाहौर की इस काली दुनिया और उसके कारोबार से दूर ही रहे। लेकिन फिर तभी फरवरी 2010 में आरिफ ट्रकांवाला अपने बेटे अमीर और बीवी से मिलने के लिए दुबई पहुंचता है।  

बाप का लाहौर एयरपोर्ट पर कत्ल

दुबई से वापस लाहौर लौटने पर जैसे ही वो लाहौर एयरपोर्ट की पार्किंग में पहुंचता है, तभी अचानक उस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसने लगती हैं। आरिफ मौके पर ही दम तोड़ देता है। ट्रकांवाला पीढ़ी में ये तीसरी मौत थी। दादा, बाप और अब बेटा। आरिफ की मौत की खबर सुनते ही अमीर अपनी अम्मी के साथ दुबई से लाहौर पहुंचता है। चूंकि घर का वो इकलौता बेटा था, लिहाजा अब उसके सामने दो ही रास्ते थे। या तो लाहौर में बाप दादा की विरासत को आगे बढ़ाए या फिर सारा कारोबार बेच कर वापस दुबई शिफ्ट हो जांए। लेकिन अमीर ने पहला रास्ता चुना। क्योंकि उसे अब अपने बाप की मौत का बदला लेना था। आरिफ की मौत के पीछे बट्ट गैंग का हाथ था। इस गैंग के दो डॉन थे। 

बाप की मौत का बदला लेना था

एक गोगी बट्ट और दूसरा तीफी बट्ट। आरिफ की मौत के बाद ही ये दोनों पाकिस्तान छोड़ कर भाग गए। बाप के कातिलों का पता चलते ही अमीर ट्रकांवाला परिवार की खूनी विरासत को आगे बढ़ाते हुए खुद ही गन उठाने का फैसला करता है। इसके बाद वो एक एक कर अपने बाप के कातिलों को ठिकाने लगाता जाता है। लेकिन बट्ट ब्रदर्स अब भी उसकी पहुंच से बाहर थे। दुश्मनी अब भी जारी थी। दोनों गैंग की खूनी लड़ाई में दर्जनों जानें गईं। लेकिन बट्ट और अमीर अब भी जिंदा थे। इसी दुश्मनी के चलते अमीर बट्ट ने अपनी सुरक्षा के लिए तीस से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड्स रखे हुए थे, जिनके पास ऑटोमेटिक वेपन थे।  

सुरक्षा के लिए तीस से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड्स

अमीर पर दो-तीन बार हमले भी हुए। लेकिन वो बाल-बाल बच गया। 18 फरवरी को अमीर के सबसे करीबी दोस्त हमजा की बहन की शादी थी। और अमीर वहां जरूर जाएगा, ये खबर गोगी बट्ट गैंग को भी थी। और बस इसी के बाद गोगी बट्ट ने अपने खास शूटर मुजफ्फर हुसैन को मेहमान बना कर शादी में भेजा। जहां उसने अमीर ट्रकांवाला को गोली मारी। मुजफ्फर के मोबाइल से लाहौर पुलिस को ये पता चला है कि 18 फरवरी की रात तक गोगी बट लगातार मुजफ्फर के संपर्क में था। अब लाहौर पुलिस गोगी बट्ट के पीछे है। लेकिन फिलहाल वो फरार है। 

अमीर ट्रकांवाला की मौत के बाद अब क्या?

अमीर टीपू बलाज ट्रकांवाला अपने पीछे दो बेटे और बीवी को छोड़ गया है। दोनों बेटे अभी बहुत छोटे हैं। लाहौर अंडरवर्ल्ड को जाननेवाले ये मानते हैं कि शायद अमीर ट्रकांवाला की मौत के बाद अंडरवर्ल्ड की ये जंग अब खत्म हो जाएगी। क्योंकि बिल्ला, आरिफ या अमीर की तरह उनकी मौत का बदला लेनेवाला परिवार में अब कोई इस लायक है नहीं। लेकिन परिवार के इतिहास को देखते हुए ये कहना मुश्किल है कि कल क्या होगा? अमीर की बेवा के पास भी अब दो रास्ते हैं। सारा कारोबार बेच कर दोनों बेटों के साथ वापस दुबई शिफ्ट हो जाए या फिर लाहौर की गद्दी विरासत की तरह संभालती रहे। अगर उसने दूसरा रास्ता चुना, तो क्या पता बेटे बड़े होने के बाद फिर से बदले के रास्ते पर चल पड़े।

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