मणिपुर में दो छात्रों की हत्या के विरोध में प्रदर्शन, इंफाल में पुलिस ने बरसाए आंसू गैस के गोले

27 Sep 2023 (अपडेटेड: Sep 27 2023 10:10 PM)

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Manipur Massive Protest: मणिपुर की राजधानी इंफाल में दो छात्रों के अपहरण और हत्या के विरोध में बुधवार को लगातार दूसरे दिन हजारों छात्रों ने शहर के केंद्र की ओर कूच करते हुए रैलियां निकाली।

Manipur Massive Protest: मणिपुर की राजधानी इंफाल में दो छात्रों के अपहरण और हत्या के विरोध में बुधवार को लगातार दूसरे दिन हजारों छात्रों ने शहर के केंद्र की ओर कूच करते हुए रैलियां निकाली। वहीं, कुकी समुदाय के शीर्ष संगठन ‘इंडीजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) की महिला इकाई ने मणिपुर में करीब पांच महीने से जारी जातीय हिंसा के दौरान आदिवासी महिलाओं से दुष्कर्म और हत्या मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का आदेश देने में विलंब के खिलाफ चुराचांदपुर में प्रदर्शन किया। इंफाल घाटी में प्रदर्शन और हिंसा की आशंका को देखते हुए मणिपुर पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और आरएएफ के कर्मियों को तैनात किया गया है।

छात्रों के अपहरण तथा हत्या के खिलाफ प्रदर्शन 

एक छात्र नेता थोकचोम खोगेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘हम साथी छात्रों के अपहरण तथा हत्या के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं और हमने सभी से विरोध स्वरूप काले बैज पहनने को कहा है।’’ विभिन्न स्थानों से मार्च कर रहे युवकों और युवतियों को नारे लगाते हुए देखा गया। उनमें से कई ने जुलाई में लापता हुए दो छात्रों की हत्या के विरोध में तख्तियां और उनके शवों की तस्वीरें ली हुई थी जो हाल में सोशल मीडिया पर सामने आयी थीं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वे ‘‘स्थिति पर नजर रख रहे हैं।’’ वहीं, आईटीएलएफ की महिला इकाई की संयोजक मैरी जोन ने पूछा कि कुकी महिलाओं की हत्या और दुष्कर्म की जांच शुरू क्यों नहीं की गयी है।

मणिपुर पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और आरएएफ तैनात 

उन्होंने कहा, ‘‘यह रैली उन दो युवाओं की हत्या मामले में सीबीआई की त्वरित कार्रवाई के खिलाफ है जो एक-दूसरे से प्यार करते थे और घर से भाग गए थे। आदिवासी महिलाओं से दुष्कर्म, उनकी निर्वस्त्र परेड कराने और हमारे पुरुषों की हत्या की कई घटनाएं हुई लेकिन कोई सीबीआई जांच नहीं करायी गयी।’’ मैरी जोन ने कहा, ‘‘हमारे खिलाफ यह पक्षपात क्यों है? हम आदिवासियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की सीबीआई जांच की मांग करते हैं।’’ यह रैली लमका पब्लिक ग्राउंड से शुरू हुई और तिपईमुख रोड तथा आई बी रोड से गुजरते हुए ‘वॉल ऑफ रिमेम्ब्रेंस’ तक पहुंची जहां जातीय हिंसा में मारे गए लोगों के डमी ताबूत रखे हुए थे। छह जुलाई से लापता दो छात्रों की हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों और आरएएफ कर्मियों के बीच मंगलवार रात को झड़प हो गयी जिसके बाद कानून प्रवर्तन अधिकारियों को प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े, लाठीचार्ज करना पड़ा और रबड़ की गोलियां चलानी पड़ी जिसमें 45 लोग घायल हो गए। घायलों में ज्यादातर छात्र हैं।

स्थानीय लोगों और आरएएफ कर्मियों के बीच झड़प 

इस बीच, मणिपुर पुलिस ने कहा कि सीआरपीएफ आरएएफ ने प्रदर्शनकारियों से निपटते वक्त जातिवादी टिप्पणियां करने से इनकार किया है। यह स्पष्टीकरण एक वीडियो के सोशल मीडिया पर आने के बाद आया है जिसमें आरएएफ के एक कर्मी को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया, ‘‘यह हमारी जाति नहीं है, कुछ भी करो।’’ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस वीडियो की निंदा की है। पुलिस ने मंगलवार रात सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘व्हाट्सएप समूहों ट्विटर पर आए एक वीडियो में आरएएफ कर्मियों को हिंसक भीड़ से निपटते वक्त जातिवादी टिप्पणियां करते हुए दिखाया गया है। क्लिप में सुनायी दे रही आवाज आरएएफ कर्मियों की नहीं है। ऐसा लगता है कि वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने आरएएफ बलों की छवि बिगाड़ने के लिए अपनी आवाज में जानबूझकर जातिवादी टिप्पणियां रिकॉर्ड की।’’ 

पुलिस ने बरसाए आंसू गैस के गोले

पुलिस ने कहा, ‘‘ यह वीडियो आरएएफ कर्मियों को बदनाम तथा हतोत्साहित करने के लिए बनाया गया है जो पूरे समर्पण और ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।’’ पुलिस ने कहा, ‘‘आरएएफ कर्मी कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए इंफाल के विभिन्न हिस्सों में दिन और रात तैनात हैं। आरएएफ कर्मी न्यूनतम बल प्रयोग के सिद्धांत पर काम करते हैं।’’ राज्य सरकार ने बुधवार को स्कूलों में अवकाश घोषित किया है लेकिन इंफाल के कुछ संस्थानों के छात्रों ने अपने स्कूल में एकत्रित होने का आह्वान किया। झड़पों के बाद राज्य सरकार ने किसी भी तरह की भ्रामक सूचनाओं और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए एक अक्टूबर को रात सात बजकर 45 मिनट तक इंटरनेट मोबाइल सेवाओं पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया। राज्य में तीन मई को भड़की जातीय हिंसा के बाद इंटरनेट पर पाबंदी लगायी गयी थी और चार महीने से अधिक समय बाद इसे हटाया गया था। 

हजारों छात्रों ने शहर के केंद्र की ओर कूच किया

राज्य सरकार ने कानून एवं व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर सभी स्कूलों में 27 और 29 सितंबर को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। 28 सितंबर को पैगंबर मोहम्मद की जयंती ईद-ए-मिलाद के अवसर पर राज्य में सार्वजनिक अवकाश है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी। हिंसा की घटनाओं में अब तक 175 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

(PTI)

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